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डूरंड लाइन पर अफगान शरणार्थियों का संकट, पाकिस्तान ने किया बेघर

By Manish Shukla

ऐसे समय में जब पूरी दुनिया का ध्यान यूक्रेन-रुस जंग और इजरायल-हमास युद्ध पर है, पाकिस्तान इस स्थिति का पूरा फायदा उठाने में जुटा है. कई सालों से पाकिस्तान में बसे अफगान शरणार्थियों को देश से बाहर निकालने के लिए इस्लामाबाद की तरफ से बड़ी कार्रवाई की जा रही है. अफगान शरणार्थियों के घरों को पाकिस्तान सरकार बुलडोजर से गिरा रही है. खबर तो यहां तक है कि वतन वापस लौट रहे अफगान शरणार्थियों के सामानों की चोरी भी की जा रही है. हैरानी की बात ये है कि इन सब के बावजूद इस्लामिक देश और मुस्लिम संगठनों ने चुप्पी साध रखी है.

पाकिस्तान में करीब 40 लाख के करीब अफगान आबादी है. इनमें से करीब 17 लाख लोगों के पास पाकिस्तान में रहने के लिए ज़रूरी दस्तावेज़ नहीं है. इस्लामाबाद का आरोप है कि पाकिस्तान में हो रहे आतंकी हमलों के पीछे अफगान शरणार्थियों के सबूत मिले हैं. पाकिस्तान सरकार ने पिछले महीने ये ऐलान किये थे कि ऐसे सभी अफगान नागरिक जिनके पास पाकिस्तान में रहने के लिए वीज़ा नहीं है वो इस साल 31 अक्टूबर तक पाकिस्तान की धरती छोड़ कर अफगानिस्तान लौट जाएं.

अफगान शरणार्थियों को पाकिस्तान जल्द छोड़ने के लिए पाकिस्तान की तरफ से जबरदस्त दबाव बनाया जा रहा है. अफगानियों के घरों को जबरन बुलडोजर से तोड़ा जा रहा है. लोग खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर किये जा रहे हैं और ऐसे शरणार्थी जो वापस वतन लौट रहे हैं उनके साथ लूटपाट की जा रही है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, अफगान शरणार्थियों के सामानों की चोरी में पाकिस्तान की पुलिस के भी शामिल होने के आरोप लगे हैं.

अफगानिस्तान बॉर्डर पर पाकिस्तान से आ रहे गाड़ियों और ट्रकों की लंबी लंबी लाइन लगी हुई हैं. अब तक करीब 24 हज़ार अफगानी तोरखम बॉर्डर प्वाइंट पार कर अफगानिस्तान वापस जा चुके हैं. पूरे अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा (डूरंड लाइन) की बात की जाये तो अब तक एक लाख से ज्यादा लोग पाकिस्तान छोड़ कर अफगानिस्तान जा चुके हैं.

दरअसल, वर्ष 2021 में तालिबान की सत्ता में वापसी के डर से लाखों की संख्या में अफगानी नागरिक डूरंड सीमा पार कर पाकिस्तान में बस गये थे. इन लोगों को इस बात का डर था कि तालिबान के सत्ता में आने के बाद उन पर कट्टरपंथी सरकार की तरफ से जुल्म ढाए जा सकते हैं.

पिछले दिनों अफगान शरणार्थियों को पाकिस्तान सरकार की तरफ से वतन छोड़ने के आदेश पर संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) ने भी चिंता जताई थी. जिसके बाद पाकिस्तान सरकार ने यूएनएचसीआर के सदस्यों को पाकिस्तान के अफगानी कैंपों पर आने जाने पर रोक लगा दी थी. पाकिस्तान सरकार की तरफ से यूएनएचसीआर से ये भी कहा गया था कि वो इन कैंप में बिना पाकिस्तानी सरकार के इज़ाजत के बगैर नहीं जा सकते हैं. यूएनएचसीआर ने बकायदा इसके बाद पाकिस्तानी सरकार से पानियान रिफ्यूजी कैंप में अपने दो अधिकारियों को भेजने की इजाजत मांगी थी. पानियान रिफ्यूजी कैंप एशिया का दसवां सबसे बड़ा रिफ्यूजी कैंप है जिसमें 80 हज़ार अफगानी रिफ्यूजी रहते हैं.

जिस तरह से चीन की सरकार उइगर मुस्लिमों पर खास नज़र रखती है ठीक उसी तरफ पाकिस्तान के इन रिफ्यूजी कैंपों में रह रहे अफगानी लोगों पर पाकिस्तान सरकार नज़र रखती है. इन लोगों को कैंप से बाहर आने-जाने की इजाजत नहीं दी जाती है. इन कैंपों में अफगान शरणार्थी काफी बदहाल हालात में रह रहे हैं और इन्हें पाकिस्तान सरकार की तरफ से जरूरी बुनियादी सुविधाएं जैसे कि पीने का साफ पानी,बिजली, दवाएं और बच्चों को पढ़ने के लिए स्कूल तक मुहैया नहीं कराये गये हैं. नार्थ-वेस्ट पाकिस्तान में ऐसे 54 रिफ्यूजी कैंप हैं जिनमें अफगानी लोग रह रहे हैं.

अफगान शरणार्थियों के जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए यूएनएचसीआर की तरफ से साल 2023 में कैश असिस्टेंट प्रोग्राम (  शुरू किया गया था जिसके तहत जनवरी तक करीब 17.8 मिलियन डॉलर की मदद की गई थी.

जिस तरह से पाकिस्तान की सरकार जबरन अफगान शरणार्थियों को पाकिस्तान छोड़ने के लिए मजबूर कर रही है उससे तालिबान की सरकार नाराज़ है. ऐसे में माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में पाकिस्तान और अफगानिस्तान सरकार के बीच तनाव बढ़ सकता है. अफगानिस्तान के प्रधानमंत्री मुल्ला मुहम्मद हसन अखुंद ने एक बयान में पाकिस्तान से अफगान शरणार्थियों के निकाले जाने को अंतरराष्ट्रीय कानूनों के खिलाफ बताया है. साथ ही ये भी कहा है कि शरणार्थियों को वतन लौटने के लिए पर्याप्त समय दिया जाये. अखुंद ने एक वीडियो जारी कर पाकिस्तान से अपील की थी कि अगर बिना जरुरी दस्तावेजों के पाकिस्तान में रह रहे अफगानियों को निकाले जाने का ही विकल्प बचा है तो शरणार्थियों को प्रताड़ित क्यों किया जा रहा है.

(लेखक मनीष शुक्ला लंबे समय से देश की आंतरिक सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय मामलों से जुड़ी पत्रकारिता करते आए हैं. उन्हें लाइव इंडिया और जी न्यूज जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में काम करने का लंबा अनुभव है.)

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