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देश की रक्षा के लिए आक्रामकता जरूरी: राजनाथ सिंह

Rajnath Singh & Gen Manoj Pande at Mathura during International Yoga Day.

कभी-कभी ऐसी स्थिति आ जाती है, जहां अपनी रक्षा के लिए, अपनी सभ्यता की रक्षा के लिए, अपने मूल्यों की रक्षा के लिए ‘अटैक इज द बेस्ट डिफेंस’ फॉर्मूला काम करता है. इसलिए देश की सुरक्षा की जब बात आती है, तो ‘आक्रामक क्षमता’ रखने वालों का बड़ा महत्व होता है. ये मानना है देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का.

योग दिवस के मौके पर भारतीय सेना की मथुरा स्थित ‘स्ट्राइक-1’ कोर के मुख्यालय पर सैनिकों को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री ने देश की रक्षा के लिए आक्रामक-शैली को लेकर अपने विचार साझा किए. इस मौके पर थलसेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे भी मौजूद थे.

मथुरा (उत्तर प्रदेश) स्थित स्ट्राइक कोर (स्ट्राइक 1) को हाल ही में उधमपुर (जम्मू कश्मीर) स्थित उत्तरी कमान के अधीन किया गया है. पहले ये कोर जयपुर स्थित दक्षिण-पश्चिमी कमान के अंतर्गत थी. इसका मुख्य चार्टर युद्ध के दौरान पाकिस्तान से सटी सीमा पर आक्रमण करना था. लेकिन गलवान घाटी (जून 2020) की झड़प के बाद इस स्ट्राइक कोर का चार्टर चीन से सटी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) कर दिया गया है. पिछले कुछ सालों से पाकिस्तानी सीमा पर शांति के चलते भारतीय सेना ने ये री-कैलिब्रेशन किया है. किसी भी देश की स्ट्राइक कोर दुश्मन की सीमा में घुसकर हमला बोलती हैं जबकि दूसरी कोर का मुख्य उद्देश्य अपनी सीमाओं की रक्षा करना होता है (चीन पर नजर, LAC पर रि-कैलिब्रेशन).

सैनिकों को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि “आज हम जिस ब्रज भूमि पर एकत्र हुए हैं, यह ब्रजभूमि योगेश्वर श्रीकृष्ण की भूमि है. बिहारी जी सबको प्रेम करने वाले हैं, सब को साथ लेकर चलने वाले हैं, सब के ऊपर बराबर स्नेह बरसाने वाले हैं, लेकिन इसके बावजूद वह सुदर्शन चक्रधारी हैं. और जब-जब धर्म की हानि हुई है, तब-तब उन्होंने सुदर्शन चक्र का भी प्रयोग किया है.”

रक्षा मंत्री ने कहा कि “आपके अंदर जो आक्रामकता की क्षमता है, जो दुश्मन को सबक सिखाने की क्षमता है, वह क्षमता हमारी मजबूती का बड़ा आधार है.” राजनाथ सिंह ने कहा कि “मुझे बताया गया, कि अपनी फॉर्मेशन के समय से लेकर, यानि 1965 से लेकर अब तक इस कोर ने अनेक ऑपरेशन्स में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.” 1965 का ‘ऑपरेशन रिडल’ हो, या फिर 1971 का ‘ऑपरेशन कैक्टस लिली’, 1987 का ‘ऑपरेशन पवन’हो या फिर 1988 का ‘ऑपरेशन कैक्टस’ हो, न केवल देश में, बल्कि देश के बाहर भी मथुरा स्थित कोर ने अपने साहस और पराक्रम का परिचय जरूरत पड़ने पर दिया है. यह कोर अब तक तीन परमवीर चक्र, 26 महावीर चक्र, और 113 वीर चक्र से भी सुशोभित है.

राजनाथ सिंह ने कहा कि “भारत दुनिया भर में इस बात के लिए जाना जाता है, कि हमने दुनिया के किसी देश पर आक्रमण नहीं किया, हम हमेशा विस्तारवादी साम्राज्यवादी नीतियों के खिलाफ रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद भारत के पास यह क्षमता है, कि यदि भारत की संप्रभुता को आघात पहुंचाया गया, तो भारत पुरजोर जवाब देने में भी सक्षम है.”

रक्षा मंत्री ने कहा कि जिस तरह से कई बार विपरीत परिस्थितियों में आप अनावश्यक आक्रामकता से बचते हैं, वह एक योगी के रूप में आपकी पहचान को भी दर्शाता है. राजनाथ सिंह ने कहा कि इसके साथ ही जिस तरह से आप जरूरत पड़ने पर भारत की अखंडता और संप्रभुता को बचाने के लिए आक्रामकता के साथ खड़े होते हैं, वह अपने आप में अद्वितीय होता है.

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