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Havana Syndrome की फिरकी, रुस ने झाड़ा पाला

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‘हवाना सिंड्रोम’ का जिन्न एक बार फिर बोतल से बाहर आ गया है. अमेरिका की खुफिया एजेंसियों द्वारा दुश्मन देश (रशिया) को क्लीन-चिट दिए जाने के महज एक साल के भीतर एक बार फिर ऐसी रिपोर्ट सामने आई हैं जिसमें यूएस डिप्लोमेट और पेंटागन से जुड़े अधिकारियों को इसका सामना करना पड़ा है. शक की सुई रशिया की तरफ घूमी तो क्रेमलिन ने सभी आरोपों को बेबुनियाद करार दे दिया है.

अमेरिका रक्षा विभाग (पेंटागन) ने इस बात की पुष्टि की है कि पिछले साल वियना में हुई नाटो सदस्य देशों की बैठक के दौरान पेंटागन से जुड़े एक सीनियर ऑफिसर को हवाना सिंड्रोम का सामना करना पड़ा था. दरअसल, अमेरिकी और जर्मन मीडिया ने हवाना सिंड्रोम पर ऐसी रिपोर्ट सामने आई हैं जिसमें आरोप रुस की मिलिट्री इंटेलिजेंस एजेंसी, जीआरयू की एक यूनिट (‘नंबर 29155’) पर लगाया है. रिपोर्ट के मुताबिक, जब भी अमेरिका का कोई भी डिप्लोमेट, मिलिट्री ऑफिसर या इंटेलिजेंस एजेंट हवाना सिंड्रोम का शिकार हुआ, “उसके आसपास इस यूनिट की मौजूदगी देखी गई है.” 

पिछले सात-आठ साल से अमेरिका के राजनयिक और सैन्य अधिकारियों ने हवाना सिंड्रोम की शिकायत की है. पहली बार वर्ष 2016 में क्यूबा की राजधानी हवाना में तैनात अमेरिका राजनयिकों ने अजीब आवाज सुनाई देना और सिर चकराने की शिकायत की थी. इन राजनयिकों ने बताया कि क्यूबा में तैनाती के दौरान उनके कानों में अजीब तरह की आवाज सुनाई देती है. ये आवाज राजनयिकों के अलावा किसी दूसरे को सुनाई नहीं देती थी. 

हवाना के बाद चीन इत्यादि देशों में तैनात अमेरिकी अधिकारियों ने भी ऐसी शिकायत की थी. क्यूबा की राजधानी में पहली बार ऐसी घटना सामने आने के चलते इसे हवाना सिंड्रोम का नाम दिया गया है. खास बात ये है कि वर्ष 2021 में जब अमेरिका की खुफिया एजेंसी, सीआईए (सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी) के चीफ बिल बर्न्स भारत के दौरे पर आए थे, तब उनके एड-डी-कैंप (अस्सिटेंट) ने भी हवाना सिंड्रोम की शिकायत की थी. 

इन घटनाओं की गंभीरता को देखते हुए अमेरिका ने कई बार बड़ी जांच बैठाई ताकि हवाना सिंड्रोम का सही कारण पता लगाया जा सके. शुरुआत में ये माना जाता था कि किसी खास रेडिएशन, माइक्रोवेव वेपन या फिर एनर्जी-वेपन के चलते ऐसी हेल्थ-एनोमेली यानी स्वास्थ्य विसंगति का शिकार होना पड़ता है. लेकिन यूएस इंटेलिजेंस एजेंसियों (कमेटी) की जांच में साफ हो गया कि किसी दुश्मन देश (रशिया इत्यादि) ने ऐसा नहीं किया है. ये अमेरिकी राजनयिकों इत्यादि में किसी मानसिक विसंगति के कारण संभव है. 

जर्मन और अमेरिकी मीडिया की रिपोर्ट ने हालांकि एक बार फिर पैंडोरा-बॉक्स खोल दिया है. इस रिपोर्ट के बाद ही अमेरिकी रक्षा विभाग ने कबूला कि पिछले साल वियना (आस्ट्रिया) में हुई नाटो देशों की बैठक में पेंटागन के एक सीनियर अधिकारी को इस हवाना सिंड्रोम का शिकार होना पड़ा था. 

पश्चिमी मीडिया की रिपोर्ट को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के ऑफिस (क्रेमलिन) में तैनात प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने बेबुनियाद बताते हुए कहा कि आज तक हवाना सिंड्रोम को लेकर किसी ने कोई सबूत पेश नहीं किया है. खुद अमेरिकी राष्ट्रपति के ऑफिस (व्हाइट हाउस) की एक प्रवक्ता ने सोमवार को सफाई दी थी कि अभी तक हवाना सिंड्रोम में रुस के हाथ होने के कोई सबूत नहीं मिले हैं.

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