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अगले साल आएंगी S-400 की दो बैटरी

Russian S 400 missile system.

सतह से हवा में मार करने वाली रूस की घातक मिसाइल प्रणाली एस-400 ट्रायम्फ की बाकी दो रेजिमेंट अगले साल तक भारत पहुंच जाएंगी. यूक्रेन के साथ चल रहे युद्ध के बीच भारत और रूस के बीच हुए एस-400 मिसाइल एयर डिफेंस सिस्टम की अगली आपूर्ति की तारीख सामने आई है. साल 2021 के बाद अब अगले साल यानी 2025 में भारत को एस 400 मिसाइल मिल जाएगी.

पड़ोसियों के नापाक इरादे और चालबाजी को भारत अच्छे से समझता है, इसलिए भारत की वायुशक्ति बढ़ाने के लिए रूसी मिसाइल एस 400 को बेहद अहम समझता है. रूस के एयर डिफेंस सिस्टम के लिए भारत, अमेरिका की वॉर्निंग भी दरकिनार कर चुका है. रूस का एस-400 मिसाइल एयर डिफेंस सिस्टम भारत में किसी भी संभावित हवाई हमले को नाकाम करने में सक्षम है. रूस अब तक भारत को तीन एस-400 सिस्टम पहुंचा चुका है. रूस ने दिसंबर 2021 में मिसाइल सिस्टम की पहली इकाई की आपूर्ति की थी. इन्हें चीन की सीमा के कुछ हिस्सों के साथ-साथ पाकिस्तान सीमा पर तैनात किया जा चुका है.

एस 400 ने उड़ाई चीन-पाकिस्तान की नींद

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की अक्टूबर 2018 में हुई भारत यात्रा के दौरान भारत और रूस के बीच एस-400 मिसाइल तकनीक के लिए करार हुआ था. यह दुनिया की सबसे सटीक एयर डिफेंस प्रणाली है. एस-400 मिसाइल सिस्टम की रेंज 40 से 400 किलोमीटर तक है, इसकी जद में पाकिस्तान और चीन हैं. 
एस-400 मोबाइल सिस्टम है यानी सड़क के ज़रिए इसे लाया-ले जाया सकता है. आदेश मिलने के बाद पांच से 10 मिनट के भीतर इसे तैनात किया जा सकता है. इसे विमान, क्रूज़ और बैलिस्टिक मिसाइलों और हाइपरसोनिक हथियारों को नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. यह आसमान से घात लगाकर आते हमलावर को पलभर में राख कर सकता है. इसके सामने दुश्मन टिक नहीं सकता, पावरफुल एयर डिफेंस सिस्टम के बल पर भारत न्यूक्लियर मिसाइलों को अपनी जमीन तक पहुंचने से पहले ही हवा में ही ध्वस्त करने में सक्षम है. 

एस 400 मिसाइल सिस्टम के रडार से भारत चीन-पाकिस्तान की सीमा के अंदर भी नजर रख सकेगा. जंग के दौरान भारत S-400 सिस्टम से दुश्मन के लड़ाकू को सटीक निशाना बना सकता है, चाहे चीन का जे-20 फाइटर प्लेन हो या फिर पाकिस्तान का (अमेरिकी) एफ-16 लड़ाकू विमान. एस 400 माइनस 50 डिग्री तक तापमान में काम करने में सक्षम है. सबसे खास बात ये है कि रूसी एयर डिफेंस सिस्टम को डिटेक्ट नहीं किया जा सकता. रूस पहले ही 5.5 अरब डॉलर के सौदे के तहत भारत को लंबी दूरी की इस मिसाइल प्रणाली की तीन इकाइयों की आपूर्ति कर चुका है.

अमेरिका दे चुका है प्रतिबंध की चेतावनी
चीन और पाकिस्तान की चुनौतियों से निपटने के लिए भारत खतरनाक एयर डिफेंस सिस्टम खरीद रहा है. रूस के साथ सौदा होने से अमेरिका ने भारत को चेतावनी दी थी कि अनुबंध आगे बढ़ने पर काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सेंक्शंस एक्ट (सीएएटीएसए) के तहत प्रतिबंध लग सकते हैं. सीएएटीएसए रूसी रक्षा और खुफिया क्षेत्रों के साथ लेनदेन में लगे किसी भी देश के खिलाफ एक तरह की दंडात्मक कार्रवाई है. इसी क़ानून के तहत, अमेरिका ने अपने नाटो सहयोगी तुर्किए पर भी एस 400 मिसाइल सिस्टम ख़रीदने पर प्रतिबंध लगा दिया था. पर भारत को अमेरिका ने रियायत दी क्योंकि रूस के साथ अमेरिका से भी भारत ने रक्षा क्षेत्र में बड़े सौदे किए हैं.

रूस में तैयार हो रहे भारत के ‘तुशिल और तमाल’
आईएनएस तुशिल और आईएनएस तमाल को रूस में तैयार किया जा रहा है. भारत को युद्धपोत तुशिल जुलाई के बाद मिलने की उम्मीद है. कहा जा रहा है कि आईएनएस तुशिल इस साल के अंत तक भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल हो जाएगा, जबकि दूसरा युद्धपोत तमाल की आपूर्ति भी दिसंबर-जनवरी (2025) तक कर दी जाएगी. दोनों युद्धपोतों को रूस ने ही बनाया है. भारतीय नौसेना की एक टीम ने हाल ही में रूस में शिपयार्ड का दौरा किया था, जहां युद्धपोतों को तैयार किया जा रहा है. नौसेना की टीम द्वारा परियोजना का निरीक्षण किया गया. रूस में बनाए जा रहे दो युद्धपोत विदेशी शिपयार्ड में बनाए जाने वाले आखिरी भारतीय जहाज होंगे क्योंकि भारतीय नौसेना अब आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दे रही है और अब युद्धपोत भारत में ही बनाए जा रहे हैं. आईएनएस तुशिल और आईएनएस तमाल बनाने का करार पूर्व रक्षा मंत्री दिवंगत मनोहर पर्रिकर के कार्यकाल के दौरान हुआ था. 

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