TheFinalAssault Blog Alert Breaking News Ukraine: स्विस शांति वार्ता में रुस भी आमंत्रित
Alert Breaking News Russia-Ukraine War

Ukraine: स्विस शांति वार्ता में रुस भी आमंत्रित

Swiss President & Foreign Minister addressing press conference.

रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के पीस-फॉर्मूले को ठुकराने के एक ही दिन बाद स्विट्जरलैंड ने यूक्रेन युद्ध समाप्त कराने के लिए शांति वार्ता सम्मेलन का औपचारिक ऐलान कर दिया है. यूक्रेन में शांति के लिए स्विट्जरलैंड में अंतर्राष्ट्रीय मंच सजाया जाएगा. स्विट्जरलैंड सरकार ने बुधवार को कहा कि 15-16 जून को लुजर्न के पास लग्जरी बर्जनस्टॉक रिजॉर्ट में सम्मेलन का आयोजन होगा. अंतर्राष्ट्रीय शांति वार्ता की मेजबानी स्विस राष्ट्रपति वियोला एमहर्ड करेंगी, यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने भी सम्मेलन को लेकर सहमति दे दी है. स्विट्जरलैंड ने उम्मीद जताई है कि दो दिन के सम्मेलन में किसी दिन रूस भी शामिल हो सकता है.

हमने रूस को सबसे पहले आमंत्रित किया: स्विट्जरलैंड
स्विट्जरलैंड के विदेश मंत्री इग्नाजियो कैसिस ने राजधानी बर्न में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि “यूक्रेन के बाद हमने सबसे पहले रूस से बात की, क्योंकि रूस के बिना शांति प्रक्रिया नहीं हो सकती, भले ही वह पहली बैठक में मौजूद न हो.” स्विट्जरलैंड के विदेश मंत्री कैसिस ने कहा कि “रूस को देर-सबेर वहां रहना ही होगा, यह अनिवार्य नहीं है कि यह पहले दिन हो. पहले दिन हम सभी देश मिलकर इस बात पर सहमत हो सकते हैं, कि रूस को बेहतर तरीके से कैसे शांति वार्ता के लिए आमंत्रित किया जाए. यह हमारे लिए कड़ी मेहनत का काम है.” स्विस विदेश मंत्री इग्नाजियो कैसिस ने जनवरी में न्यूयॉर्क में अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव से मुलाकात की थी. इस दौरान कैसिस और लावरोव के बीच शांति वार्ता को लेकर बातचीत हुई थी. पर लावरोव ने उस वक्त भी दोहराया था कि जब तक रूस के लक्ष्य पूरे नहीं होंगे तब तक यूक्रेन में शांति नहीं होगी (https://x.com/ignaziocassis/status/1778084602260639982).

स्थायी शांति की दिशा में यह पहला कदम: स्विस राष्ट्रपति

बर्न में पत्रकारों को संबोधित करते हुए स्विस राष्ट्रपति वियोला एमहर्ड ने शांति वार्ता को स्थायी शांति का ‘पहला कदम’ बताया है. रूस के शांति सम्मेलन के विरोध पर राष्ट्रपति एमहर्ड ने कहा कि ‘”हम इस सम्मेलन में शांति योजना पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे.” राष्ट्रपति एमहर्ड ने उम्मीद जताई है कि इसके बाद दूसरा सम्मेलन भी होगा.

कौन-कौन से देश शांति वार्ता में होंगे शामिल ?

स्विस राजनयिक के मुताबिक जून में होने वाली सभा में 100 से अधिक देशों को आमंत्रित किया जाएगा. बैठक में जो बाइडेन के आने की उम्मीद थी 

