रूस और अमेरिका के बीच क्या एक बार फिर से ‘क्यूबा मिसाइल संकट’ जैसी परिस्थिति खड़ी हो सकता है. ये सवाल इसलिए क्योंकि यूक्रेन युद्ध के बीच रुस ने अपने समुद्री-बेड़े को क्यूबा भेजा है. इस जंगी बेड़े में एक मिसाइल फ्रिगेट (युद्धपोत) सहित परमाणु पनडुब्बी भी है. हालांकि, अमेरिका ने रुस के जंगी बेड़े से किसी तरह के खतरे की आशंका नहीं जताई है लेकिन ये जरूर कहा कि समंदर में रुस के किसी भी युद्धाभ्यास पर पैनी ‘नजर’ रखी जाएगी.
1962 में ‘कोल्ड वार’ के समय अमेरिका और रुस (तत्कालीन सोवियत संघ) परमाणु-युद्ध के मुहाने पर पहुंच गए थे. कारण था, अमेरिका ने क्यूबा में फिदेल कास्त्रो की सरकार को गिराने का असफल प्रयास किया था. ऐसे में कास्त्रो के समर्थन में रुस ने क्यूबा में अपनी न्यूक्लियर मिसाइलों को तैनात करने की तैयारी कर ली थी. रुस की परमाणु मिसाइल की तैनाती के खिलाफ अमेरिका ने अपनी जंगी जहाजों से क्यूबा की घेराबंदी कर दी थी. हालांकि, बाद में संकट को राजनयिक प्रक्रिया से टाल दिया गया था लेकिन दो सुपर-पावर के परमाणु-जंग के सबसे करीब आने की ये एक बड़ी घटना थी. ठीक वैसी ही स्थिति आज दुनिया के सामने आने जा रही है.
रुस के रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, फार-ओसियन में अपने ‘फ्लैग को दिखाने’ और ऑपरेशन तैनाती के लिए नॉर्दन फ्लीट के युद्धपोत और पनडुब्बी कैरेबियाई समंदर जा रहे हैं (12-17 जून). इस जंगी बेड़े में क्रूज मिसाइल से लैस ‘एडमिरल गोर्शकोव’ मिसाइल फ्रिगेट और यासेन क्लास ‘कजान’ पनडुब्बी शामिल है. कजान, परमाणु ऊर्जा से संचालित पनडुब्बी है. इसके अलावा रूसी नौसेना का एक रिप्लेसमेंट टैंकर और एक टग-बोट भी शामिल है.
क्यूबा की डिफेंस मिनिस्ट्री ने भी साफ किया है कि रुस के जंगी बेड़े में कोई ‘परमाणु हथियार नहीं है’. रूसी नौसेना का क्रू हालांकि हवाना पोर्ट पर पहुंचने के बाद क्यूबा के नेवल कमांडर और प्रांतीय गवर्नर से मुलाकात जरुर करेगा.
अमेरिकी व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जॉन किर्बी के मुताबिक, रुस के जंगी बेड़े से अमेरिका को कोई खतरा नहीं है लेकिन ‘विजिट’ को ‘वॉच’ किया जाएगा. यानी अमेरिका को रूसी युद्धपोत और परमाणु पनडुब्बी से कोई खतरा फिलहाल नहीं दिखाई पड़ रहा है.
लेकिन पिछले 30-40 सालों में ये पहली बार है कि रुस की कोई परमाणु पनडुब्बी अमेरिका के इतने करीब पहुंची है. हाल ही में रुस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सार्वजनिक तौर से ये कहा था कि जिस तरह अमेरिका ने यूक्रेन को हथियार मुहैया कराए हैं, मास्को भी ठीक वैसी ही रणनीति अपनाएगा. यानी रुस भी अपने मित्र-देशों को परमाणु हथियार देने से गुरेज नहीं करेगा. बेलारुस के साथ नॉन-स्ट्रेटेजिक न्यूक्लियर एक्सरसाइज उसी नीति का हिस्सा है.
रुस का जंगी बेड़े ऐसे समय में क्यूबा पहुंचा है जब अमेरिका के लॉन्ग रेंज हथियारों (मिसाइलों) का इस्तेमाल यूक्रेन जबरदस्त तरीके से कर रहा है. न केवल क्रीमिया पर हमला करने के लिए यूक्रेन ने अमेरिका की एटीएसीएमएस मिसाइलों का इस्तेमाल किया है बल्कि ड्रोन के जरिए रुस के अंदरूनी इलाकों पर भी हमला किया है. रविवार को ही यूक्रेन की इंटेलिजेंस एजेंसी ने दावा किया है कि यूक्रेन सीमा से करीब 600 किलोमीटर दूर अस्त्राखान में रुस के एक एयरबेस पर तैनात ‘सु-57’ स्टील्थ फाइटर जेट को हमला कर तबाह कर दिया गया है.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यूक्रेन को सप्लाई किए गए हथियारों को रुस के खिलाफ इस्तेमाल करने की इजाजत दे दी है. लेकिन बाइडेन ने एक चेतावनी के साथ हथियारों के इस्तेमाल की परमिशन दी है. अमेरिका राष्ट्रपति ने कहा है कि हथियारों का इस्तेमाल यूक्रेन से सटे रुस के सीमावर्ती इलाकों में ही किया जा सकता है. वो भी यूक्रेन को आत्मरक्षा के लिए ही इस्तेमाल करने हैं.