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भारत से संबंध सुधारने की कवायद में चीन ?

ताइवान और फिलीपींस के मोर्चे पर घिरा चीन अब भारत से संबंध सुधारने की कवायद में जुट गया है. गलवान में हुई झड़प के बाद चीन-भारत में हुई तनातनी के बाद ना जाने कितनी बार दोनों देशों के बीच कमांडर लेवल की बातचीत हो चुकी है. अब कूटनीतिक तौर पर भी बातचीत को बढ़ावा देना शुरु कर दिया गया है. पूर्वी लद्दाख के सीमा विवाद के बीच विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने चीनी राजदूत शु फिहोंग से मुलाकात की है. 

शू फिहोंग भारत में चीन के राजदूत हैं, जिन्होंने दस मई को दिल्ली में कार्यभार संभाला था. शु फिहोंग की नियुक्ति करीब 18 महीनों बाद की गई है. चीन-भारत में शुरु हुए सीमा विवाद के बाद चीनी राजदूत का पद खाली था. अलग अलग बैठकों में एस जयशंकर ने न्यूजीलैंड, कुवैत और श्रीलंका के राजदूतों से भी बातचीत की है.

एस जयशंकर और चीनी राजदूत में मुलाकात हुई, क्या बात हुई?
मंगलवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीनी राजदूत की मीटिंग हुए. मीटिंग के बाद चीनी राजदूत ने कहा, “चीन-भारत संबंधों के विकास को ‘सही दिशा’ में आगे बढ़ाने के लिए भारतीय पक्ष के साथ काम करने को उत्सुक हूं.” 

शु ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर से मुलाकात कर सम्मानित महसूस कर रहा हूं. हमने चीन-भारत संबंधों और साझा हितों के अन्य मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया. उनकी शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद.”

मुलाकात के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी कहा कि “चीनी राजदूत ने भारत के साथ दोनों देशों के संबंधों को सही दिशा में आगे बढ़ाने पर जोर दिया है.”

गलवान के बाद भारत-चीन में तनाव बढ़ा
पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध को लेकर भारत-चीन के बीच संबंध सामान्य बिलकुल नहीं हैं. जून 2020 में गलवान घाटी में भीषण झड़प के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव बढ़ गया. भारत का कहना है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति स्थापित होने तक चीन के साथ उसके संबंध सामान्य नहीं हो सकते. गतिरोध के बीच पीएम मोदी ने चुनावी कैंपेनिंग के दौरान एक इंटरव्यू में चीन से संबंध सुधारने की बात कही थी. जिसका चीन ने भी स्वागत किया था. जिसके बाद 18 महीने की देरी के बाद चीन ने भारत में अपने राजदूत शु की नियुक्ति की थी.

धीरे-धीरे बातचीत के जरिए चीन और भारत दोनों अपने संबंध को ठीक करने में जुट गए हैं. चीन को इसकी जरूरत भी है. क्योंकि चीन ताइवान और फिलीपींस के मोर्चे पर भी परेशान है, क्योंकि वहीं दोनों देशों को मदद देकर चीन को अमेरिका ने टेंशन दी हुई है. लिहाजा भारत के साथ संबंध सुधार कर चीन, साउथ चाइना सी पर फोकस करना चाहता है. 

मोदी की नहीं होगी जिनपिंग से मुलाकात

चीनी राजदूत ने ऐसे समय में जयशंकर से मुलाकात की जब अगले महीने कजाकिस्तान में एससीओ देशों की बैठक होने जा रही है (3-4 जुलाई). शिखर सम्मेलन में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग हिस्सा ले रहे हैं. लेकिन संसद के सत्र के चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एससीओ बैठक में शिरकत नहीं कर रहे हैं. माना जा रहा है कि शी जिनपिंग और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से मुलाकात न करने के चलते मोदी कजाकिस्तान नहीं जा रहे हैं. हालांकि, संसद सत्र की समाप्ति (3 जुलाई) के बाद जुलाई के दूसरे हफ्ते में पुतिन से मुलाकात के लिए मोदी रूस की आधिकारिक यात्रा पर जा रहे हैं.

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