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‘Cold Peace’ के जरिए राजनाथ चीन पर बरसे

Rajnath Singh addressing the inaugural ceremony of Milan International Exercise 2024.

विश्व में आज ‘कोल्ड पीस’ छाई हुई है जिसमें कुछ देश युद्ध तो नहीं छेड़ते हैं लेकिन दूसरे देशों को कमजोर करने की कोशिश करते हैं. ये कहना है देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का. 

बुधवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह विशाखापट्टनम में भारतीय नौसेना द्वारा आयोजित ‘मिलन’ इंटरनेशनल एक्सरसाइज (19-27 फरवरी) के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे जिसमें भारत सहित 51 देशों की नौसेनाएं हिस्सा ले रहे हैं. 

बिना चीन का नाम लिए, रक्षा मंत्री ने ‘नकारात्मक शांति’ की बात करते हुए कहा कि यह अक्सर प्रभुत्व या आधिपत्य से उत्पन्न होती है, जहां एक शक्ति अपनी इच्छा दूसरों पर थोपती है. उन्होंने कहा कि “बिना निष्पक्षता और न्याय समर्थित ना होने वाली ऐसी शांति को ‘अस्थिर संतुलन’ कहते हैं.” राजनाथ सिंह ने जोर देकर कहा कि “युद्ध की अनुपस्थिति शांति का सबसे अपरिवर्तनीय न्यूनतम तत्व है.” उन्होंने “कोल्ड पीस को सीधे युद्धों और संघर्षों के बीच का अंतराल मात्र बताया.” रक्षा मंत्री ने ‘कोल्ड पीस’, 70 और 80 के दशक के ‘कोल्ड वॉर’ शब्दाबली से लिया है. 

रक्षा मंत्री ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से “लोकतांत्रिक और नियम-आधारित विश्व व्यवस्था के इस युग में सामूहिक रूप से शांति की आकांक्षा करने का आह्वान किया, जहां व्यक्तिगत देश साझा शांति और समृद्धि के लिए सक्रिय रूप से सहयोग करते हैं.” 

रक्षा मंत्री ने कहा कि “सकारात्मक शांति की अवधारणा प्रत्यक्ष सैन्य संघर्ष की अनुपस्थिति से परे है और इसमें सुरक्षा, न्याय और सहयोग की व्यापक धारणाएं शामिल हैं.” उन्होंने कहा कि ‘सकारात्मक शांति’ सभी के सहयोग से, सभी की साझा शांति है। इस भावना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी स्पष्ट रूप से व्यक्त किया था जब उन्होंने कहा था कि ‘यह युद्ध का युग नहीं है.’ हर विवाद का हल बातचीत और कूटनीति में से ही निकलना चाहिए.

राजनाथ सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि सशस्त्र बल दोहरी भूमिका निभाते हैं–युद्ध का संचालन करने के साथ-साथ शांति और अच्छी व्यवस्था बनाए रखते हैं. उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक रूप से, नौसेनाओं और सेनाओं की स्थापना और रखरखाव सैन्य विजय के माध्यम से राजनीतिक शक्ति का विस्तार करने के प्राथमिक उद्देश्य के साथ किया गया था. लेकिन ऐतिहासिक अनुभव ये भी बताता है कि सशस्त्र बल भी शांति बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. 

राजनाथ सिंह ने शांति और साझा अच्छाई पर बल देते हुए आश्वासन दिया कि हम ऐसे किसी भी खतरे का मुकाबला करने से पीछे नहीं हटेंगे जो हमारी सामूहिक भलाई को कमजोर करता है, जिसमें समुद्री-लूट और तस्करी शामिल है. उन्होंने पश्चिमी हिंद महासागर में हाल की घटनाओं का जिक्र किया, जिसने समुद्री क्षेत्र में कुछ गंभीर चुनौतियों को सामने ला दिया है, जिसमें व्यापारिक जहाजों पर हमलों से लेकर समुद्री डकैती और अपहरण के प्रयास तक शामिल हैं. (https://youtu.be/fk86OkZlDxc?si=52IBaimuIdsuqlUj)

 राजनाथ सिंह ने कहा कि “भारत ने अरब सागर में अपनी सक्रिय भागीदारी जारी रखी है और जहाज पर ध्वज और चालक दल की राष्ट्रीयता की परवाह किए बैगर, समुद्री-व्यापार की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए क्षेत्र में निरंतर उपस्थिति बनाए रखी है.” उनका इशारा पाकिस्तानी मूल के नागरिकों (क्रू) को सोमालियाई दस्यु से बचाने का था. रक्षा मंत्री ने कहा, हिंद महासागर क्षेत्र में शांति स्थिरता और समृद्धि के लिए भारत, फर्स्ट-रेस्पॉन्डर और प्रिफर्ड सिक्योरिटी पार्टनर है.उन्होंने कहा कि भारत सार्थक साझेदारी बनाने में विश्व मित्र की भूमिका निभाना जारी रखेगा जो दुनिया को पूरी मानवता के लिए वास्तव में जुड़ा हुआ और न्यायसंगत निवास स्थान बनाएगा।

 नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि भारत सरकार की सागर-नीति के दृष्टिकोण पर आधारित, मिलन एक्सरसाइज ‘सामंजस्य, सौहार्द और सहयोग’ की अविश्वसनीय भावना को समाहित और पुनर्जीवित करता है. उन्होंने कहा, 1995 में पांच आईओआर नौसेनाओं से लेकर आज हिंद-प्रशांत में 50 नौसेनाओं तक, ‘मिलन’ समुद्री क्षेत्र में ऐसे सामूहिक और सहकारी प्रयासों के बढ़ते कद और बढ़ते महत्व को दर्शाता है. (https://youtu.be/PBqsYPbiO6M?si=9hrGLgKavNHFflgy)

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