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भारत-चीन संबंधों में आपसी सम्मान बेहद जरूरी: जयशंकर

Jaishankar meets Chinese Foreign Minister Wang Yi in Astana on the sidelines of SCO Conference.

भारत ने एक बार फिर चीन से सीमा पर बचे हुए विवादित इलाकों के समाधान की मांग की है. इस बाबत विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीनी समकक्ष वांग यी से बातचीत की है. दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की अहम बैठक गुरुवार को कजाखस्तान के अस्ताना में एससीओ बैठक के दौरान हुई. 

अस्ताना में वांग यी से मीटिंग के बाद जयशंकर ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि, “गुरुवार की सुबह सीपीसी (कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चायना) के पोलित-ब्यूरो सदस्य और विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात के दौरान सीमावर्ती क्षेत्रों में शेष मुद्दों के शीघ्र समाधान पर चर्चा की.” जयशंकर ने आगे लिखा कि “इस उद्देश्य के लिए हम दोनों ने डिप्लोमैटिक और मिलिट्री चैनल के जरिए प्रयासों को दोगुना करने पर सहमति व्यक्त की.” 

जयशंकर ने आगे लिखा कि “एलएसी (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) का सम्मान करना और सीमावर्ती में शांति कायम रखना बेहद जरूरी है.”

मीटिंग के दौरान जयशंकर ने वांग यी को द्विपक्षीय संबंधों को लेकर तीन बातों का ध्यान दिलाया कि “आपसी सम्मान, आपसी संवेदनशीलता और आपसी हित ही हमारे संबंधों का मार्गदर्शन करेंगे.” 

कजाखस्तान की राजधानी अस्ताना में दो दिवसीय (3-4 जुलाई) शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (एससीओ) की अहम बैठक चल रही है. बैठक में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को छोड़कर सभी नौ देशों के राष्ट्राध्यक्ष शिरकत कर रहे हैं. इनमें रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ शामिल हैं. 

संसद के सत्र के चलते पीएम मोदी अस्ताना नहीं गए थे. विदेश मंत्री जयशंकर एससीओ में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. इसी दौरान जयशंकर की चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात हुई.

दरअसल, गलवान घाटी की झड़प (जून 2020) के बाद से ही पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर भारत और चीन के बीच संबंध बेहद तनावपूर्ण बने हुए हैं. 21 दौर की मिलिट्री कमांडर्स स्तर की बातचीत के बाद गलवान, गोगरा, हॉट स्प्रिंग, फिंगर एरिया और कैलाश हिल रेंज जैसे विवादित इलाकों को लेकर तो आपसी सहमति बन गई है लेकिन कुछ ऐसे लीगेसी क्षेत्र हैं जहां तनाव अभी भी बरकरार है. इनमें डेपसांग प्लेन (2013) और डेमचोक (2008) शामिल हैं. 

चीन का दावा है कि पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर अब कोई विवाद नहीं है. बावजूद इसके, एलएसी पर चीन की सेना का एक बड़ा जमावड़ा है. चीन के 50 हजार सैनिक, टैंक, तोप, मिसाइल और फाइटर जेट एलएसी के बेहद करीब तैनात हैं. ऐसे में भारत ने भी एलएसी पर ‘मिरर-डिप्लॉयमेंट’ कर रखी है जिससे दोनों देशों के सैनिक ‘आई बॉल टू आईबॉल’ हैं. 

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