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मोदी Lakshadweep में, Maldives की टेंशन

PM Modi in Lakshadweep.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब लक्षद्वीप दौरे पर खुद की स्नॉर्कलिंग और समंदर के किनारे मॉर्निंग वॉक की तस्वीरें शेयर कीं तो सोशल मीडिया पर अलग अलग तरह की प्रतिक्रियाएं मिलने लगीं. पर पीएम मोदी की ये तस्वीरें एक पंथ दो काज वाली है. एक पंथ दो काज इसलिए क्योंकि पीएम मोदी की ये तस्वीर न सिर्फ लक्षद्वीप में पर्यटन को बढ़ावा देंगी बल्कि ये तस्वीरें मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू को भी जवाब है जो आए दिन भारत के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं.

मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू का चीन से प्रेम किसी से छिपा नहीं है, जिस दिन से मुइज्जू सत्ता में आए हैं उसी दिन से भारतीय सैनिकों को मालदीव से वापस भेजने की पैरोकारी कर रहे है. अपने ताजा इंटरव्यू में मोइज्जू ने यहां तक कह दिया है कि भारत द्वारा हिंद महासागर द्वीप समूह से अपनी सेना नहीं हटाने का मतलब मालदीव में लोगों की लोकतांत्रिक इच्छा की अवहेलना करना होगा. राष्ट्रपति मोहम्मद मोइज्जू ने मालदीव के लोकतंत्र की दुहाई देते हुए भारत से कहा है कि वह अपने सैनिकों को मालदीव से निकाल लें. जिस वक्त राष्ट्रपति का बयान आया ठीक उसी वक्त पीएम मोदी ने मालदीव से महज 7०० किलोमीटर दूर पहुंचकर लक्षद्वीप की तस्वीरें शेयर की.

लक्षद्वीप बनेगा नया मालदीव

हिंद महासागर के देश, मालदीव का मुख्य रोजगार पर्यटन है. मालदीव के समंदर और बीच (तट) हमेशा से भारत और दूसरे देशों के पर्यटकों को लुभाता रहा है. पीएम मोदी की लक्षद्वीप में समंदर में अंडर-वाटर स्पोर्ट्स और रमणीय तटों पर टहलते हुए तस्वीरें टूरिस्ट को मालदीव के बजाए यहां आकर्षित करेंगी. ऐसे में मालदीव के पर्यटन उद्योग पर खासा असर पड़ सकता है. खुद पीएम मोदी ने अपने ‘एक्स’ अकाउंट पर लिखा, “जो एडवेंचर (रोमांच) को अपनाना चाहते हैं, लक्षद्वीप उनकी लिस्ट में होना चाहिए.” उन्होंने अपने स्नॉर्कलिंग अनुभव को आनंददायक अनुभूति बताया और लक्षद्वीप के शांत वातावरण की भी तारीफ की. 

भारत रुकता नहीं, झुकता नहीं
पीएम मोदी के तमाम फैसलों और उनके व्यक्तित्व से भारत की छवि एक विश्व गुरु के तौर पर उभरी है. अमेरिका, रुस, फ्रांस, इंग्लैंड, इटली, ऑस्ट्रेलिया और इजरायल जैसे तमाम शक्तिशाली देश भारत और प्रधानमंत्री मोदी को बॉस मानते हैं. यहां तक की चीन ने भी अब प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ की है. चीन के सरकारी मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स के ताजा संस्करण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर प्रशंसा की गई है. ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि भारत आत्मविश्वास से भरा देश है और प्रधानमंत्री मोदी की लीडरशिप में तेजी से आगे बढ़ रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हों या फिर गृह मंत्री अमित शाह या फिर मोदी सरकार के कोई भी मंत्री उनकी तस्वीर उनका दौरे के पीछे कहीं ना कहीं एक रणनीति और एक संदेश होता है. लक्षद्वीप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर भी मालदीव के लिए एक मैसेज है. ठीक उसी तरह का मैसेज जैसे कि चीन की सीमा के नजदीक अरुणाचल के किबिथू में पहुंचकर गृह मंत्री अमित शाह ने चीन को दिया था.

