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‘जर्नलिस्ट’ के घर में कैद थे इजरायली बंधक ?

Courtesy: IDF

जिस घर में हमास के आतंकियों ने तीन इजरायली बंधकों को कैद कर रखा था वो अल जज़ीरा चैनल के एक फोटो-जर्नलिस्ट का था. ये दावा किया है इजरायली डिफेंस फोर्स (आईडीएफ) ने. लेकिन अल जज़ीरा ने आईडीएफ के दावे को खारिज किया है. 

शनिवार को हमास के चंगुल से 8 महीने बाद बाइक गर्ल नोआ अर्गमानी समेत 4 बंधकों को इजरायली सेना ने छुड़ाया था. लेकिन अब ये रिपोर्ट सामने कि जिस घर में तीन बंधकों को किडनैप करके आतंकियों ने रखा था, वो किसी और का नहीं बल्कि अल जज़ीरा के रिपोर्टर और फोटो जर्नलिस्ट अब्दलाह अलजमाल का था. दरअसल ये खुलासा उस वक्त हुआ जब गाजा में एक ग्राउंड ऑपरेशन के दौरान अल जजीरा के पत्रकार अब्दुल्ला अलजमाल को मुठभे़ड़ में मार गिराया गया. पत्रकार के घर आईडीएफ जवानों की रेड और गोलीबारी के बाद हाय तौबा मचने लगी तो आईडीएफ ने इस बात का खुलासा किया कि “पत्रकार के घर बंधकों को छिपा कर रखा गया था.”

मारा गया हमास आतंकियों का मददगार अल जजीरा का फ्रीलांस पत्रकार
शनिवार को इजरायली सेना ने बंधकों को छुड़ाने के लिए एक सीक्रेट ग्राउंड ऑपरेशन शुरु किया. जवानों को खुफिया जानकारी मिली थी कि एक घर में कुछ बंधकों को छिपाया गया गया है. इस दौरान जवानों ने धावा बोला वो घर अल जजीरा के लिए लिखने वाले पत्रकार का था. घर में हुई भारी गोलीबारी में पत्रकार अलजमाल की मौत हो गई. जानकारी के मुताबिक, मल्टी-स्टोरी बिल्डिंग में अलजमाल ग्राउंड फ्लोर पर रहता था और बाकी तीन बंधक तीसरे तल पर थे. अलजमाल के घर के करीब से ही इजरायली कमांडो ने 25 साल की नोआ अर्गमानी को छुड़ाया. हालांकि, शुरुआत में ये खबर आई थी कि नोआ को अलजमाल के घर से छुड़ाया गया है लेकिन आईडीएफ ने सोशल मीडिया अकाउंट (‘एक्स’) पर सफाई दी है (https://x.com/IDF/status/1799851736150204610).

पत्रकार की मौत की खबर को सोशल मीडिया पर सबसे पहले ‘ह्यूमन राइट्स मॉनिटर’ के प्रमुख रामी अब्दु ने दी. अब्दु ने आरोप लगाया कि “आईडीएफ सैनिकों ने पत्रकार अब्दुल्ला अलजमाल के घर पर छापा मारा और उनके परिवार के कई सदस्यों को मार डाला.”अब्दु ने कुछ तस्वीरें भी साझा की थी. अल जजीरा के लिए काम करने वाले पत्रकार की मौत मामले में लोग इजरायली सैनिकों को घेरने लगे तो आईडीएफ ने पलटवार करके हुए बताया कि “पत्रकार वास्तव में अपने घर में बंधकों को बंदी बनाकर रखता था.”

आईडीएफ के मुताबिक,”जर्नलिस्ट अब्दलाह अलजमाल एक हमास आतंकी थे जिसने नुसरीत स्थित अपने पारिवारिक घर में अलमोग, आंद्रे और शलोमी को बंधक बनाकर रखा हुआ था.” आईडीएफ ने आगे लिखा कि, “कोई प्रेस की जैकेट उसे (अलजमाल) को बेकसूर नहीं बना सकती है जिस तरह के अपराध उसने किए हैं.” इसके बाद आईडीएफ ने अलजजीरा की वेबसाइट पर छपे अलजमाल के प्रोफाइल का स्क्रीनशॉट साझा करते हुए पूछा,”अलजजीरा, तुम्हारी वेबसाइट पर आतंकी क्या कर रहा है.” 

कौन था पत्रकार अब्दुल्ला अलजमाल ?

