ड्रोन हमले और समुद्री-लूट की घटनाओं के बाद भारतीय नौसेना ने अरब सागर की निगहबानी बढ़ा दी है. अब युद्धपोतों और मैरीटाइम एयरक्राफ्ट के साथ-साथ यूएवी को भी एयर-सर्विलांस में तैनात किया गया है.
भारतीय नौसेना के प्रवक्ता, कमांडर विवेक मधवाल के मुताबिक, पिछले कुछ हफ्तों में रेड सी (लाल सागर), अदन की खाड़ी और सेंट्रल-नॉर्थ अरब सागर में व्यापारिक जहाजों के खिलाफ समुद्री-सुरक्षा से जुड़ी कई घटनाएं सामने आई हैं. कमांडर मधवाल के मुताबिक, ऐसे में उत्तरी और मध्य अरब सागर में खासतौर से नौसेना ने मिसाइल डेस्ट्रोयर और फ्रीगेट (युद्धपोतों) के साथ अलग-अलग टास्क ग्रुप बनाए हैं ताकि मैरीटाइम ऑपरेशन्स को अंजाम दिया जा सकें और किसी अप्रिय घटना की सूरत में मर्चेंट वेसल्स को सहायता प्रदान की जा सके.
14 दिसंबर को अदन की खाड़ी में माल्टा के व्यापारिक जहाज एमवी रुएन के सोमालियाई दस्यु के हाईजैक और 21 दिसंबर को गुजरात तट के करीब लाईबेरियाई जहाज एमवी केम प्लूटो पर हुए ड्रोन अटैक के बाद भारतीय नौसेना ने अपने तीन मिसाइल डेस्ट्रोयर (युद्धपोत) आईएनएस कोच्चि, आईएनएस कोलकाता और आईएनएस मोरमुगाओ को तैनात किया था. लेकिन अब इस जंगी बेड़े में फ्रीगेट यानी तेजी से चलने वाले वॉरशिप भी जुड़ गए हैं (Red Sea में भारतीय जहाज पर ड्रोन अटैक, अमेरिका का आरोप हूती विद्रोहियों ने किया हमला)
भारतीय नौसेना के मुताबिक, मैरीटाइम डोमेन के लिए लॉन्ग रेंज रेनोकोसेंस एयरक्राफ्ट और रिमोटली पायलेटड एयरक्राफ्ट (आरपीए) की तैनाती भी बढ़ाई गई है. भारतीय नौसेना के पास 12 अमेरिकी पी8आई लॉन्ग रेंज टोही विमान हैं जो पूरे हिंद महासागर की निगहबानी करते हैं. इनमें से 20 विमानों की एक पूरी स्क्वाड्रन तमिलानाडु के रजाली नेवल बेस पर तैनात रहते हैं. ये स्क्वाड्रन बंगाल की खाड़ी और दक्षिणी हिंद महासागर में चीनी नौसेना की हरकतों पर नजर रखती है. इसके अलावा दो पी8आई गोवा के आईएनएस हंस नेवल बेस पर तैनात रहते हैं जिन्हें अरब सागर के लिए तैनात किया गया है. लेकिन अरब सागर में ड्रोन अटैक और सोमालियाई पायरेट्स की घटनाओं के मद्देनजर यहां पी8आई की संख्या बढ़ा दी गई है.
वर्ष 2020 में भारतीय नौसेना में अमेरिकी कंपनी से दो एमक्यू-9 सी-गार्जियन आरपीए (ड्रोन) लिए थे. ये दोनों भी आईएनएस रजाली बेस पर तैनात रहते हैं. माना जा रहा है कि इन हाई ऑल्टिट्यूड लॉन्ग एंडुयरेंस (हेल) आरपीए को भी अरब सागर की निगरानी के लिए लगाया गया है. इसके अलावा नौसेना के पास पिछले दो दशकों से इजरायल के हेरोन और सर्चर ड्रोन भी हैं जो कोच्चि (केरल) स्थित नेवल एविएशन बेस पर तैनात रहते हैं. इन सभी ड्रोन को हाई अलर्ट पर रखा गया है ताकि अरब सागर में किसी भी तरह ही कोई अप्रिय घटना ना हो सके.
समंदर में भारत के एक्सक्लुजिव ईकोनोमिक जोन (ईईजेड) की प्रभावी तौर से सुरक्षा के लिए भारतीय नौसेना तटीय-रक्षक बल के साथ समन्वय में हैं. पूरी स्थिति पर बारीकी से नजर रखने के लिए भारतीय नौसेना सभी मैरीटाइम एजेंसियों के साथ मिलकर नजर बनाए हुए है ताकि व्यापारिक जहाजों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.
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