रुस ने भारत के हितों को कभी नुकसान नहीं पहुंचाया है जिसके कारण दोनों देशों के संबंध हमेशा स्थिर और दोस्ताना रहे हैं. देश के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक बार फिर पश्चिमी देशों को भारत-रुस संबंधों को लेकर आईना दिखाया है.
जयशंकर ने म्युनिख सिक्योरिटी कॉन्फ्रेंस के दौरान जर्मनी के एक अखबार से रुस-यूक्रेन युद्ध और भारत की विदेश नीति को लेकर एक बार फिर पश्चिमी देशों को खरी-खोटी सुनाई है. विदेश मंत्री ने दो टूक कहा कि ऐसे समय में जब सभी पश्चिमी देश पाकिस्तान को हथियार सप्लाई करते थे, हमें रुस से मदद मिली. क्योंकि पश्चिमी देश भारत को हथियार सप्लाई नहीं करते थे.
विदेश मंत्री ने कहा कि लेकिन पिछले 10-15 सालों में परिस्थितियां बदल गई हैं और आज भारत, रुस के अलावा अमेरिका, फ्रांस और इजरायल जैसे देशों से भी हथियार लेता है.
दरअसल, रुस-यूक्रेन युद्ध में तटस्थ विदेश नीति को लेकर पश्चिमी देश लगातार भारत की आलोचना कर रहे हैं. यही वजह है कि जयशंकर हर मोर्चे पर पश्चिमी देशों के प्रोपेगेंडा को काउंटर कर भारत की विदेश नीति को मजबूती से दुनिया के सामने रख रहे हैं. पश्चिमी देश भारत के रुस से तेल खरीदने को लेकर भी सवालों के घेरे में खड़ा कर रहा हैं. ऐसे में जयशंकर ने साफ कर दिया है कि हर देश के संबंधों का एक इतिहास होता है. भारत और रुस के ऐतिहासिक संबंध रहे हैं जिसमें कभी कोई दरार नहीं आई है. यही वजह है कि रुस-यूक्रेन युद्ध के दौरान भारत की भूमिका तटस्थ रही है.
विदेश मंत्री ने ये भी कहा कि अगर जरूरत हुई तो भारत रुस-यूक्रेन युद्ध में मध्यस्थता की पहल भी कर सकता है. जयशंकर ने कहा कि इस युद्ध से हर कोई प्रभावित है इसलिए भारत चाहता है कि युद्ध जल्द से जल्द खत्म हो.
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