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हिंदू-राजशाही के लिए नेपाल की जनता सड़कों पर

Courtesy: Nepal photo journalist

नेपाल में राजशाही को वापसी के लिए लोग राजधानी काठमांडू की सड़कों पर उतर आए हैं. राजनीतिक पार्टियों के खिलाफ लोग जबरदस्त हंगामा कर रहे हैं और पुलिस से भी भिड़ने के लिए तैयार हैं. राजशाही के साथ-साथ लोग एक बार फिर नेपाल को हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग कर रहे हैं. 

काठमांडू में राजशाही वापस लाने के लिए राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी नाम का एक राजनीतिक दल लगातार सड़कों पर विरोध-प्रदर्शन कर रहा है. पार्टी को आम लोगों का भी जबरदस्त समर्थन मिल रहा है. दरअसल, पार्टी का कहना है कि लोकतंत्र और मौजूदा राजनीतिक दल भ्रष्टाचार में लिप्त हैं. जिसके कारण पिछले 17 सालों में 13 अलग-अलग सरकार बन चुकी हैं. इस राजनीतिक प्रणाली से नेपाल में विकास की गति बेहद धीमी है और लोग बदहाली में जीने के लिए मजबूर है. 

इसके अलावा देश की राजनीति में चीन के दखल के आरोप भी लगते रहे हैं. कहा तो ये भी जाता है कि काठमांडू स्थित चीनी दूतावास से ही नेपाल के कई प्रधानमंत्री और सरकार कंट्रोल की जाती रही हैं. यही वजह है कि लोग मौजूदा शासकीय प्रणाली से त्रस्त हो चुके हैं. 

नेपाल में वर्ष 2007 में राजशाही खत्म कर लोकतंत्र कायम कर दिया गया था. उसके बाद से ही तत्कालीन राजा ज्ञानेंद्र अपने परिवार के साथ एक प्राईवेट जिंदगी जी रहे हैं. लेकिन प्रजातंत्र पार्टी उनकी समर्थक रही है और अब उन्हें वापस देश की सत्ता की कमान सौंपना चाहती है. 2007 में ज्ञानेंद्र ने खुद सत्ता छोड़ दी थी. क्योंकि उससे पहले तक निरंकुश शासन का आरोप लगाकर स्थानीय लोगों ने जबरदस्त हंगामा किया था. राजशाही खत्म होने के साथ ही नेपाल ने हिंदू राष्ट्र को त्याग कर एक धर्मनिरपेक्ष देश बन गया था. लेकिन एक बार फिर नेपाल में हिंदू राष्ट्र बनाने को लेकर धरना-प्रदर्शन होना शुरु हो गया है (https://x.com/prabinranabhat/status/1777729660333510723). 

वर्ष 2001 तक नेपाल में राजा बीरेंद्र का शासन था. राजा बीरेंद्र अपने देश में बेहद लोकप्रिय थे. लेकिन जून 2001 में काठमांडू स्थित पैलेस में राजा बीरेंद्र और उनकी पत्नी सहित शाही परिवार के कुल नौ (09) लोगों का नरसंहार कर दिया गया था. राजा बीरेंद्र के बाद देश की कमान उनके भाई राजा ज्ञानेंद्र को चली गई थी. लेकिन वे अपने भाई की तरह इतने लोकप्रिय नहीं थे. 

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