प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की से हुई मुलाकात के अगले दिन भारत ने मास्को (रुस) में राजदूत रहे सीनियर आईएफएस ऑफिसर पवन कपूर को स्विट्जरलैंड में आयोजित दो दिवसीय पीस समिट (15-16 जून) में प्रतिनिधित्व के लिए भेजा है. करीब 100 देशों के राष्ट्राध्यक्ष और प्रतिनिधि ‘समिट ऑन पीस इन यूक्रेन’ में हिस्सा ले रहे हैं. खुद जेलेंस्की भी इस ग्लोबल पीस समिट में हिस्सा ले रहे हैं. हैरानी की बात ये है कि रुस ने इस सम्मेलन में शिरकत करने से साफ इंकार कर दिया है.
स्विट्जरलैंड की पहल पर ‘समिट ऑन पीस इन यूक्रेन’ को आयोजित किया गया है. लेकिन शिखर सम्मेलन से पहले विश्वास में न लेने से रुस ने हिस्सा लेने से इंकार कर दिया है. यहां तक की चीन भी रुस के हिस्सा न लेने के चलते शिरकत नहीं कर रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन हालांकि इटली में जी-7 समिट में हिस्सा ले रहे हैं (13-15 जून) लेकिन स्विट्जरलैंड नहीं जाएंगे. उनकी जगह अमेरिकी उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस हिस्सा ले रही हैं. हालांकि, बाकी सभी जी-7 सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष यूक्रेन पीस समिट में हिस्सा ले रहे हैं.
रुस से करीबी संबंध होने के चलते प्रधानमंत्री मोदी भी पीस समिट में हिस्सा नहीं ले रहे हैं. यहां तक की विदेश मंत्री एस जयशंकर और विदेश सचिव विनय क्वात्रा को भी स्विट्जरलैंड नहीं भेजा गया है जबकि ये सभी पीएम मोदी के साथ इटली में जी7 समिट में हिस्सा ले रहे थे. सभी पीएम मोदी के साथ शुक्रवार देर शाम देश वापस लौट आए. क्योंकि जेलेंस्की ने मोदी के तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के दौरान फोन कर स्विट्जरलैंड आने का न्यौता दिया था, ऐसे में शुक्रवार को दोनों (मोदी-जेलेंस्की) के बीच हुई मुलाकात में पीएम ने पीस समिट में भारतीय प्रतिनिधिमंडल के बारे में जानकारी साझा की थी. मोदी ने जेलेंस्की से रुस से ‘शत्रुता’ खत्म करने के लिए ‘बातचीत और डिप्लोमेसी’ का सहारा लेने की सलाह दी थी.
भारत की तरफ से विनय क्वात्रा के बाद सबसे सीनियर करियर डिप्लोमेट माने जाने वाले पवन कपूर को स्विट्जलैंड भेजने का फैसला किया गया है. कपूर फिलहाल विदेश मंत्रालय में सचिव (वेस्ट) के पद पर तैनात हैं. करीब ढाई साल मास्को में बिताने के बाद अप्रैल (2024) में वे साउथ ब्लॉक (विदेश मंत्रालय) लौटे हैं. मास्को में वे रुस में भारतीय राजदूत के तौर पर तैनात थे (नवंबर 2021-अप्रैल 2024).
कपूर के मास्को में रहने के दौरान ही फरवरी 2022 में रुस ने यूक्रेन पर आक्रमण (‘स्पेशल मिलिट्री ऑपरेशन’) छेड़ा था. ऐसे में कपूर रूस-यूक्रेन युद्ध को करीब से देख चुके हैं. साथ ही उन्होंने ऐसे समय में मास्को में भारत का प्रतिनिधित्व किया जब पूरी दुनिया रुस का साथ छोड़ चुकी थी. यूक्रेन युद्ध के दौरान भी रुस से जरूरी सैन्य उपकरण (एस-400 मिसाइल), हथियारों का साझा निर्माण (एके-203 राइफल), तेल के आयात और व्यापार को सुचारु रुप से चालू रखने में कपूर की अहम भूमिका थी. रुस में तैनात होने से पहले कपूर इजरायल और यूएई में भी भारतीय राजदूत के तौर पर काम कर चुके हैं.
रुस के राष्ट्रपति पुतिन ने, हालांकि शुक्रवार को ही साफ कर दिया था कि बिना उनके देश के समिट में हिस्सा लेने से यूक्रेन युद्ध (संघर्ष) का समाधान निकालना ‘नामुमकिन’ है. अपने विदेश मंत्रालय के अधिकारियों को संबोधित करते हुए पुतिन ने युद्ध-विराम के लिए दो बड़ी शर्त रखी हैं. पहला ये कि यूक्रेन उन सभी इलाकों (डोनबास) से अपने सैनिकों को हटा ले जहां पिछले दो सालों में रुस ने अपने अधिकार-क्षेत्र में किया है–दोेनेत्स्क, लुहांस्क, जेपोरेजिया और खेरसोन. साथ ही यूक्रेन को नाटो संगठन में शामिल होने की जिद छोड़ने होगी (युद्धविराम की शर्त के बीच मिले मोदी-जेलेंस्की).
यूक्रेन ने हालांकि, पुतिन की दोनों शर्तों को मानने से इंकार कर दिया है. यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमीत्रो कुलेबा ने कहा ये पुतिन का शांति-प्रस्ताव नहीं बल्कि ‘अल्टीमेटम’ है. कुलेबा ने पुतिन की दोनों शर्त मानने से साफ इंकार कर दिया. इससे पहले जेलेंस्की ने भी कई बार साफ कर दिया है कि यूक्रेन जब तक रुस से बातचीत नहीं करेगा जब तक रुसी सेनाएं यूक्रेन के कब्जा किए इलाकों को पूरी तरह खाली नहीं कर देती.
स्विट्जरलैंड पहुंचने के बाद जेलेंस्की ने शुक्रवार को कहा कि पीस समिट “वैश्विक बहुमत को उन क्षेत्रों में विशिष्ट कदम उठाने का अवसर प्रदान करेगा जो दुनिया में सभी के लिए महत्वपूर्ण हैं: परमाणु सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा, और युद्धबंदियों और निर्वासित यूक्रेनी बच्चों सहित सभी निर्वासित व्यक्तियों की वापसी.”
स्विट्जरलैंड में यूक्रेन में शांति के लिए भले ही सभी जी-7 सदस्य देश इकठ्ठा हो रहे हैं. लेकिन जी7 द्वारा रुस के फ्रीज किए गए बैंक अकाउंट और संपत्तियों से अर्जित आमदनी के जरिए यूक्रेन को 50 बिलियन डॉलर का लोन दिए जाने से पुतिन गुस्से में है. पुतिन ने साफ कर दिया है कि रुस की संपत्तियों की चोरी को लेकर पश्चिमी देशों को किसी कीमत पर ‘बख्शा नहीं जाएगा’.