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गगनयान के लिए अंतरिक्ष-योद्धाओं की ऐसी हो रही ट्रेनिंग

बेंगलुरू स्थित एयरोनॉटिक्स ट्रेनिंग सेंटर में वर्क-आउट करते वायु-योद्धा

91वें वायुसेना दिवस से पहले इंडियन एयर फोर्स ने अपने उन एस्ट्रोनॉट की एक झलक दुनिया को दिखाई है जो जल्द इसरो के गगनयान प्रोजेक्ट का हिस्सा बनने जा रहे हैं. इसरो के मुताबिक, गगनयान के तहत तीन अंतरिक्ष-यात्री तीन दिन के लिए स्पेस में जाएंगे लेकिन वायुसेना ने जो अपनी शॉर्ट फिल्म जारी की है उसमें 3-4 वायु-योद्धा दिखाई पड़ रहे हैं. 

वायुसेना ने करीब 11 मिनट की एक शॉर्ट फिल्म जारी की है जिसे नाम दिया गया है, एयर पावर बियोंड बाउंड्री यानि अपनी सीमा-रेखा से बाहर हवाई ताकत. इस फिल्म में फाइटर जेट, ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, हेलीकॉप्टर और मिसाइल क्षमताओं को दिखाया गया है. इसी फिल्म में वायुसेना ने इंडियन स्पेस रिसर्च सेंटर (इसरो) के साथ चल रहे गगनयान के अंतरिक्ष-यात्रियों को दिखाया है. क्योंकि ये बेहद ही संवेदनशील मिशन है इसलिए वायुसेना ने अपने उन वायु-योद्धाओं के नाम और चेहरे नहीं दिखाए हैं जो अंतरिक्ष में जाने वाले हैं. इन सभी एस्ट्रोनॉट्स को जिम में वर्क-आउट करते दिखाया गया है. जाहिर है अंतरिक्ष में जाने से पहले उन्हें व्यायाम और कड़े परिश्रम के जरिए शारीरिक और मानसिक तौर से मजबूत करने पर ध्यान दिया जा रहा है. 

इसरो के बेंगलुरु स्थित एस्ट्रोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में इन वायु-योद्धाओं की कड़ी ट्रेनिंग चल रही है. गगनयान मिशन के लिए वायुसेना ने करीब 60 वायु-योद्धाओं को चुना था. इनमें से 3-4 को ही आखिरी राउंड के लिए योग्य माना गया है. इन अंतरिक्ष-यात्रियों को खास ट्रेनिंग के लिए 2020 में रूस भी भेजा गया था. इन सभी वायु योद्धाओं को रूस के गैगरिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में करीब एक साल के प्रशिक्षण से गुजरना पड़ा था. 

गगनयान अंतरिक्ष की परिक्रमा करने के बाद भारत के समंदर में कही उतरेगा ऐसे में इन वायु-योद्धाओं को इंडियन नेवी के कोच्चि स्थित डीप-डाइविंग ट्रेनिंग सेंटर में भी प्रशिक्षण दिया गया है. गगनयान के लिए इसरो ने अपने एचएलवीएम-3 रॉकेट लॉन्चर और ऑरबिटल-माड्यूल (ओएम) को भी तैयार कर लिया है. इस ऑरबिटल मॉड्यूल में अंतरिक्ष-यात्रियों को बिल्कुल पृथ्वी पर रहने का वातावरण मिलेगा. ये ओएम खास स्टेट ऑफ ट आर्ट एवियोनिक्स से लैस है. 

हालांकि, अभी तक ये साफ नहीं है कि इसरो का ये फ्लैगशिप प्रोजेक्ट कब लॉन्च किया जाएगा लेकिन चंद्रयान-3 की सफलता से संभावनाएं बढ़ गई हैं. हाल ही में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका की यात्रा पर गए थे तब यूएस के साथ स्पेस के क्षेत्र में खास तौर से चर्चा हुई थी. माना जा रहा है कि इसके लिए दोनों देश करार भी कर सकते हैं जिसके तहत अगले साल यानि 2024 में स्पेस के लिए मैन-फ्लाइट भेजी सकती है. इसके लिए इसरो अमेरिका की नासा यानि नेशनल एयरोनॉटिक एंड स्पेस एंजेंसी से लगातार संपर्क में है. 

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