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Territorial Army लड़ेगी साइबर-वारफेयर, महिलाएं भी बन सकती हैं Cyber warriors (TFA Special)

File: Indian Army's cyber-warriors with the then COAS Gen MM Naravane

कपिल देव और महेंद्र सिंह धोनी के बाद अब टेरिटोरियल-आर्मी (टीए) में साइबर-वॉरियर्स की भर्ती होने जा रही है. इस बाबत टीए हेडक्वार्टर ने अधिसूचना जारी कर साइबर-वारफेयर के लिए विज्ञापन भी जारी कर दिया है. शुरूआत में साइबर-वारफेयर के लिए कुल छह (06) पदों के लिए भर्ती निकाली गई है. खास बात ये है कि 18-42 उम्र तक के सिविलियन महिला और पुरुष उम्मीदवार इस पद के लिए आवेदन कर सकते हैं. सेना के अधिकारी इस पद के लिए अप्लाई नहीं कर सकते हैं.

टेरिटोरियल-आर्मी (प्रादेशिक सेना) एक रिजर्व (अस्थाई) मिलिट्री सेवा है जो जरूरत पड़ने पर भारतीय सेना की मदद करती है. इसके लिए साल में एक बार दो महीने के लिए सभी अधिकारियों को सैन्य-प्रशिक्षण से गुजरना पड़ता है. हाल ही में टीए में चीनी भाषा के जानकार अधिकारियों की भर्ती की गई थी ताकि बॉर्डर पर चीनी सेना के कमांडर्स से होने वाली बीपीएम (बॉर्डर पर्सनल मीटिंग) में भारतीय सेना की मदद कर सकें. साइबर-वारफेयर के लिए होने वाली भर्ती भी इसी कड़ी में मानी जा सकती है. क्योंकि भारतीय सेना को चीन और पाकिस्तान के साइबर-अटैक से लगातार दो-चार होना पड़ता है. 

साल 2019 में भारत ने साइबर डिफेंस एजेंसी का गठन किया था. ये एक ट्राई-सर्विस एजेंसी है जिसमें सेना के तीनों अंगों यानी थलसेना, वायुसेना और नौसेना की भागीदारी है. इसका मुख्य चार्टर साइबर-सर्विलांस से लेकर सेना के तीनों अंगों को दुश्मन के साइबर-अटैक से बचाना है. ऐसे में टेरिटोरियल-आर्मी में साइबर-वॉरियर्स की भर्ती बेहद महत्वपूर्ण हो जाती है. 

टीए हेडक्वार्टर ने साइबर-वारफेयर के नाम से ही रिक्तियां निकाली हैं. इसके लिए आवेदकों को कंप्यूटर साइंस (सीएस) और इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी (आईटी) में 60 प्रतिशत अंकों के साथ बीटेक (इंजीनियरिंग) डिग्री जरूरी है. साथ ही मोबाइल एप और वेब एप्लिकेशन जैसे विषयों का सर्टिफिकेट भी जरूरी है. साइबर सिक्योरिटी और सीएस में एमटेक या फिर दो साल के अनुभव वाले आवेदकों को भर्ती में वरीयता दी जाएगी. सफल आवेदकों को एक लिखित परीक्षा के साथ-साथ प्रेक्टिकल और इंटरव्यू से भी गुजरना पड़ेगा. 20 नवंबर से उम्मीदवार ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. आवेदन करने की आखिरी तारीख 19 दिसम्बर है. पदों के लिए इंटरव्यू जनवरी के महीने में होगा. 

टीए विज्ञापन के मुताबिक, आवेदकों को गेनफुल एम्प्लोयेड यानी ऐसी नौकरी में होना जरूरी है जहां से उन्हें नियमित सैलरी मिलती हो. क्योंकि टीए एक रिजर्व (अस्थायी) सेवा है. लेकिन मिलिट्री ट्रेनिंग और सेना में सेवाओं के दौरान उन्हें अलग से पेय मिलेगी. उनका पेय-स्केल वही होगा जो सेना के लेफ्टिनेंट का होता है. टीए की टैग लाइन ही है ‘पार्ट टाइम कमिटमेंट एंड नोट ए फुल टाइम करियर’.

शुरुआत में साइबर-वारफेयर के लिए सफल उम्मीदवारों की नियुक्ति लेफ्टिनेंट के पद पर ही होगी. एक लेफ्टिनेंट का पेय-मैट्रिक्स 56,100-1,77,500 होता है. इसके अलावा 15,500 की अतिरिक्त मिलिट्री सर्विस पेय (एमएसपी) भी मिलती है. टीए में अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल रैंक तक पहुंच सकते हैं. सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल, 12ए स्तर का अधिकारी होता है जिसका पेय-मैट्रिक्स 1,21,200-2,12,400 होता है और एमएसपी 15,500. साइबर-वारफेयर की भर्ती के लिए महिला व पुरुष दोनों कैटेगरी के उम्मीदवार आवेदन कर सकते हैं. आवेदन करने के लिए अभ्यर्थी की उम्र 18 से 42 वर्ष के बीच होनी चाहिए और शारीरिक रूप व मानसिक रूप से अभ्यर्थी को स्वस्थ होना चाहिए.

टीए का गठन 1949 में हुआ था और फिलहाल इसमें 74 इंफैन्ट्री बटालियन हैं. इनमें से 14 बटालियन जम्मू-कश्मीर में एंटी-टेरेरिस्ट ऑपरेशन में तैनात हैं. इसके अलावा एयरबोर्न यूनिट भी हैं. भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी एयरबोर्न यूनिट के हॉनरेरी अफसर हैं. इसके अलावा 1983 विश्व कप जीतने वाली भारतीय टीम के कप्तान कपिल देव और सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर भी प्रादेशिक सेना का हिस्सा हैं. टीए की इकोलॉजिकल टास्क फोर्स ने हाल के सालों में देश के अलग-अलग हिस्सों में पेड़ लगाने से लेकर गंगा-सफाई अभियान जैसे पर्यावरण संरक्षण कार्यक्रम में हिस्सा लेकर काफी ख्याति अर्जित की है. 

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