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सिख सांसद की वापसी, क्या बदल गया तालिबान

इतिहास की गलतियों को सुधारने की दिशा में अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए सिख और हिंदू धर्म के अल्पसंख्यकों की संपत्ति को वापस लौटाना शुरु कर दिया है. इसी कड़ी में अफगानिस्तान के सिख सांसद नरेंद्र सिंह खालसा को कनाडा से वापस बुलाकर तालिबान सरकार ने उनकी संपत्ति लौटा दी है. 

तालिबान सरकार के मुताबिक, न्याय मंत्रालय ने हिंदुओं और सिख अल्पसंख्यकों को उनकी जमीन-जायदाद और दूसरी संपत्ति को पिछली सरकार के वॉर-लॉर्ड (कबीलाई सरदारों) से लेकर वापस देना शुरु कर दिया है. इसी कड़ी में ऐतिहासिक फैसला लेते हुए सांसद खालसा का अफगानिस्तान में स-सस्मान स्वागत किया गया है. अफगानिस्तान के कंटेक्ट कमीशन ने दूसरे मुअज्जिज लोगों की मौजूदगी में खालसा का हार्दिक स्वागत किया गया. 

तालिबान के सत्ता में आने से पहले खालसा अफगानिस्तान की संसद (वोलेसी जिरगा) के सदस्य थे और हिंदू और सिख समुदाय का प्रतिनिधित्व करते थे. तालिबान के सत्ता में आने के बाद सिखों के गुरुद्वारे पर हमले हुए थे जिसके बाद सभी सिख और हिंदू अफगानिस्तान छोड़कर भारत आ गए थे. दिल्ली पहुंचने पर मीडिया से बातचीत करते हुए खालसा टूट गए थे और कैमरे पर रोते हुए दिखे थे. 

तालिबान सरकार के मुताबिक, “खालसा जैसे समाज की प्रमुख हस्तियों की निजी संपत्तियों को असली हकदार को लौटाना अफगानिस्तान में सकारात्मक विकास के रूप में देखा जा रहा है.” तालिबान के मुताबिक, इन कदमों से धार्मिक अल्पसंख्यकों के बीच सुरक्षा और अपनेपन की भावना को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है, जिन्होंने पिछले कुछ दशकों में उत्पीड़न सहा है. तालिबान सरकार के इन प्रयासों को अफगानिस्तान की अपनी विविध आबादी को गले लगाने और अपने अल्पसंख्यक समुदायों पर हुई ऐतिहासिक गलतियों को सुधारने की प्रतिबद्धता के एक आशाजनक संकेत के रूप में देखा जाता सकता है.

अफगानिस्तान में गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों की आबादी करीब एक प्रतिशत है और लंबे समय से देश की अर्थव्यवस्था में शहरों में लघु व्यवसायी और व्यापारियों के तौर पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. लेकिन पहले सोवियत संघ के वर्चस्व और फिर 90 के दशक में गृहयुद्ध और वर्ष 2021 में तालिबान के एक बार फिर से सत्ता पर काबिज होने के बाद सिख और हिंदू नागरिकों को भारत, इंग्लैंड, कनाडा और दूसरे देशों में शरणार्थी के तौर पर रहने को मजबूर हैं. ऐसे में सांसद खालसा को कनाडा से अफगानिस्तान बुलाकर स्वागत करना दिखाता है कि तालिबान अब बदल रहा है. 

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