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पुतिन समर्थक Le Pen फ्रांस में आगे, चुनाव में मैक्रों हार के कगार पर

Marine Le Pen with supporters.

द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद फ्रांस के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है जब इस्लामिक कट्टर विरोधी और शरणार्थियों के विरोध में मुखर, नाटो और यूरोपीय यूनियन के फैसलों का विरोध करने वाली सरकार बनती दिख रही है. फ्रांस में दक्षिणपंथी नेता मरीन ले पेन की पार्टी आगे चल रही है जो खुद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की समर्थक मानी जाती रही हैं. 

फ्रांस में पहली बार दक्षिणपंथी नेशनल रैली पार्टी आगे चल रही है. हालांकि फ्रांस में 7 जुलाई को दूसरे चरण का मतदान होने वाला है लेकिन एग्जिट पोल में राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की पार्टी तीसरे नंबर पर चल रही है. मरीन ले पेन की पार्टी नेशनल रैली बाजी मार रही है. अगर फ्रांस में मरीन ले पेन की पार्टी की सरकार बनती है तो यूरोपीय यूनियन और नाटो के भविष्य के फैसलों लेकर दूरगामी परिणाम हो सकते हैं.

दरअसल फ्रांस में मध्यावधि चुनाव हो रहे हैं. पिछले महीने हुए यूरोपीय संसद के चुनाव में मिली हार के बाद मैक्रों ने फ्रांस में चुनावों की घोषणा कर दी थी. यूरोपीय संसद के चुनाव में भी मरीन ले पेन की पार्टी को जीत हासिल हुई थी. 

रविवार को फ्रांस के पहले दौर के चुनावों में धुर दक्षिणपंथी मरीन ले पेन की पार्टी ने धमाकेदार जीत हासिल की है. इमैनुएल मैक्रों की विदाई तय मानी जा रही है. 7 जुलाई को दूसरे चरण का मतदान होना है लेकिन फ्रांस के एग्जिट पोल में मरीन ले पेन की सरकार बनती दिख रही है. 

फ्रांस की सत्ता में आएंगी पुतिन की कट्टर समर्थक ले पेन? 

यूक्रेन युद्ध के दौरान फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने खुलकर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का विरोध किया है. मैक्रों, पुतिन के कट्टर विरोधी माने जाते हैं. यहां तक की मैक्रों ने रूस के खिलाफ लड़ने के लिए अपने फ्रांसीसी सैनिकों तक को‌ यूक्रेन भेज दिया था. जिसको लेकर रूस और फ्रांस में तनाव और बढ़ गया था. 

वहीं चुनाव में बढ़त बनाने वाली नेशनल पार्टी की शीर्ष नेता मरीन ले पेन पुतिन के पक्ष में बोलने वाली नेता हैं. साल 2017 में पुतिन से मरीन ले पेन के हाथ मिलाने की तस्वीर ने दुनिया भर में सुर्खियां बटोर ली थी. जिस पर मैक्रों और ले पेन ने एक दूसरे पर सियासी छींटाकशी की थी. मैक्रों ने ले पेन को ये तक कह डाला था कि उनकी पार्टी क्रेमलिन (पुतिन का आधिकारिक कार्यालय) के पैसों पर पलती है. दरअसल ये टिप्पणी इसलिए की गई थी क्योंकि साल 2014 में, नेशनल फ्रंट ने 11 मिलियन यूरो (9.4 मिलियन डॉलर) का रूसी ऋण लिया थी.  नौ मिलियन डॉलर का एक ऋण क्रेमलिन से जुड़े एक छोटे बैंक, फर्स्ट चेक रशियन बैंक से आया था. ले पेन ने ऋण पर बातचीत रूस द्वारा क्रीमिया पर कब्जा करने के समय हुई थी. यूरोपीय संघ की सरकारों ने इसकी निंदा की थी. हालांकि अपनी सफाई में ले पेन ने मैक्रों पर पलटवार करते हुए रशियन लोन की जानकारी देते हुए बताया कि लोन वाणिज्यिक था. 

नाटो और ईयू से अलग है नेशनल रैली पार्टी की सोच

चुनाव से पहले दक्षिणपंथी पार्टी नेशनल रैली के नेताओं ने सोशल मीडिया और अपनी सभाओं में ऐसे कई बयान दिए जिनकी चर्चाएं की गई. मरीन ले पेन ने कहा है कि “सरकार बनने पर वो यूक्रेन युद्ध को सकारात्मक तरीके से खत्म करने की पहल करेंगी, जो मैक्रों के फैसलों से उलट होंगे.” 

इसके अलावा नेशनल रैली के पीएम उम्मीदवार  जॉर्डन बार्डेला ने भी कहा है कि ” वह यूक्रेन को रूस से बचाएंगे और रूस को चिढ़ाएंगे भी नहीं. ” जार्डन बार्डेला नेशनल रैली के वो नेता है, जिन्होंने हाल ही में ये कहा था कि “वह सत्ता में आते हैं तो फ्रांस को नाटो सैन्य कमांड से बाहर कर देंगे”. मगर विवाद होने पर अपने बयान से पलटी मारते हुए दोबारा कहा कि “अगर फ्रांस नाटो से अलग हो गया तो युद्ध के दौर में यह फैसला घातक हो सकता है.”

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