गाजा स्थित अलजामल, अल जज़ीरा और ‘फिलिस्तीन क्रॉनिकल’ के लिए फ्रीलांस जर्नलिस्ट के तौर पर काम करता था. फिलिस्तीन क्रॉनिकल, अल-जजीरा के पूर्व अधिकारी रमजी बरौद के नेतृत्व में चलाया जा रहा था और यह आतंकी संगठन हमास का समर्थक था. मारा गया पत्रकार अलजमाल हमास के श्रम मंत्रालय के प्रवक्ता के रूप में भी काम कर रहा था. हालांकि, अल जजीरा ने साफ किया है कि “अब्दुल्ला अल जामल उसका कर्मचारी नहीं था.”

बंधक बनीं बाइकर गर्ल नोआ ने क्या बताया ?
7 अक्टूबर (2023) को हमास के आतंकी नोआ अर्गमानी को जबरन मोटरसाइकिल पर उठा ले गए थे. 7 अक्टूबर को इजरायल पर हुए हमले के बाद नोआ का वीडियो काफी वायरल हुआ था. वीडियो में नोआ मदद के लिए चिल्ला रही थी. नोआ उस वक्त अपने साथियों के साथ नोवा फेस्टिवल में मौजूद थी. 

आतंकियों के चंगुल से छूटने के बाद नोआ ने अपनी आपबीती बताई है. नोआ बताती हैं कि “जब इजरायली कमांडो ने घर पर छापा मारा तो अल जजीरा पत्रकार और उसके परिवार के कई सदस्यों ने मुझे छिपाने की कोशिश की. जिसके बाद फायरिंग में वो लोग मारे गए.” नोआ के कैद में बिताए समय के बारे में बताती हैं कि शुरुआती दिनों में तो खाने की बेहद कमी थी… परिवार के लोग घर का काम करवाते थे. सभी सदस्यों के बर्तन धोने पड़ते थे. घर की सफाई भी करवाई जाती थी. बिन खटखटाए घर के लोग दरवाजे को बेधड़क खोल देते थे.”
नोआ बताती हैं कि जिस दिन इजरायली कमांडो ने उन्हें बचाया वो बर्तन धो रही थीं. अचानक लिविंग रूम से चीख सुनाई दी. उसने नकाबपोश लोगों को देखा जिन्होंने नोआ को बताया कि वो आईडीएफ के हैं. नोआ ने कहा, “पहले तो मुझे लगा कि ये सब सपना है. पर वो कमांडो मुझे पहचानने की कोशिश कर रहे थे. बाद में मेरी इजाजत से मुझे कमांडो ने कंधे पर उठाया और सुरक्षित बाहर निकाला. तब अहसास हुआ ये सपना नहीं सच है.”

इजरायल में बैन कर दिया गया है अल जज़ीरा
यह पहली बार नहीं है जब गाजा के नागरिक आतंकवादी संगठनों की ओर से अपने घरों में बंधकों को रख रहे थे. हमास के हमले के बाद आईडीएफ द्वारा रिहा कराकर लाए बंधकों ने भी कहा था कि गाजा पट्टी के आसपास नागरिक घरों में उन्हें बंदी बनाकर रखा गया था. आईडीएफ शुरुआत से यही कह रही है कि आतंकी फिलिस्तीनी नागरिकों को रक्षा-कवच के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं. मई के महीने में इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की कैबिनेट ने गाजा में युद्ध जारी रहने तक इजरायल में अल जज़ीरा का संचालन बंद कर दिया है. इजरायल की तरफ से कहा गया है कि अल जज़ीरा का प्रसारण राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है. अल जजीरा पर इस्लामी आतंकी संगठनों के प्रति नरम रूख अपने और उन्हें मदद पहुँचाने के आरोप लगते रहे हैं.

ऑपरेशन समर-सीड

गाजा के प्रशासन के मुताबिक, शनिवार को आईडीएफ के ऑपरेशन ‘समर-सीड’ में 250 से ज्यादा लोग मारे गए और करीब 700 लोग घायल हुए. वहीं आईडीएफ का दावा है कि बंधकों को नुसरीत के एक भीड़-भाड़ वाले मार्केट की दो अलग-अलग बिल्डिंग में कैद कर रखा था. ऐसे में ऑपरेशन के दौरान करीब 100 लोग मारे गए. पिछले आठ महीने से चल रही इजरायल-हमास युद्ध में ये सबसे बडा ऑपरेशन है जिसमें इतनी बड़ी तादाद में लोग हताहत हुए हैं (बाइक वाली इजरायली युवती 245 दिन बाद रिहा, हमास पर बड़ा प्रहार).

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