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नोबेल अर्थशास्त्री या सूदखोर, बांग्लादेश के मुखिया यूनुस

लंदन में रहने वाले नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को बांग्लादेश की सेना ने अंतरिम सरकार का चीफ एडवाइजर (मुखिया) बनाया है. ये वही मोहम्मद यूनुस हैं जिनके खिलाफ (पूर्व) प्रधानमंत्री शेख हसीना के कार्यकाल में भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के आरोप लगे थे. अमेरिका के पिछलग्गू माने जाने वाले यूनुस को शेख हसीना ने गरीबों का खून चूसने वाला करार दिया था.

80 के दशक में बांग्लादेश में ग्रामीण बैंक की स्थापना करने वाले यूनुस को सेना का करीबी माना जाता रहा है. 84 साल के यूनुस को अमेरिकी की फुलब्राइट स्कॉलरशिप प्राप्त है. उन्होंने अपनी पीएचडी (अर्थशास्त्र) एक अमेरिकी यूनिवर्सिटी से ही की थी. वे एक अमेरिकी यूनिवर्सिटी में अस्सिटेंट प्रोफेसर के पद पर भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं. यही वजह है कि उन्हें अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन से देखा जा सकता है तो वे बराक ओबामा तक के करीबी माने जाते हैं. उन्हें अमेरिका के कई सिविलियन मेडल से नवाजा जा चुका है.

जिस ग्रामीण बैंक के जरिए बांग्लादेश के लाखों गरीब लोगों की जिंदगी बदलने का श्रेय यूनुस को मिला, उसी के जरिए धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे गंभीर आरोप भी लगे. उनपर गरीबों से बढ़ी ब्याज दर वसूलने का आरोप लगा.

इसी साल जनवरी के महीने में बांग्लादेश की एक कोर्ट ने छह महीने की सजा सुनाई थी. उनपर करीब डेढ़ दर्जन केस दर्ज थे. हालांकि, यूनुस सभी मामलों को राजनीति से प्रेरित करार देते हैं. क्योंकि वर्ष 2007 में उन्होंने सेना की मदद से एक राजनीतिक पार्टी के गठन का ऐलान किया था. किन्हीं कारणों से यूनुस ने पार्टी का गठन नहीं किया. लेकिन वे तभी से शेख हसीना के आंखों का कांटा बन गए थे.

ऐसे में वे लंबे समय से लंदन में ही रह रहे थे. पिछले महीने से शुरु हुए छात्र आंदोलन को यूनुस का समर्थन प्राप्त था. ऐसे में जब बांग्लादेश आर्मी ने अंतरिम सरकार का गठन किया तो यूनुस को चीफ एडवाइजर नियुक्त किया गया. अमेरिका के विदेश विभाग ने अंतरिम सरकार बनाए जाने का स्वागत किया है. (शेख हसीना के तख्तापलट का US कनेक्शन)

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