लेकिन अब स्विट्जरलैंड में अमेरिकी राष्ट्रपति पर सस्पेंस है. व्हाइट हाउस ने अपने ताजा बयान में कहा है कि अमेरिकी प्रशासन की तरफ से कौन शिखर सम्मेलन में भाग ले सकता है, इसके बारे में अभी तक कोई निर्णय नहीं किया गया है. चीन ने पहले इस सम्मेलन में भाग लेने के लिए हामी भरी थी लेकिन हाल ही में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव की मुलाकात के बाद चीन ने भी ये कहा कि “बिना रूस के बातचीत संभव नहीं है.” अमेरिका-चीन के अलावा यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने भारत को भी आमंत्रित किया है. जेलेंस्की ने फोन करके पीएम मोदी से शांति वार्ता को लेकर बाद की थी. इसके अलावा यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा खुद दिल्ली पहुंचकर एस जयशंकर से मिले थे और शांति सम्मेलन का समर्थन मांगा था. स्विस सरकार ने कहा, इस सम्मेलन की बातचीत के शुरुआती समय में यूरोपीय संघ और ब्राजील, चीन, इथियोपिया, भारत, सऊदी अरब और दक्षिण अफ्रीका सहित ग्लोबल साउथ के दूत शामिल थे.
हमारी बिना कैसे होगी शांति वार्ता, स्विट्जलैंड तटस्थ नहीं: रूस
रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने चेतावनी दी है कि यूक्रेन में लड़ाई समाप्त करने के लिए संभावित वार्ता तभी सफल हो सकती है जब वो मॉस्को के हितों को ध्यान में रखते हैं.  रूस ने अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने को पश्चिमी देशों की चाल करार देते हुए शांति वार्ता को खारिज कर दिया है. मॉस्को ने कहा है कि हम युद्ध समाप्त करने के लिए “बातचीत के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन ये वार्ता तभी सफल हो सकती है जब रूस के हितों के बारे में बात हो.” नाराज रूस ने आरोप लगाया है कि 

स्विट्जरलैंड को अब तटस्थ नहीं माना जा सकता है. दरअसल स्विट्जरलैंड को तटस्थ देश माना जाता है. तटस्थता की नीति के तहत, स्विट्जरलैंड दो देशों के बीच लड़ाई में किसी तरह का सैन्य सहयोग नहीं करता है. न तो अपने सैनिक देता है और न ही हथियार.

जेलेंस्की ने दिया है सुलह का फार्मूला
दुश्मन देशों के बीच सुलह कराने का स्विट्जरलैंड में इतिहास पुराना है. रूस-यूक्रेन के अलावा पहले भी स्विट्जरलैंड ने बर्जनस्टॉक में राजनयिक सभाओं की मेजबानी की है, जिसमें 2004 में ग्रीक और तुर्की-साइप्रस के बीच वार्ता भी शामिल है. इसके जरिए भूमध्यसागरीय द्वीप पर सुलह का मार्ग निकालने के लिए पहल की गई थी. जून में होने वाले सम्मेलन का उद्देश्य “अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुसार यूक्रेन के लिए व्यापक, न्यायसंगत और स्थायी शांति के तरीकों के लिए एक मंच स्थापित करना होगा.” ज़ेलेंस्की ने 10 सूत्रीय शांति फॉर्मूला प्रस्तुत किया है, जिसमें यूक्रेन से रूसी सैनिकों को हटाना अहम है. इसके अलावा वॉर क्राइम की जवाबदेही की मांग की गई है. इससे पहले बीजिंग ने एक साल पहले यूक्रेन में लड़ाई खत्म करने के लिए अपना 12-सूत्रीय प्रस्ताव पेश किया था. चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि बीजिंग एक ऐसे सम्मेलन का समर्थन करता है जिसे रूस और यूक्रेन दोनों ने स्वीकार करते हैं.

फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूस से आक्रमण शुरु कर दिया था, ऐसा माना जा रहा था कि रूस यूक्रेन के आगे टिक नहीं पाएगा. पर 2 साल से ज्यादा से युद्ध जारी है. रूस ने शांति वार्ता को व्यर्थ बता दिया है. मॉस्को के सहयोगी चीन ने भी रूस के बिना बातचीत को सकारात्मक नहीं बताया है. भारत पर भी नजर टिकी हुई है कि वो अंतर्राष्ट्रीय वार्ता में शामिल होगा या नहीं. रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने भी दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद कहा था, “हमने कभी भी शांति वार्ता के लिए मना नहीं किया, हम बातचीत के लिए तैयार है. यूक्रेन के साथ जंग खत्म करने का समय आ गया है पर पश्चिमी देश यूक्रेन के कंधों पर रखकर बंदूक चला रहे हैं. हम अपने वतन की रक्षा करना बखूबी जानते हैं, हमें पश्चिमी देशों से भी बातचीत करने में कोई दिक्कत नहीं है. इसके लिए मैंने खुद कई साल तक कोशिश की, लेकिन अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देश हल चाहते ही नहीं है. हमें हमेशा नजरअंदाज किया गया. पश्चिमी देश पुलिस की भूमिका निभाना बंद कर दे.”

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