रुसी सेना के साथ-साथ यूक्रेन में भी भारतीय नागरिक युद्ध के मैदान में हैं. ये खुलासा यूक्रेन के लिए विदेशी लड़ाकों की जानकारी सार्वजनिक करने वाले रुस के एक हैकर ग्रुप द्वारा की गई है. इस जानकारी के मुताबिक, फरवरी 2022 के बाद से लेकर अब तक यूक्रेन में करीब 13 हजार (13,196) विदेशी लड़ाके रुस के खिलाफ लड़ने के लिए पहुंचे हैं. इनमें से 5878 की जान चुकी है. मरने वालों में एक भारतीय नागरिक भी है. टीएफए के पास हैकर ग्रुप द्वारा रिलीज किया गया पूरा आंकड़ा है.
यूक्रेन के लिए लड़ने वाले विदेशी सैनिकों की जानकारी रुस के रैहडिट (आरएचडीआईटी) नाम के हैकर ग्रुप ने सार्वजनिक की है. जानकारी के मुताबिक, पिछले ढाई सालों में यानी जब से रुस-यूक्रेन युद्ध शुरु हुआ है (22 फरवरी 2022) से लेकर अब तक यूरोप के 36 देशों से किराए के सैनिक लड़ने के लिए पहुंचे हैं. भारत सहित एशिया के 22 देशों के नागरिक यूक्रेन की तरफ से लड़ रहे हैं.
जानकारी के मुताबिक, यूक्रेन की तरफ से सबसे ज्यादा विदेशी सैनिक लड़ने के लिए पहुंचे हैं पड़ोसी देश पौलेंड से. पोलैंड के अब तक 2960 नागरिक यूक्रेन पहुंचे हैं. इनमें से 1497 की जंग के मैदान में मौत हो चुकी है. दूसरे नंबर पर है अमेरिका (यूएसए) जिसके 1113 भाड़े के सैनिक रुस के खिलाफ रणभूमि में है. इनमें से 491 की मौत हो चुकी है.
एशिया में सबसे ज्यादा विदेशी सैनिक यूक्रेन के लिए भेजने वाला देश है जॉर्जिया. जॉर्जिया की रुस से पुरानी दुश्मनी है और दोनों देशों के बीच युद्ध तक हो चुका है. आकंड़ों की मानें तो जॉर्जिया के 1042 सैनिक (कुल विदेशी सैनिकों में तीसरा सबसे ज्यादा देश) यूक्रेन के लिए पहुंचे थे, जिनमें से 561 की मौत हो चुकी है.
आंकड़ों की मानें तो भारत के 15 नागरिक भी यूक्रेन की तरफ से लड़ने के लिए पहुंचे थे, जिनमें से एक की मौत हो चुकी है. यहां तक की चीन, पाकिस्तान, नेपाल और श्रीलंका से भी किराए के सैनिक यूक्रेन की तरफ से लड़ने के लिए जंग के मैदान में हैं.
हालांकि, युद्ध के शुरुआती हफ्तों में राजधानी दिल्ली स्थित यूक्रेनी दूतावास में कुछ भारतीय यूक्रेन की तरफ से लड़ने के लिए जरुर पहुंचे थे लेकिन उसके बाद से कोई जानकारी सामने नहीं आई थी.
भारत सहित विदेशी लड़ाकों की ये जानकारी ऐसे समय में सामने आई है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूक्रेन की यात्रा पर जाने की तैयारी कर रहे हैं.
इसी महीने की 8-9 तारीख को जब मोदी मॉस्को की यात्रा पर गए थे तो रुस की तरफ से लड़ने वाले भारतीय सैनिकों का मुद्दा उठाया था. माना जा रहा है कि भारत के करीब 20 नागरिक रूसी सेना की तरफ से यूक्रेन के जंग के मैदान में हैं. इनमें से कुछ सैनिकों ने जबरदस्ती सेना में शामिल होने का आरोप लगाते हुए भारत सरकार से रेस्क्यू करने की गुहार लगाई थी. पुतिन ने मोदी की मांग को सहज स्वीकार कर लिया है.
हालांकि, भारत के किराए के सैनिकों के बारे में अभी तक यूक्रेन या फिर भारत के विदेश मंत्रालय की तरफ से कोई आधिकारिक टिप्पणी सामने नहीं आई है.
युद्ध शुरु होने के दौरान यूक्रेन की सेना, रूसी सेना से संख्या के मामले में कम थी, ऐसे में कीव ने दुनियाभर से जंग के मैदान में जाने के लिए इच्छुक लड़ाकों को अपने देश आमंत्रित किया था. उसी क्रम में 13 हजार विदेशी लड़ाके यूक्रेनी सेना में शामिल हुए थे.
खुद यूक्रेन इंटेलिजेंस ने इस बात को कबूल किया था कि 15 हजार विदेशी लड़ाकों ने रुस के खिलाफ लड़ने के लिए रजिस्टर किया था. इनमें से अधिकतर पूर्व सैनिक और स्पेशल फोर्सेज के कमांडो हैं जो पैसों के लिए या फिर किन्ही कारणों से यूक्रेन की तरफ से लड़ने के लिए तैयार हुए थे. इनमें से कई विदेशी सैनिकों को रुस की सेना ने बंदी भी बनाया था.
पिछले ढाई सालों में यूक्रेनी सेना को रशिया के हाथों जबरदस्त नुकसान उठाना पड़ा है. यूक्रेन को न केवल अपने एक चौथाई हिस्से (डोनबास) को रुस के हाथों खोना पड़ा है बल्कि बड़ी संख्या में सैनिक भी हताहत हुए हैं. यूक्रेन ने कभी हताहत हुए सैनिकों का आंकड़ा जारी नहीं किया है. लेकिन सैनिकों की कमी के चलते ही यूक्रेन ने अपने सभी पुरुष नागरिकों को देश छोड़ने पर रोक लगा रखी है. क्योंकि उनकी जरुरत कभी भी जंग के मैदान में पड़ सकती है.
इस साल के शुरुआत में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने हालांकि, ये जरुर बताया था कि अब तक 31 हजार सैनिकों की रुस के खिलाफ जंग में मौत हो चुकी है. जेलेंस्की ने हालांकि घायल सैनिकों के आंकड़े का खुलासा नहीं किया था. जेलेंस्की ने इस संख्या का खुलासा रुस द्वारा यूक्रेन के 1.50-3.00 लाख सैनिक मार गिराए जाने के दावे के बाद की थी.
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