पश्चिमी अफ्रीकी देश बुर्किना फासो का मिलिट्री रूलर कैप्टन इब्राहीम त्राओरे इन दिनों सुर्खियां बंटोर रहा है. कारण है रूस-अफ्रीका समिट में दिए उसका भाषण. रूस के राष्ट्रपति पुतिन की मौजूदगी में कैप्टन इब्राहीम ने अमेरिका, फ्रांस और दूसरे पश्चिमी देशों को अफ्रीका छोड़ने कर जाने के लिए कहा है.
कैप्टन इब्राहीम ने अफ्रीका के गोल्ड, डायमंड और यूरेनियम जैसे कीमती खनिज को पश्चिमी देशों को देने से मना कर दिया है. कैप्टन इब्राहीम ने इसके लिए निगर और माली जैसे पश्चिमी अफ्रीकी देशों के साथ एक गठबंधन बना लिया है. लेकिन कैप्टन इब्राहीम के तेवरों से अमेरिका और फ्रांस खिसिया गए हैं. उधर नाइजीरिया जैसे अफ्रीकी देश निगर में हुए सैन्य तख्तापलट का विरोध कर रहे हैं और पश्चिमी देशों से सैन्य दखल की मांग कर रहे हैं. ऐसे में पश्चिम अफ्रीका पर युद्ध के बादल छाने लगे हैं. क्योंकि बुर्किना फासो और निगर को रूस का समर्थन मिला हुआ है.
बहुत लोगों ने पश्चिमी अफ्रीकी देश है बुर्किना फासो का नाम पहली बार ही सुना होगा. इससे सटे देश हैं घाना, माली, आईवरी कोस्ट और निगर. इस देश में पिछले एक साल से सेना का शासन है यानी मिलिट्री रूल है. इस मिलिट्री जुंटा का प्रमुख है कैप्टन इब्राहीम तारो-रे (या तोरे). अपने देश का राष्ट्राध्यक्ष होने के बावजूद हमेशा कमांडो की यूनिफॉर्म में रहता है कैप्टन इब्राहीम. हाथों में टेक्टिकल ग्लव्स पहने रहता है. पिछले साल जब इसने अपने एक साथी कमांडर को हटाकर देश की कमान संभाली तो ये कमांडो की तरह अपने चेहरे पर नकाब लगाकर रखता था. इब्राहीम दुनिया का सबसे कम उम्र का राष्ट्राध्यक्ष है. लेकिन हाल के दिनों में अपने सख्त विचारों और पूरे अफ्रीका के लिए रणनीति को लेकर ये अचानक सुर्खियों में आ गया.
दरअसल, 28-29 जुलाई को रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में रशियन-अफ्रीका सम्मिट का आयोजन किया गया था. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इस समिट को संबोधित किया था. इस सम्मलेन में अफ्रीका के कुल 19 देशों के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और राष्ट्राध्यक्षों ने हिस्सा लिया था. कई अफ्रीकी देशों के मंत्रियों ने भी शिरकत की थी. कैप्टन इब्राहीम भी इस सम्मेलन में हिस्सा लेने रूस गया था. उसी दौरान रशियन-अफ्रीकी कॉनक्लेव को संबोधित करते हुए कैप्टन इब्राहीम ने पूरी दुनिया से सवाल किया कि जब अफ्रीका में सबसे ज्यादा मिनरल्स का भंडार है, गोल्ड, डायमंड और यूरेनियम तक पूरी दुनिया को सप्लाई करता है तो अफ्रीका सबसे गरीब कॉन्टिनेंट क्यों है.
पुतिन की मौजूदगी में दिए भाषण में कैप्टन इब्राहीम ने यूरोप और दूसरे पश्चिमी देशों के उपनिवेश और साम्राज्यवाद पर जमकर निशाना साधते हुए कहा कि अफ्रीका आज तक गुलाम क्यों है. अफ्रीकी देशों के राष्ट्राध्यक्षों को पश्चिमी देशों की कठपुतलियां तक करार दे दिया. उन्होंने कहा की अफ्रीका के नेता भीख मांगने के लिए दुनियाभर का चक्कर क्यों काटते हैं. कैप्टन इब्राहीम ने कहा कि कोई भी दास या गुलाम जबतक अपनी आजादी के लिए नहीं लड़ता तब तक वो किसी तरह के विलासिता का हकदार नहीं हो सकता है.
