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फिर गिरगिट की तरह रंग बदलने लगा पाकिस्तान

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दुनियाभर में अलग-थलग पड़ रहे पाकिस्तान की अकल ठिकाने आ गई है. पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने ये स्वीकार कर लिया है कि पाकिस्तान ने 1999 के लाहौर समझौते का उल्लंघन कर बड़ी भूल की थी. करगिल (कारगिल) में परवेज मुशर्रफ के हमले पर बात करते हुए नवाज शरीफ ने माना कि भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. जनरल परवेज मुशर्रफ के कारगिल में घुसपैठ का जिक्र करते हुए कहा कि इसके लिए “हम कसूरवार हैं.” 

सामने आया पाकिस्तानी घुसपैठ का कबूलनामा
सत्तारूढ़ पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) का अध्यक्ष चुने जाने के बाद पार्टी की बैठक में नवाज शरीफ के एक बयान से पाकिस्तान की दुनियाभर में किरकिरी होने लगी है. नवाज शरीफ ने अपने संबोधन में कहा, “28 मई 1998 को पाकिस्तान ने पांच परमाणु परीक्षण किये. उसके बाद वाजपेयी साहब पाकिस्तान आए और हमारे साथ समझौता किया. लेकिन, हमने उस समझौते का उल्लंघन किया. यह हमारी गलती थी.” (https://x.com/FrontalForce/status/1795674579375141037)

क्या है लाहौर समझौता, जिसका पाकिस्तान ने उल्लंघन किया?
लाहौर समझौता तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की वो सोच थी जो दो पड़ोसी देशों के बीच तनाव को कम करने के लिए लाया गया था. दो तनावग्रस्त पड़ोसियों के बीच एक शांति समझौता, जिसमें शांति और सुरक्षा के साथ साथ दोनों देशों संपर्क को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया था. इस समझौते में परमाणु हथियारों की भी बात कही गई थी कि दोनों देश परमाणु हथियारों से दूरी बनाए रखेंगे और परमाणु हथियारों की होड़ को सीमित करेंगे. लाहौर समझौता भारत-पाकिस्तान के रिश्तों को बेहद मजबूत करने की कड़ी थी, जिससे दक्षिण एशिया की स्थिति मजबूत हो सकती थी. लेकिन पाकिस्तान के उस वक्त के आर्मी चीफ परवेज मुशर्रफ को दोनों देशों के बीच शांति समझौता नागवार गुजरा और करगिल में घुसपैठ कर जंग करा दी. 

2 महीने बाद ही पाकिस्तान ने भारत को मिला धोखा
भारत और पाकिस्तान दोनों देशों ने बड़ी उम्मीद से 21 फरवरी 1999 को लाहौर घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किया था. लेकिन समझौते के महज कुछ दिनों बाद ही पाकिस्तान ने भारत के पीठ पर खंजर भोंक दिया. पाकिस्तान के तब आर्मी चीफ रहे परवेज मुशर्रफ ने अपनी सेना को गुप्त रूप से मार्च 1999 में जम्मू कश्मीर के कारगिल जिले में घुसपैठ का आदेश दिया था. समझौते के 2 महीने बाद मई महीने में भारत को पता चला कि करगिल की चोटियों पर पाकिस्तानी सैनिकों ने कब्जा कर लिया है. भारत को जब इस घुसपैठ का पता चला तो युद्ध छिड़ गया. उस वक्त नवाज शरीफ ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री थे. भारत के शूरवीरों ने करगिल की चोटी वापस ली और पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी थी. अब नवाज शरीफ ने भी मान लिया है कि करगिल में पाकिस्तान ने घुसपैठ की थी, जिसकी वजह से करगिल युद्ध हुआ था.

करतारपुर साहिब लो, कश्मीर पाकिस्तान को दो: अब्दुल बासित
भारत में पाकिस्तान के हाई कमिश्नर रह चुके अब्दुल बासित ने भारतीयों का खून खौला देने वाला बयान दिया है. अब्दुल बासित ने विवादित बयान देते हुए कहा है कि “भारत को सिखों का पवित्र तीर्थ-स्थल करतारपुर साहिब ले लेना चाहिए और पाकिस्तान को पूरा कश्मीर दे देना चाहिए.” 

बासित ने खालिस्तानियों को भी भड़काते हुए बयानबाजी की है कि “सिखों को अपना खालिस्तानी मूवमेंट जारी रखना चाहिए. जब उन्हें भारत से आजादी मिल जाएगी वो पाकिस्तान का हिस्सा बन सकते हैं. अब्दुल बासित का ये बयान 23 मई को पीएम मोदी की पटियाला में की गई चुनावी रैली के बाद में आया है. अपनी रैली में पीएम मोदी ने कहा था कि “1971 में जब बांग्लादेश की लड़ाई हुई तो 90 हजार से ज्यादा पाक सैनिक सरेंडर कर चुके थे. हुकुम का पत्ता हमारे हाथ में था. अगर उस समय मोदी होता, तो इनसे करतारपुर साहिब लेकर रहता. तब जाकर उन जवानों को छोड़ता.”

गिरगिट की तरह रंग बदलता है पाकिस्तान

पाकिस्तान के नवाज शरीफ गलती मानते हैं तो पूर्व हाईकमिश्नर भारत के खिलाफ गलत बयानबाजी करते हैं. ये सबूत है कि पाकिस्तान गिरगिट की तरह रंग बदलने वाला देश है. आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की इस रणनीति के साथ हिंदुस्तान की मोदी सरकार चल रही है, उससे पाकिस्तान पस्त है. दुनिया में चेहरा बेनकाब हो चुका है तो अब पाकिस्तान अपनी गलती मानकर भारत के पाले में गेंद डालने की कोशिश कर रहा है.

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