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यूक्रेन समिट में रूस absent, भारत खिन्न

यूक्रेन युद्ध को लेकर भारत ने एक बार फिर दुनिया को दो टूक कह दिया है कि ऐसे किसी भी शांति-प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया जाएगा जिसमें रुस शामिल न हो. स्विट्जरलैंड में आयोजित दो दिवसीय यूक्रेन पीस समिट (15-16 जून) में भारत ने किसी भी ‘दस्तावेज से स्वयं को जोड़ने से साफ इंकार कर दिया’. 

शिखर सम्मेलन के बाद भारत के विदेश मंत्रालय ने बाकायदा आधिकारिक बयान जारी कर कहा कि “भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने शिखर सम्मेलन के उद्घाटन और समापन पूर्ण सत्र में भाग लिया. भारत ने इस शिखर सम्मेलन से निकली किसी भी विज्ञप्ति/दस्तावेज़ से स्वयं को संबद्ध नहीं किया.”

स्विट्जरलैंड और पश्चिमी देशों की अगुवाई में बर्जनस्टॉक में ‘समिट ऑन पीस इन यूक्रेन’ का आयोजन किया गया था. इसमें भारत की तरफ से विदेश मंत्रालय में सचिव (वेस्ट) पवन कपूर ने हिस्सा लिया था. पवन कपूर पिछले ढाई साल से मॉस्को में भारत के राजदूत के पद पर तैनात थे और हाल ही में दिल्ली लौटे हैं. 

अपने संक्षिप्त भाषण में पवन कपूर ने शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा भारत का पक्ष रखा. कपूर ने कहा कि “यूक्रेन शांति फॉर्मूले पर भारत का पहले ही की तरह रुख है और चाहता है कि शांति का रास्ता बातचीत और डिप्लोमेसी के जरिए ही निकाला जाए.” कपूर ने कहा है कि इस तरह के प्रस्ताव के लिए बेहद जरूरी है कि “संघर्ष (युद्ध) में शामिल दोनों पक्षों (रुस और यूक्रेन) को व्यावहारिक और ईमानदार तरीके से इंगेजमेंट करना चाहिए.” 

विदेश मंत्रालय ने भी कहा कि भारत “दोनों पक्षों सहित सभी स्टेकहोल्डर्स से जुड़ा रहेगा ताकि शीघ्र और स्थायी शांति लाने के सभी प्रयासों में योगदान दिया जा सके.” यहां तक स्विट्जरलैंड की राष्ट्रपति ने अपनी अभिभाषण में कहा कि शांति के लिए सभी देशों को प्रयास करना चाहिए. 

हालांकि, भारत ऐसा अकेला देश नहीं था जिसने पीस समिट में हिस्सा लेने के बावजूद किसी भी बयान इत्यादि से जुड़ने से इंकार किया था. सऊदी अरब, मैक्सिको, यूएई, आर्मेनिया और ब्राजील सहित करीब एक दर्जन देशों ने ऐसा किया है. यहां तक की अमेरिका का प्रतिनिधित्व कर रही उपराष्ट्रपति कमला हैरिस भी सम्मेलन समाप्त होने से पहले स्विट्जरलैंड से जा चुकी थी. 

यूक्रेन पीस समिट में करीब 100 देशों के राष्ट्राध्यक्ष और प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था लेकिन खास बात ये है कि रूस ने शिरकत नहीं की थी. रूस ने ये कहकर आने से मना कर दिया था कि उसे न तो विश्वास में लिया गया और न ही आमंत्रित किया गया है. चीन ने भी रूस के चलते शिखर सम्मेलन में हिस्सा नहीं लिया है. यही वजह है कि सम्मेलन के समापन समारोह में बोलते हुए यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने चीन को शांति प्रक्रिया में शामिल होने का आह्वान किया है. 

जेलेंस्की ने एक बार फिर रुस के राष्ट्रपति पुतिन द्वारा युद्धविराम के लिए रखी गई दोनों शर्तों को मानने से इंकार कर दिया और कहा कि ये शांति प्रस्ताव नहीं ‘अल्टीमेटम’ है जिसे नहीं माना जा सकता है. लेकिन जेलेंस्की ने जल्द ही दूसरे पीस समिट की उम्मीद जरूर की जिसे पूरे विश्व में मान्यता मिल सके. 

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