TheFinalAssault Blog Alert Breaking News इसलिए हुई संसद की सुरक्षा CISF के हवाले
Alert Breaking News Classified Reports

इसलिए हुई संसद की सुरक्षा CISF के हवाले

CISF Training

पिछले साल दिसंबर में हुई सुरक्षा चूक के बाद अब संसद की सिक्योरिटी की जिम्मेदारी सीआईएसएफ के कंधों पर आने जा रही है. पिछले कई दशक से संसद की सुरक्षा में जुटी सीआरपीएफ की जगह सेंट्रल इंडस्ट्रियल सिक्योरिटी फोर्स (सीआईएसएफ) के जवान लेने जा रहे हैं.  

संसद की सुरक्षा में लगी सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ) की पार्लियामेंट ड्यूटी ग्रुप (पीडीजी) के जवानों की आखिरी तस्वीर सामने आई है, जिसमें सभी जवान एक साथ खड़े दिखाई पड़ रहे हैं और उनकी डि-ब्रीफिंग की जा रही है. सूत्रों के मुताबिक सीआईएसएफ कर्मियों के परिचय और ‘ऑन-द-जॉब’ प्रशिक्षण के पूरा होने के बाद, सरकार ने मंगलवार से संसद की सुरक्षा के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित सुरक्षा कर्मियों को शामिल करना शुरू कर दिया है और अब संसद से सीआरपीएफ जवानों की रवानगी के बाद सुरक्षा पूरी तरह से सीआईएसएफ के हवाले हो जाएगी.

अब सीआईएसएफ के कंधों पर संसद की सुरक्षा का जिम्मा

संसद भवन परिसर की सभी इमारतों में पास चेकिंग और फ्लैग गेट 14 मई से सीआईएसएफ को सौंपा जाना शुरु हो गया. संसद में अब सीआईएसएफ को चेकिंग और फ्लैग गेट के अलावा संसद में अन्य मुख्य क्षेत्रों की जिम्मेदारी दी गई है, जैसे तोड़फोड़ रोधी जांच, डॉग स्क्वाड के श्वान, सीसीटीवी नियंत्रण कक्ष, वाहन नियंत्रण, संचार नियंत्रण कक्ष, राज्यसभा और लोकसभा का पास सेक्शन. लोकसभा और राज्यसभा के सभी रिसेप्शन काउंटर 20 मई तक सीआईएसएफ को सौंप दिए जाएंगे.

संसद की सुरक्षा में क्यों किया गया बदलाव ?
13 दिसंबर 2023 को संसद हमले की बरसी पर संसद के अंदर दो लड़कों ने घुसपैठ की थी. ये युवा कलर-कैनिस्टर के साथ संसद भवन के मुख्य हॉल में दाखिल हो गए थे. उन्होंने सदन के अंदर सांसदों की मौजूदगी में उस कलर कैनिस्टर को फोड़ दिया था. इसके बाद संसद में अफरा-तफरी मच गई थी. ये युवा अपने जूतों में कैनिस्टर रखकर संसद परिसर में दाखिल हुए थे. ऐसे में संसद भवन परिसर की सुरक्षा में हुई चूक के बाद सुरक्षा में बड़ा बदलाव किया गया है.  

संसद की सुरक्षा में चूक मानते हुए पार्लियामेंट की सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की गई. जिसमें ये तय किया गया कि “देश के सबसे हाई-प्रोफाइल परिसरों में से एक की सुरक्षा में कई एजेंसियों को शामिल नहीं किया जाना चाहिए.” जिसके बाद सीआरपीएफ को हटाकर संसद की सुरक्षा की जिम्मेदारी सीआईएसएफ को देने का फैसला लिया गया. संसद में अब एंट्री और तलाशी की जिम्मेदारी  सीआईएसएफ ही संभालेगी. संसद के बाहरी इलाकों की सुरक्षा पहले की तरह ही दिल्ली पुलिस और उनकी मदद के लिए अर्द्धसैनिक बलों के पास होगी. संसद सत्र के दौरान बाहरी इलाके में एलीट नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (एनएसजी) के ब्लैक कैट कमांडो की एक टुकड़ी भी हमेशा तैनात रहेगी.

सुरक्षा की चूक के बाद गृह मंत्रालय के आदेश के बाद सीआईएसएफ को संसद की सुरक्षा जिम्मेदारी सौंपने की औपचारिक प्रक्रिया शुरू की गई थी. पिछले महीने अप्रैल में दिल्ली पुलिस के 150 जवानों को हटाने के बाद सीआईएसएफ को संसद भवन में तैनात किया गया था. 3 मई को गृहमंत्रालय की ओर से एक पत्र जारी किया गया जिसमें सीआईएसएफ के अतिरिक्त जवानों को तैनात करने के लिए संसद भवन परिसर का फिर से सर्वे कराने की बात कही गई थी. सर्वे करने के लिए सीआईएसएफ डीआईजी अजय कुमार की अध्यक्षता में सात सदस्यीय संयुक्त सर्वेक्षण टीम का गठन किया था.

हवाई अड्डों और कई बड़े प्रतिष्ठानों की सुरक्षा है सीआईएसएफ के पास
करीब 1 लाख 80 हजार जवानों की ताकत वाली सीआईएसएफ देश के 350 संवेदनशील प्रतिष्ठानों को सुरक्षा प्रदान करती है. देश के एयरपोर्ट, मेट्रो, बंदरगाह, ऐतिहासिक धरोहर और परमाणु संयंत्र की सुरक्षा करने के चलते सीआईएसएफ इस कार्य में काफी दक्ष हो चुकी है. साथ ही सीआईएसएफ का गठन महत्वपूर्ण इमारतों और संस्थानों की सुरक्षा के लिए ही किया गया था. ऐसे में संसद की सुरक्षा की जिम्मेदारी सीआईएसएफ को सौंप दी गई है. सीआईएसएफ के पास अपनी एक अलग से फायर यूनिट भी है. सीआईएसएफ के कमांडो वीआईपी सिक्योरिटी में भी तैनात रहते हैं. सीआरपीएफ की एक टुकड़ी भी गणमान्य व्यक्तियों को सुरक्षा प्रदान करती है.

सीआरपीएफ, मुख्य तौर पर कानून-व्यवस्था और आंतरिक सुरक्षा में तैनात है. झारखंड, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में नक्सलवाद को खत्म करने में सीआरपीएफ की अहम भूमिका रही है. इसके अलावा जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को खत्म करने में सीआरपीएफ ने भारतीय सेना की बड़ी मदद की है (https://x.com/neeraj_rajput/status/1791695171199152541).

ये भी है कारण

13 दिसंबर तक सीआरपीएफ सहित अन्य सुरक्षा एजेंसियां भी संसद की सुरक्षा में तैनात थी. ऐसे में एक ही सिक्योरिटी एजेंसी को संसद की सुरक्षा में लगाया जाना बेहतर विकल्प था. सीआरपीएफ को क्योंकि आंतरिक सुरक्षा के लिए नोडल एजेंसी के तौर पर तैयार किया जा रहा है, ऐसे में संसद की सुरक्षा सीआईएसएफ को दे दी गई है. 

Exit mobile version