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रुस और चीन का हूती विद्रोहियों से करार, जहाज पर नहीं होगा हमला

Merchant vessel caught on fire after an alleged drone attack in the Red Sea.

इजरायल-हमास युद्ध के बीच यमन के हूती विद्रोहियों ने रूस और चीन के साथ एक सीक्रेट डील की है. इस डील के तहत हूती विद्रोही रेड सी (लाल सागर) में रूस और चीन के जहाजों को निशाना नहीं बनाएंगे. ये खबर ऐसे समय में सामने आई है जब लाल सागर में ईरान समर्थित हूती विद्रोही अमेरिका, इजरायल और ब्रिटेन की समुद्री जहाजों को जमकर निशाना बना रहे हैं.

जानकारी के मुताबिक, खाड़ी देश ओमान में हूती विद्रोहियों के नेताओं की चीन और रूस के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक की गई. इस बैठक में इस बात का फैसला लिया गया कि हूती विद्रोही लाल सागर और अदन की खाड़ी में चीन और रूस के जहाज को कोई नुकसान नहीं पहुंचाएंगे. बदले में चीन और रूस, संयुक्त राष्ट्र में हूती विद्रोहियों को राजनीतिक समर्थन करेंगे. क्योंकि अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देश यूएन में हूती विद्रोहियों के खिलाफ लगातार प्रस्ताव लेकर आ रहे हैं. हाल ही में अमेरिका ने हूती विद्रोहियों को आतंकी संगठनों की लिस्ट में भी शामिल कर दिया है. 

पिछले साल नवंबर के महीने से ईरान समर्थित हूती विद्रोही लाल सागर में इजरायल, अमेरिका और उनके सहयोगी देशों के व्यापारिक जहाजों पर ड्रोन से हमले कर रहे हैं. इसके अलावा मर्चेंट वैसल को हाईजैक तक कर यमन ले गए हैं. इसके जवाब में अमेरिका ने सहयोगी देशों के साथ मिलकर एक नया मेरीटाइम ग्रुप खड़ा किया है जो समंदर के साथ साथ यमन के भीतर हूती विद्रोहियों के ठिकानों पर हवाई हमले कर रहा है. हूती विद्रोहियों ने अमेरिका के एमक्यू-9बी रीपर ड्रोन तक को मार गिराने का दावा किया है. 

दरअसल, इजरायल की गाजा में हमास के खिलाफ जंग का विरोध कर रहे हैं. इस विरोध के चलते हूती विद्रोहियों ने पहले इजरायल के जहाज पर ड्रोन अटैक करना शुरु किया और फिर अमेरिकी युद्धपोतों तक को निशाना बनाया. ऐसे में इजरायल-हमास युद्ध की आग लाल सागर और अदन की खाड़ी तक फैल गई है. 

ईरान के समर्थन के चलते हूती विद्रोहियों ने वर्ष 2014-15 में पश्चिमी एशियाई देश यमन में सऊदी अरब समर्थित सत्तारूढ़ सरकार के खिलाफ विद्रोह कर दिया था. तभी से यमन में गृह-युद्ध छिड़ा है. हाल के सालों में हालांकि हूती विद्रोहियों ने अपनी दावेदारी बेहद मजबूत कर ली है और यमन की मिलीजुली सरकार में भी शामिल हो गए हैं. राजधानी साना सहित लाल सागर से सटे इलाकों और बंदरगाहों पर हूती विद्रोहियों का ही वर्चस्व है. यही वजह है कि हूती विद्रोही लाल सागर में आने जाने वाले व्यापारिक, कार्गो और ऑयल शिप का मार्ग-अवरुद्ध कर रहे हैं. ऐसे में व्यापारिक जहाज यूरोप से एशिया जाने के लाने स्वेज नहर से लाल सागर के बजाए अफ्रीकी महाद्वीप का एक लंबा समुद्री मार्ग ले रहे हैं जिसके कारण कार्गो का खर्चा कई गुना बढ़ गया है. इसके अलावा समुद्री-इंश्योरेंस भी बढ़ गया है. इसका असर जरूरी सामानों पर पड़ रहा है. जिसके चलते अमेरिका लाल सागर को सुरक्षित बनाने में जुटा है. 

भारतीय नौसेना भी अदन की खाड़ी में समुद्री मार्ग को सुरक्षित बनाने में जुटी है और पिछले कुछ हफ्ते में कई समुद्री जहाज को ड्रोन अटैक के बाद राहत और बचाव कार्यों में मदद की है. चीन का बड़ा व्यापार क्योंकि अरब सागर से होकर गुजरता है. ऐसे में चीन ने रूस के साथ मिलकर हूती विद्रोहियों से करार कर लिया है. हालांकि, रूस और चीन की तरह से इस करार को लेकर कोई आधिकारिक जानकारी अभी तक सामने नहीं आई है.  

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