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लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी नए वाइस चीफ

जम्मू-कश्मीर से सटी एलओसी और पूर्वी लद्दाख में चीन से सटी एलएसी की कमान संभालने के बाद लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने सोमवार को थल सेना के सह-प्रमुख (वाइस चीफ) का पदभार संभाल लिया. लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी ने लेफ्टिनेंट जनरल सुचिन्द्र कुमार की जगह ये पद संभाला है जिन्हें अब उधमपुर स्थित उत्तरी कमान का कमांडिंग इन चीफ बनाया गया है. 

ले. जनरल द्विवेदी ने थल सेना के सह-प्रमुख का पदभार ग्रहण करने के बाद राजधानी दिल्ली में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की और साउथ ब्लॉक लॉन में गार्ड ऑफ ऑनर लिया. 

थल सेना के सह-प्रमुख के रूप में कार्यभार संभालने से पहले, ले. जनरल द्विवेदी बेहद चुनौतीपूर्ण परिचालन माहौल में 2022-2024 तक उत्तरी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ के पद पर कार्यरत थे. अपनी कमान संभालने के दौरान, ले जनरल द्विवेदी ने जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकवाद निरोधी अभियानों के संचालन के अलावा, उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर निरंतर ऑपरेशन्स की योजना और निष्पादन के लिए रणनीतिक मार्गदर्शन प्रदान किया. इस अवधि के दौरान, वे विवादग्रस्त सीमा मुद्दे को सुलझाने के लिए चीन के साथ चल रही बातचीत में सक्रिय रूप से लगे हुए थे. वे भारतीय सेना की सबसे बड़ी सेना कमान के आधुनिकीकरण और उसे सुसज्जित करने में भी शामिल थे, जहां उन्होंने आत्मनिर्भर भारत के अंग के रूप में स्वदेशी सैन्य साजो-सामान को शामिल कराने का नेतृत्व किया. 

उधमपुर में कार्यरत से पहले ले. जनरल द्विवेदी साउथ ब्लॉक (राजधानी दिल्ली स्थित थल सेना के मुख्यालय) में इन्फैंट्री के महानिदेशक के रूप में भी तैनात थे. जनरल द्विवेदी ने तीनों सेनाओं के लिए हथियारों की तेज पूंजीगत खरीद का नेतृत्व किया, जिससे सशस्त्र बलों की क्षमता में महत्वपूर्ण बेहतरी हुई है. सेना के उप प्रमुख (सूचना प्रणाली और समन्वय) के रूप में, उन्होंने भारतीय सेना में प्रौद्योगिकियों के ऑटोमेशन और उनके शामिल करने को प्रोत्साहन दिया. एक प्रौद्योगिकी उत्साही होने के नाते, उन्होंने उत्तरी कमान में सभी रैंकों की तकनीकी सीमा को बढ़ाने की दिशा में काम किया और बिग डेटा एनालिटिक्स, एआई, क्वांटम और ब्लॉकचेन-आधारित समाधानों जैसी ‘महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों’ को आगे बढ़ाया.

लेकिन ले जनरल द्विवेदी का उत्तरी कमान का कार्यकाल बेहद चुनौतीपूर्ण भी रहा. इस दौरान पुंछ-राजौरी इलाके में सेना के काफिलों पर कई बड़े आतंकी हमले हुए. इस दौरान डीकेजी क्षेत्र में घात लगाकर किए हमले के बाद आतंकियों ने सैनिकों के शवों के साथ बर्बरतापूर्ण कारवाई भी की. हमलों के जवाब में सेना के जवानों पर कस्टडी के दौरान स्थानीय (संदिग्ध) युवाओं की हत्या का आरोप भी लगा. इस घटना के बाद ही रक्षा मंत्री ने पूंछ पहुंचकर सेना को देशवासियों का दिल जीतने का आह्वान किया था. 

सैनिक स्कूल, रीवा (मध्य प्रदेश) के पूर्व छात्र, ले. जनरल द्विवेदी को 1984 में जम्मू और कश्मीर राइफल्स (18 जैकरिफ) में नियुक्त किया गया था. बाद में उन्होंने इस यूनिट कमान भी संभाली. उनको उत्तरी और पश्चिमी दोनों थिएटरों के संतुलित इक्सपोजर का गौरव प्राप्त है.

39 वर्षों के अपने करियर के दौरान, ले. जनरल द्विवेदी देश भर में फैले चुनौतीपूर्ण परिचालन माहौल में कमान संभालने वाले पदों को संभाला है. उन्होंने कश्मीर घाटी के साथ-साथ राजस्थान में भी अपनी यूनिट की कमान संभाली. वे उत्तर पूर्व में गहन आतंकवाद निरोधी माहौल में सेक्टर कमांडर और असम राइफल्स के महानिरीक्षक रहे हैं. लेफ्टिनेंट जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने पश्चिमी सीमाओं पर परिचालन भूमिका के साथ राइजिंग स्टार कोर की कमान भी संभाली है. कमान के चुनौतीपूर्ण कामों के अलावा, लेफ्टिनेंट जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने मुख्यालय बख्तरबंद ब्रिगेड, माउंटेन डिवीजन, स्ट्राइक कोर और एकीकृत मुख्यालय (सेना) में महत्वपूर्ण पदों पर काम किया है.

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