रूस में दिए दमदार भाषण से कैप्टन इब्राहीम रातों रात अफ्रीका सहित पूरी दुनिया में हीरो की तरह देखा जानेलगा। रूस से लौटने पर बुर्किना फासो की जनता ने अपने चहेते हीरो को पलकों पर बिठा लिया. अपने देश लौटने पर उनका जमकर स्वागत हुआ.
लेकिन कैप्टन इब्राहीम के मशहूर होने का एक बड़ा कारण पिछले एक साल में उन्होनें जो अपने देश की जनता के लिए किया है उसमें छिपा है। अपने देश की कमान संभालने के बाद सबसे पहले तो कैप्टन इब्राहिम ने अपने देश से फ्रांस की सेना को बाहरकिया। दरअसल, बाकी पश्चिमी अफ्रीकी देशों के तरह 60 के दशक तक बुर्किना फासो भी फ्रांस की एक कालोनी थी। लेकिन आजादी के बाद भी राजनीतिक अस्थिरता और आतंकवाद के चलते फ्रांसीसी सैनिक यहां तैनात रहते थे। इसके अलावा अपने देश के नागरिकों के लिए विकासशील नीतियों को लेकर आया और महिलाओं को सम्मान दिया। इसके चलते ही कैप्टन इब्राहीम के लोग शंकरा की उपाधि देने लगे। 80 के दशक में थॉमस शंकरा बुर्किना फासो का एक लोकप्रिय मिलिटरी शासक था।
कैप्टन इब्राहीम की लोकप्रियता अमेरिका, फ्रांस और दूसरे पश्चिमी देशों को फूटी आंख नहीं सुहा रहीहै। इसका कारण है पिछले महीने बुर्किना फासो के पड़ोसी देश निगर में हुआ विद्रोह। निगर के राष्ट्रपति को उनके ही प्रेसिडेंशियल गार्ड ने बंदी बना लिया है। सेना भी प्रेसिडेंशियल गार्डस को सपोर्ट कर रही है। नए सैन्य शासक ने भी बुर्किना फासो और माली की तरह फ्रांस के सैनिकों को अपने देश से बाहर निकलने का फरमान सुना दिया है। साथ ही फ्रांस को होने वाली गोल्ड और यूरेनियम की सप्लाई बंद कर दी है। फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रो तिलमिला गए हैं और अपने सैनिकों को वापस बुलाने से मना कर दिया है। साथ ही फ्रांस में बिजली संकट गहरा सकता है। क्योंकि फ्रांस के अधिकतर बिजलीघर यूरेनियम की सप्लाई पर निर्भर करते हैं। अमेरिका ने भी निगर को दी जाने वाली सभी तरह की फाइनेंशियल मदद पर रोक लगा दी है।
दरअसल, कैप्टन इब्राहीम की अगुवाई में बुर्किना फासो, निगर और माली ने एक गठबंधन बना लिया है जो पश्चिमी देशों का विरोध कर रहा है और रूस के करीब जा रहा है. अल्जीरिया जैसे बड़े अफ्रीकी देश भी इस गठबंधन को मदद कर रहे हैं। लेकिन नाइजीरिया और दूसरे अफ्रीकी देश निगर में हुए सेना के विद्रोह का विरोध कर रहे हैं. नाइजीरिया और कुछ दूसरे अफ्रीकी देश अमेरिका और फ्रांस को निगर में सेना भेज कर बंदी राष्ट्रपति को छुड़ाकर सिविल गवर्नमेंट बनाने का समर्थन कर रहे हैं। ऐसे में पश्चिमी अफ्रीका में युद्ध के बादल छा सकते हैं. वो इसलिए क्योंकि निगर को अब रूस का समर्थन प्राप्त है। वहां के लोग फ्रांस के दूतावास के बाहर विरोध प्रदर्शन करने के वक्त रूस का झंडा और रूस के समर्थन में नारे लगा रहे हैं/ रूस की प्राईवेट आर्मी वैगनर भी निगर में दखल देने के लिए तैयार है.