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मालदीव के तेवर नरम, गोवा Maritime Conclave में करेगा शिरकत

भारत से बिगड़ते संबंधों के बीच मालदीव के प्रतिनिधि गोवा में आयोजित मेरीटाइम कॉन्क्लेव (29-31 अक्टूबर) में हिस्सा लेने पहुंच रहे हैं. भारतीय नौसेना द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में हिन्द महासागर क्षेत्र के एक दर्जन देशों के वरिष्ठ सैन्य प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं. मालदीव के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ू भारत के धुर-विरोधी माने जाते हैं और चीन से करीबी संबंध हैं. हाल ही में आम चुनाव में जीतने के बाद मुइज्ज़ू ने ये कहकर सनसनी फैला दी थी कि वे मालदीव में मौजूद विदेशी (भारत) के सैनिकों को देश से बाहर निकाल देंगे.

भारतीय नौसेना के मुताबिक, गोवा मेरीटाइम कॉन्क्लेव (जीएमसी) का चौथा संस्करण होने जा रहा है जिसे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और चीफ ऑफ नेवल स्टाफ एडमिरल आर हरि कुमार संबोधित करेंगे. इस साल के सम्मेलन का थीम है मेरीटाइम सिक्योरिटी इन द इंडियन ओसियन रीजन. गोवा स्थित नेवल वॉर कॉलेज द्वारा आयोजित इस कॉन्क्लेव में भारत और मालदीव के अलावा बांग्लादेश, कोमरोस, इंडोनेशिया, मेडागास्कर, मलेशिया, मॉरीशस, म्यांमार, सेशल्स, सिंगापुर, श्रीलंका और थाईलैंड की नौसेनाओं और मेरीटाइम फोर्सेज के चीफ और सीनियर प्रतिनिधि शिरकत कर रहे हैं.

नौसेना के प्रवक्ता, कमांडर विवेक मधवाल के मुताबिक, सम्मेलन के दौरान हिस्सा लेने वाले विदेशी प्रतिनिधियों के लिए मेक इन इंडिया के भारत की शिप-बिल्डिंग इंडस्ट्री की प्रदर्शनी का आयोजन भी किया जाएगा. इसके अलावा स्वदेशी डीप सबमर्जेंस रेस्क्यू वेसल (डीएसआरवी) की क्षमताओं को भी दिखाया जाएगा.

गोवा मेरीटाइम कॉन्क्लेव में मालदीव के हिस्सा लेने से हर कोई हैरान है. क्योंकि मालदीव के नए राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ू ने भारतीय सैनिकों को अपने देश से बाहर निकालने का प्रमुख मुद्दा बनाया था. उन्होनें बेहद ही कम अंतर से तत्कालीन राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह को चुनाव में हराया था जो भारत के करीबी माने जाते हैं. वर्ष 2018 में सोलिह के राष्ट्रपति पद के शपथग्रहण समारोह में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहुंचे थे. मालदीव के रक्षा मंत्री मारिया दीदी भी भारत के बेहद करीबी थी और राजनाथ सिंह उन्हें पूरे भारत की बहन कहकर पुकारते हैं.  

भारत ने समंदर में सर्च एंड रेस्क्यू ऑपरेशन (एसएआर) और मेरीटाइम सर्विलांस एंड रिकोनिसेंस के लिए मालदीव को दो स्वदेशी एएलएच हेलीकॉप्टर दे रखे हैं. इनके रख-रखाव के लिए भारतीय वायुसेना और इन हेलीकॉप्टर को बनाने वाले सरकारी उपक्रम हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के पायलट, इंजीनियर और मेंटेनेंस स्टाफ मौजूद रहता है. इसको लेकर ही मुइज़्ज़ू अपना ऐतराज जता रहे हैं.  हालांकि, भारत के उच्चायुक्त से बैठक के बाद मुइज्ज़ू के तेवर थोड़े नरम पड़ गए थे.

गौरतलब है कि जब-जब मालदीव पर संकट के बादल छाए हैं भारत ने एक अच्छे पड़ोसी और मित्र-देश के तौर पर मदद का हाथ आगे बढ़ाया है. वर्ष 1988 में हुए तख्ता-पलट के दौरान भारत ने अपनी सेना को राजधानी माले भेजकर महज 24 घंटे के भीतर ही संकट को सुलझा लिया था और अब्दुल गयूम की सरकार को बचा लिया था. कई बार भारत ने मालदीव को कर्ज देकर डुबने से भी बचाया है. 

2018 में पानी संकट के बीच भारत ने पेयजल तक भेजा था. कोरोना महामारी के दौरान भी भारत ने मालदीव को जरूरी दवा, वैक्सीन और राहत सामग्री पहुंचाई थी. 

हाल के सालों में हालांकि, मालदीव चीन की पर्ल ऑफ स्ट्रिंग पॉलिसी का शिकार हुआ है. नए राष्ट्रपति को चीन का पिछलग्गू माना जाता है.  वर्ष 2016 में मालदीव ने अपने एक द्वीप को एक चीनी कंपनी को 50 साल की लीज पर दे दिया था. 2018 में तत्कालीन सरकार द्वारा देश में आपातकाल लागू करने के दौरान चीन ने भारत का विरोध करने के इरादे से अपने दो युद्धपोतों को मालदीव के करीब भेजने की कोशिश की थी लेकिन भारतीय नौसेना को इसकी खबर लग गई और चीनी युद्धपोत सुंडा स्ट्रेट से वापस लौट गए थे.

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