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जवान के फेसबुक Live से बवाल, असम राइफल्स ने किया आरोपों को खारिज

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असम राइफल्स के जवान द्वारा ‘फेसबुक लाइव’ के जरिए अपनी सेवाओं में आ रही मुश्किलों और सीओ के खिलाफ आरोपों को लेकर हड़कंप मच गया है. ये वीडियो ऐसे समय में सामने आया है जब असम राइफल्स ने अपना सालाना रिपोर्ट बुधवार को ही राजधानी दिल्ली स्थित गृह सचिव को सौंपी है. हालांकि, असम राइफल्स ने भी एक वीडियो संदेश जारी कर सभी आरोपों को ‘बेबुनियाद’ बताते हुए जवान के खिलाफ ‘उचित कार्रवाई’ की घोषणा की है. 

सोमवार को असम राइफल्स के एक जवान ने अपनी यूनिट के मुख्यालय पर जाकर फेसबुक लाइव किया और अपने कमांडिंग ऑफिसर (सीओ) सहित वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ जमकर आरोप लगाए. फेसबुक लाइव में जवान सीओ के दफ्तर (प्रशासनिक कार्यालय) के बाहर पहुंचकर आरोप लगाता है कि उसे सर्विस से ‘डिस्चार्ज क्यों नहीं किया जा रहा’ है. जवान पेंशन लेने की बात कहता है और आरोप लगाता है कि पिछले एक साल से उसकी अपील पर ध्यान क्यों नहीं दिया जा रहा है. वीडियो में सीओ ऑफिस के बाहर कई जवान और अधिकारी भी दिखाई देते हैं. पीड़ित (अब आरोपी) जवान अपने साथी जवानों को करीब ना आने की चेतावनी देते हुए भी दिखाई पड़ता है. वीडियो में वो सीओ, एडजुटेंट और कंपनी कमांडर को हो अपनी परेशानियों के लिए दोषी ठहरा रहा है. 

जानकारी के मुताबिक, जवान ने अपनी यूनिट के कार्यालय में जाकर तोड़फोड़ की थी. इसके अलावा अपनी सीओ की गाड़ी को भी नुकसान पहुंचाता है. 

असम राइफल्स, देश की एकमात्र पैरा-मिलिट्री फोर्स है जिसकी जिम्मेदारी म्यांमार बॉर्डर की सुरक्षा और उत्तर-पूर्व के राज्यों में आंतरिक सुरक्षा की है. उत्तर-पूर्व में उग्रवाद कम करने में असम राइफल्स की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. असम राइफल्स में जवानों की सीधी भर्ती होती है जबकि अधिकारी भारतीय सेना से डेप्यूटेशन पर आते हैं. प्रशासनिक कार्यों के लिए असम राइफल्स हालांकि गृह मंत्रालय के अधीन है लेकिन ऑपरेशन्स के मामलों के लिए थल सेना के अंतर्गत काम करती है. बुधवार को ही असम राइफल्स के महानिदेशक (डीजी) पी सी नायर ने फोर्स की सालाना रिपोर्ट गृह सचिव अजय कुमार भल्ला को सौंपी है (https://x.com/official_dgar/status/1795790513800671467).

फेसबुक लाइव वीडियो के सामने आने के बाद असम राइफल्स भी हरकत में आई और एक जवाबी वीडियो संदेश जारी किया. वीडियो में एक कर्नल रैंक (सीओ) के अधिकारी ने बताया कि आरोपी (पीड़ित) जवान के सभी आरोप ‘बेबुनियाद’ और ‘तर्कहीन’ हैं. कर्नल ने जवान को ‘आदतन-अपराधी’ बताया है जिसके खिलाफ पहले भी ‘दंडात्मक कार्रवाई’ की जा चुकी है. अधिकारियों ने आरोप लगाया कि ये जवान “संस्था (असम राइफल्स ) को बदनाम करने की कोशिश कर रहा है.”

वीडियो में कर्नल ने बताया कि असम राइफल्स एक जिम्मेदार संस्था है हर जवान की परेशानी को सुलझाने के लिए एक सुचारू व्यवस्था है. साथ ही शिकायतों को सुलझाने के लिए बनी व्यवस्था ‘सभी जवानों को उपलब्ध है’. 

असम राइफल्स ने आरोपी जवान पर अनुशासनहीनता और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाते हुए ‘उचित कार्रवाई’ की बात कही है (https://x.com/official_dgar/status/1795774094069346572).

ये घटना ऐसे समय में सामने आई है जब पिछले एक साल से मणिपुर में जातीय हिंसा भड़की हुई है. हिंसा को रोकने के लिए बड़ी संख्या में असम राइफल्स की तैनाती मणिपुर में की गई है. 

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