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यूक्रेन में शांति के लिए BRICS बेहद अहम: ऑस्ट्रिया

यूक्रेन विवाद का हल निकालने के लिए ऑस्ट्रिया ने भारत, चीन और रूस जैसे देशों को अहम कड़ी माना है. ऑस्ट्रिया उन चुनिंदा यूरोपीय देशों में है जो नाटो का हिस्सा नहीं है और यूक्रेन में शांति के लिए ब्रिक्स देशों को शामिल करने का पक्षधर है. खास बात ये है कि अगले हफ्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय दौरे पर ऑस्ट्रिया की राजधानी विएना जा रहे हैं (9-10 जुलाई).

शुक्रवार को ऑस्ट्रिया के चांसलर कार्ल नेहमर ने पीएम मोदी के स्वागत की जानकारी देते हुए लिखा कि, यूक्रेन में शांति लाने के लिए ऑस्ट्रिया हर कोशिश प्रयास कर रहा है. इसमें ब्रिक्स देशों की अहम भूमिका है.

सोमवार (8 जुलाई) को पीएम मोदी दो दिवसीय मॉस्को दौरे पर जा रहे हैं. मॉस्को से ही मोदी विएना जाएंगे. ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना के नाम से राजनयिक संबंधों से जुड़ा वैश्विक समझौता बना हैं. वियना कन्वेंशन के जरिए ही दुनिया के सभी देशों के बीच राजनयिक संबंधों की रूपरेखा तैयार की गई है.

ऑस्ट्रिया के चांसलर ने यूक्रेन में शांति के लिए ब्रिक्स देशों को इसलिए शामिल करने का आह्वान किया है क्योंकि हाल ही में स्विट्जरलैंड में आयोजित पीस समिट में रूस और चीन ने हिस्सा नहीं लिया था. भारत के सीनियर डिप्लोमेट (और नवनियुक्त डिप्टी एनएसए) पवन कपूर जरुर शामिल हुए थे लेकिन समिट ऑन पीस इन यूक्रेन के साझा बयान का हिस्सा होने से साफ इंकार कर दिया था. ऐसे में समिट बेनतीजा रही थी.

ब्रिक्स संगठन में भारत, रूस और चीन के अलावा ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका भी शामिल है. इसके अलावा हाल ही में चार नए देश भी इस संगठन का सदस्य बने हैं–ईरान, इथोपिया, मिस्र और यूएई. साफ है कि पीएम मोदी के ऑस्ट्रिया दौरे के दौरान यूक्रेन युद्ध समाप्त करने पर चर्चा जरूर होगी.

पिछले 41 सालों में पहली बार भारत का कोई प्रधानमंत्री ऑस्ट्रिया के दौरे पर जा रहा है. आखिरी बार 1983 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी वियना की यात्रा पर गए थीं. ऑस्ट्रिया, यूरोप के उन चुनिंदा देशों में शामिल है जो अमेरिका के नेतृत्व वाले मिलिट्री संगठन नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन (नाटो) का हिस्सा नहीं है. बावजूद इसके यूक्रेन युद्ध के लिए ऑस्ट्रिया ने रूस की आलोचना की है. ऐसे मेें ऑस्ट्रिया को एक तटस्थ देश के तौर पर भी देखा जा रहा है.

इसी हफ्ते 3-4 जुलाई को कजाख्सतान में आयोजित शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन में मोदी हिस्सा नहीं ले पाए थे. संसद सत्र के चलते पीएम मोदी कजाख्सतान में आयोजित एससीओ बैठक में नहीं जा पाए थे. एससीओ में भारत और कजाकिस्तान के अलावा रूस, चीन, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान, किर्गिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं. बैठक में पुतिन सहित सभी एससीओ देशों के राष्ट्राध्यक्षों के शामिल हुए थे.

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