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नेबरहुड फर्स्ट: श्रीलंका के दौरे पर जयशंकर

Jaishankar meeting Sri Lanka PM Dinesh Gunawardena.

मालदीव के साथ तल्ख रिश्ते के बीच भारत दूसरे पड़ोसी देशों से रिश्ते और मजबूत कर रहा है. गुरुवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर श्रीलंका दौरे पर हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बनी नई सरकार के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर की ये पहली द्विपक्षीय विदेश यात्रा है और मोदी सरकार की नेबरहुड फर्स्ट नीति को दर्शाता है.

कोलंबो में विदेश मंत्री जयशंकर, श्रीलंका के प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने के साथ बैठक की. विदेश मंत्री की यात्रा से कनेक्‍ट‍िविटी परियोजनाओं और दूसरे क्षेत्रों में सहयोग पर बात हुई. श्रीलंका से पहले एस जयशंकर पीएम मोदी के साथ इटली भी जी 7 की बैठक में हिस्सा लेने गए थे. जयशंकर श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रम सिंह से भी मुलाकात
करेंगे.


पीएम मोदी के शपथ-ग्रहण में आए थे रानिल विक्रमसिंघे
श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे भारत के पड़ोस और हिंद महासागर क्षेत्र के उन शीर्ष नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने 9 जून को राष्ट्रपति भवन में प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय मंत्रिपरिषद के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लिया था. अब विदेश मंत्री जयशंकर के दौरे पर श्रीलंका के विदेश मंत्री अली साबरी ने कहा है कि “जयशंकर की यात्रा को लेकर श्रीलंका बेहद उत्सुक हैं और प्रधानमंत्री मोदी के भी आगामी दिनों में दौरा करने की उम्मीद है.”

क्यों अहम है एस जयशंकर की श्रीलंका यात्रा ?
हिंद महासागर में चीन की बढ़ती घुसपैठ को देखते हुए भारत के लिए श्रीलंका बेहद अहम है. मालदीव में नई सरकार आने के बाद मालदीव अब चीन की इशारों पर चल रहा है. ऐसे में हिंद महासागर में भारत की स्थिति बेहद मजबूत होनी बहुत जरूरी है. चीन भारत को चौतरफा घेरने की कोशिश में हैं. पाकिस्‍तान के ग्‍वादर और श्रीलंका के हंबनटोटा में सैन्य अड्डा बनाने की फिराक में है. चीन की चालबाजी के चलते ही भारत ने श्रीलंका में चीन के जासूसी जहाज रुकने का विरोध किया था. बाद में भारत की कूटनीति के चलते श्रीलंका ने इस साल की शुरुआत में चीन के जासूसी जहाजों की एंट्री पर एक साल के लिए रोक लगा दी थी. चीन का जासूसी जहाज शियांग सेंग हॉन्ग 3 श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह में आने वाला था. पर भारत और अमेरिका की आपत्ति के बाद चीन के जहाज को श्रीलंका नहीं बल्कि मालदीव में ठिकाना मिला.

हिंद महासागर में कोबाल्ट का पहाड़ को लेकर भी भारत, श्रीलंका समेत कई देश दावा ठोक रहे हैं. भारत कोबाल्ट के पहाड़ पर रिसर्च करना चाहता है. कोबाल्ट इलेक्ट्रिक गाड़ियों और बैटरियों के लिए अहम माना जाता है पर इंटरनेशनल अथॉरिटी ने भारत की याचिका खारिज कर दी है. अगर श्रीलंका को कोबाल्ट का पहाड़ मिलता है तो चीन उसे भी कब्जाने की कोशिश करेगा, जो भारत के लिए खतरा बन सकता है. भारत पहले कोबाल्ट पहाड़ मामले में दूरी बनाए हुए था पर चीन के विस्तारवादी नीति के चलते और हिंद महासागर में प्रभाव के चलते भारत भी कोबाल्ट के पहाड़ पर रिसर्च करना चाहता है.

विदेश मंत्री के दौरे से विकास परियोजनाओं को मिलेगी गति
पीएम मोदी के शपथ-ग्रहण के दौरान दिल्ली आए श्रीलंका के राष्ट्रपति विक्रमसिंघे के साथ एस जयशंकर की मुलाकात हुई थी. हाल में श्रीलंका में हुई बैठक के दौरान जयशंकर ने भारतीय निवेश से शुरू की गई विकास परियोजनाओं को शीघ्रता से शुरु करने पर सहमति बनी थी. इसके अलावा भारत और श्रीलंका को आपस में जोड़ने के लिए समुद्र में पुल बनाने की तैयारी हो रही है. एस जयशंकर के कोलंबो पहुंचने से पहले श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने कहा है कि “भारत और श्रीलंका के बीच प्रस्तावित भूमि संपर्क को लेकर अध्ययन अंतिम चरण में है”.  

माना जा रहा है द्विपक्षीय बैठक में पुल निर्माण पर प्रमुखता से चर्चा की जा सकती है.इससे पहले एस जयशंकर पिछली बार अक्टूबर 2023 में हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (आईओआरए) की बैठक में शामिल में कोलंबो गए थे. विदेश मंत्री के श्रीलंका दौर पर चीन भी तिरछी नजर से देख रहा है.

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