भारत की सुरक्षा के लिए अहम क्यों है लक्षद्वीप और मालदीव
भारत के केन्द्र-शासित प्रदेश लक्षद्वीप से मालदीव 7०० किलोमीटर दूर है जबकि भारत के कोच्चि से लक्षद्वीप की दूरी करीब 500 किलोमीटर है. लक्षद्वीप, 36 छोटे छोटे द्वीपों का समूह है जबकि मालदीव एक हजार से ज्यादा द्वीपों का समूह है. लक्षद्वीप और मालदीव दोनों को ही सुरक्षा के लिहाज से काफी अहम माना जाता है. अगर मालदीव में भारत की मौजूदगी कमजोर होती है तो चीन बहुत पास आ जाएगा और लक्षद्वीप की सुरक्षा को लेकर भारत किसी भी तरह का कोई समझौता नहीं कर सकता. क्योंकि आंतरिक सुरक्षा कमजोर पड़ी तो आतंकियों की घुसपैठ की आशंका बढ़ जाएगी. मुंबई के 26 11 अटैक के बाद लक्षद्वीप की रणनीतिक तौर पर बहुत अहम हो गया है. मुंबई हमले के आतंकी समंदर पार करके आए थे, ऐसे में लक्षद्वीप में भारत किसी भी तरह की कोई कोताही नहीं बरतना चाहता है. केरल की सुरक्षा के लिहाज से भी लक्षद्वीप को काफी अहम माना जाता है, लक्षद्वीप की संवेदनशीलता को देखते हुए ही आईएनसी द्वीप रक्षक नेवल बेस भी बनाया गया है.

तख्ता पलट के दौरान मालदीव में भारत ने की थी सर्जिकल स्ट्राइक

गौरतलब है कि जब-जब मालदीव पर संकट के बादल छाए हैं भारत ने एक अच्छे पड़ोसी और मित्र-देश के तौर पर मदद का हाथ आगे बढ़ाया है. वर्ष 1988 में हुए तख्ता-पलट के दौरान भारत ने अपनी सेना को राजधानी माले भेजकर महज 24 घंटे के भीतर ही संकट को सुलझा लिया था और अब्दुल गयूम की सरकार को बचा लिया था. कई बार भारत ने मालदीव को कर्ज देकर डूबने से भी बचाया है. 2018 में पानी संकट के बीच भारत ने पेयजल तक भेजा था. कोरोना महामारी के दौरान भी भारत ने मालदीव को जरूरी दवा, वैक्सीन और राहत सामग्री पहुंचाई थी.

हेलीकॉप्टर की तैनाती से है मुइज्जु को दिक्कत

भारत ने समंदर में सर्च एंड रेस्क्यू ऑपरेशन (एसएआर) और मेरीटाइम सर्विलांस एंड रिकोनिसेंस के लिए मालदीव को दो स्वदेशी एएलएच हेलीकॉप्टर दे रखे हैं. इनके रख-रखाव के लिए भारतीय वायुसेना और इन हेलीकॉप्टर को बनाने वाले सरकारी उपक्रम हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के पायलट, इंजीनियर और मेंटेनेंस स्टाफ मौजूद रहता है. इसको लेकर ही मुइज़्ज़ू अपना ऐतराज जता रहे हैं. इन हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल मेडिकल-एंबुलेंस के तौर पर भी किया जाता है. 

चीन का पिछल्लगू है मुइज्जु

हाल के सालों में हालांकि, मालदीव चीन की पर्ल ऑफ स्ट्रिंग पॉलिसी का शिकार हुआ है. नए राष्ट्रपति को चीन का पिछलग्गू माना जाता है. वर्ष 2016 में मालदीव ने अपने एक द्वीप को एक चीनी कंपनी को 50 साल की लीज पर दे दिया था. 2018 में तत्कालीन सरकार द्वारा देश में आपातकाल लागू करने के दौरान चीन ने भारत का विरोध करने के इरादे से अपने दो युद्धपोतों को मालदीव के करीब भेजने की कोशिश की थी लेकिन भारतीय नौसेना को इसकी खबर लग गई और चीनी युद्धपोत सुंडा स्ट्रेट से वापस लौट गए थे.

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