Alert Breaking News Classified Documents Geopolitics India-China India-Pakistan

धूर्त पाकिस्तान की चीनी न्यूक्लियर मशीन जब्त

तंगहाली और भुखमरी से जूझ रहा पाकिस्तान क्या मिसाइल बनाने की फिराक में है. क्या परमाणु परीक्षण की तैयारी में जुटा है पाकिस्तान. क्या चालबाज चीन की मदद से पाकिस्तान रच रहा है बड़ी साजिश. पाकिस्तान के न्यूक्लियर प्रोग्राम में चीन कर रहा है मदद ? ये सवाल इसलिए, क्योंकि भारत ने चीन से पाकिस्तान भेजे जा रही एक संदिग्ध मशीन को मुंबई बंदरगाह पर जब्त किया है. इस मशीन का इस्तेमाल परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल के प्रोग्राम में किया जाता है. 

दरअसल एक खुफिया सूचना के बाद चीन से पाकिस्तान के कराची जा रहे एक समुद्री जहाज को भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने मुंबई के न्हावा शेवा पोर्ट पर रोका है. कार्गो शिप ‘सीएमए सीजीएम अत्तिला’ को पर माल्टा का झंडा लगा था और चीन से पाकिस्तान के कराची बंदरगाह जा रहा था.

पाकिस्तान के गुपचुप न्यूक्लियर प्रोग्राम का खुलासा

23 जनवरी को कस्टम विभाग ने जांच में जहाज पर लदे कंटेनर में एक ऐसा सामान बरामद किया, जिससे सुरक्षा एजेंसियों के कान खड़े हो गए. जहाज पर लदे कंटेनर के अंदर कंप्यूटर न्यूमेरिकल कंट्रोल यानी सीएनसी मशीन मिली है, जो परमाणु बम और मिसाइल बनाने में इस्तेमाल की जाती है. ये वही सीएनसी मशीन है जिसका इस्तेमाल उत्तर कोरिया का तानाशाह अपने परमाणु और मिसाइल परीक्षण के लिए करता है.

जांच में पता चला है कि जिस सीएनसी मशीन को जब्त किया गया है, वो ‘मेड इन इटली’ है. इटली की कंपनी कंप्यूटर सिस्टम द्वारा सटीक कंट्रोल के लिए जानी जाती है. सीएनसी मशीन के जब्त होने के बाद डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने भी जांच की है. डीआरडीओ की टीम मे जांच में पाया है कि मशीन का इस्तेमाल पाकिस्तान, परमाणु पहल या विशेष रूप से मिसाइल विकास के लिए उपयोग कर सकता था.

क्या है सीएनसी मशीन ?
इटली की कंपनी की सीएनसी मशीन, कंप्यूटर से कंट्रोल होती है और बेहद सटीक कटिंग करने के काम आती है. लकड़ी, धातु और प्लास्टिक से जुड़ी चीजों की कटाई के लिए सीएनसी मशीनों का इस्तेमाल होता है. उत्तर कोरिया ने इस मशीन का इस्तेमाल अपने मिसाइल प्रोग्राम में किया था. तब से पूरी दुनिया में जब भी कोई देश सीएनसी मशीन का ऑर्डर देता है तो सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो जाती हैं. डीआरडीओ भी मान रहा है कि पाकिस्तान के मिसाइल प्रोग्राम के लिए इस मशीन का इस्तेमाल किया जा सकता था.

भारतीय एजेंसियों को कैसे हुआ शक ?
2022 में भी भारत ने इसी न्हावा शेवा बंदरगाह पर इटली में बने थर्मोइलेक्ट्रिक उपकरणों वाले एक कार्गो को रोका था. लोडिंग के कार्गो बिलों से पता चला कि चीन से लाई गई खेप पाकिस्तान के कॉसमॉस इंजीनियरिंग के लिए थी. कॉसमॉस इंजीनियरिंग पाकिस्तान में एक रक्षा फर्म है जो पाकिस्तान की सेना के लिए आपूर्ति करती है. 

मार्च 2022 से पाकिस्तान की कॉसमॉस इंजीनियरिंग निगरानी सूची में है. उस समय पाकिस्तान ने इटली की एक कंपनी से थर्मो-इलेक्ट्रिक उपकरण खरीदने की कोशिश की थी. तब भी भारतीय अधिकारियों ने न्हावा शेवा बंदरगाह पर इटली में निर्मित थर्मोइलेक्ट्रिक उपकरणों की एक खेप को रोक दिया था. वहीं फरवरी 2020 में चीन औद्योगिक ड्रायर की आड़ में ऑटोक्लेव की आपूर्ति कर रहा था. ‘आटोक्लेव’ चीनी जहाज दाई कुई युन से जब्त किया गया था, जिस पर हांगकांग का झंडा लगा था.

चोर की दाढ़ी में तिनका, क्या है पाकिस्तान की सफाई
पाकिस्तान विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता जहरा बलूच ने भारतीय दावों को ‘मनमानी’ करार दिया है. जहरा बलूच ने कहा है कि जहाज के साथ जरूरी दस्तावेज हैं, पारदर्शी तरीके से मशीन की खरीद से जुड़े बैंक के चालान भी हैं. भारत की कार्रवाई अनुचित है. मुक्त व्यापार में भारत रोक टोक कर रहा है. भारत ने अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन किया है. इसके खिलाफ एक्शन लिया जाएगा.

भारत की तमाम एजेंसियां चीनी जहाज की जांच कर रही है. लेकिन ये बात भी सच है पाकिस्तान और उत्तर कोरिया जैसे देशों को तुर्की और चीन मदद दे रहे हैं. और यही वजह है अमेरिका ने पाकिस्तान के आटोक्लेव सप्लायर होने के कारण चीन की तीन कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया था. ऐसे में माना जा सकता है कि पाकिस्तान के अवैध मिसाइल व्यापार को लेकर आने वाले दिनों में सख्ती और बढ़ाई जा सकती है.  

ReplyForwardAdd reaction
ReplyForwardAdd reaction
ReplyForwardAdd reaction
ReplyForwardAdd reaction

 

ReplyForwardAdd reaction

 

ReplyForwardAdd reaction
ReplyForwardAdd reaction

editor
India's premier platform for defence, security, conflict, strategic affairs and geopolitics.