भारत और अमेरिका के संबंधों को लेकर डोनाल्ड ट्रंप सरकार के दौरान नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर (एनएसए) रहे लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) एच आर मैकमास्टर ने बड़ा दावा किया है. दावा ये कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारत सरकार चीन की आक्रामकता के चलते अमेरिका के साथ ‘अभूतपूर्व’ सहयोग के लिए तैयार थी. हालांकि, भारत को अमेरिकी संबंध में ‘फंसने और त्यागे जाने’ को लेकर भी ‘भयभीत’ बताया है. पूर्व एनएसए ने ये दावा ने अपनी नई किताब ‘एट वॉर विद आवरशेल्व्स’ में किया है.
चीन की आक्रामकता के कारण अमेरिका के साथ भारत: एच आर मैकमास्टर
अमेरिका के पूर्व एनएसए मैकमास्टर ने अपनी किताब में बताया कि साल 2017 में जब उन्होंने भारत का दौरा किया, तब उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, तत्कालीन विदेश सचिव और अभी के विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की थी. इसके अलावा मैकमास्टर ने एनएसए अजीत डोवल से भी मीटिंग की थी. अपनी किताब में मैकमास्टर ने लिखा कि “पीएम मोदी, जयशंकर और अजीत डोवल के साथ हुई बैठक में इन चीन की आक्रामकता और उससे निपटने के लिए भारत-अमेरिका के बीच सहयोग की संभावना पर चर्चा हुई.”
मैकमास्टर ने अपनी पुस्तक में लिखा कि “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारत सरकार मुख्य रूप से चीनी आक्रामकता के कारण अमेरिका के साथ अभूतपूर्व सहयोग करने की इच्छुक है, लेकिन साथ ही वह फंसने और त्यागे जाने को लेकर भी भयभीत है.” मैकमास्टर के मुताबिक, “मीटिंग में पीएम मोदी ने चीन की बढ़ती आक्रामकता और क्षेत्र में बढ़ती सैन्य उपस्थिति को लेकर चिंता व्यक्त की थी. मोदी ने अमेरिका, भारत, जापान और समान विचारधारा वाले भागीदारों को एक स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक की अवधारणा पर जोर देने का सुझाव दिया था. जो जो चीन के ‘वन बेल्ट वन रोड’ पहल के विपरीत हो.”
अजीत डोवल जानते थे कि अफगानिस्तान में क्या होगा?
मैकमास्टर की किताब में 14-17 अप्रैल 2017 को अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भारत की यात्रा का विस्तार से वर्णन है. ट्रंप के एनएसए रहे मैकमास्टर ने अपनी पुस्तक में लिखा- डोवल ने उनसे पूछा था, ‘‘आपके जाने के बाद अफगानिस्तान में क्या होगा?’’ इस पर मैकमास्टर ने भारतीय एनएसए से कहा कि ट्रंप ने दक्षिण एशिया रणनीति को मंजूरी दी है और यह 17 साल के युद्ध में पहली तर्कसंगत एवं टिकाऊ रणनीति है. उन्होंने लिखा, ‘‘डोवल को यह सब कुछ पता था, लेकिन कभी-कभी आप अपने सबसे करीबी विदेशी समकक्षों के साथ भी पूरी तरह से ईमानदार नहीं हो सकते. वास्तव में, मैं डोवल की चिंता को समझता था और मुझे पता था कि मेरी प्रतिक्रिया उतनी आश्वस्त करने वाली नहीं थी.”
भारत को पाकिस्तान के परमाणु बम से भी नहीं था डर
ट्रंप के पूर्व एनएसए लिखा, ‘‘हमने अफगानिस्तान में युद्ध और परमाणु-संपन्न पाकिस्तान से भारत को होने वाले खतरे के बारे में बात की, लेकिन जयशंकर और डोवल ने उस चिंता को पूरी तरह से नजरअंदाज किया, शायद उनको पाकिस्तान से कोई डर नहीं था.” उनकी चिंता मुख्य तौर पर चीन की बढ़ती आक्रामकता को लेकर थी जिसके बारे में एस जयशंकर और अजीत डोवल ने बात की.
मैकमास्टर ने लिखा, “भारत को उन प्रतिस्पर्धाओं में फंसने का डर है, जिससे वह दूर रहना पसंद करता है और उसे अमेरिका के ध्यान देने वाला समय कम होने और दक्षिण एशिया को लेकर अस्पष्टता के कारण त्यागे जाने की भी आशंका है’’ उन्होंने लिखा कि “शीत युद्ध के दौरान गुटनिरपेक्ष आंदोलन में भारत के नेतृत्व की विरासत और ये चिंताएं भारत के लिए हथियारों और तेल के एक महत्वपूर्ण स्रोत रूस के प्रति उसके अस्पष्ट व्यवहार का कारण है.”
सिर्फ मोदी से गले मिलते हैं ट्रंप: मैकमास्टर
तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पीएम मोदी के बीच संबंधों के बारे में भी लिखा. मैकमास्टर ने लिखा- ट्रंप के साथ मोदी की पहली मुलाकात के दौरान, दोनों नेता गर्मजोशी से मिले थे. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप को दुनिया के किसी नेता से गले मिलना पसंद नहीं था, सिर्फ पीएम मोदी को छोड़कर. मैकमास्टर ने लिखा है कि “मैंने ट्रंप को सचेत किया कि प्रधानमंत्री मोदी गले मिलने वाले हैं और जिस तरह से यात्रा अच्छी रही है, उसे देखकर उनके बयान देने के बाद शायद वह ट्रंप से गले मिलेंगे.”
मैकमास्टर ने इस बात का भी खुलासा किया कि “मोदी पहले राष्ट्राध्यक्ष हैं, जिनकी तत्कालीन राष्ट्रपति ट्रंप और प्रथम महिला ने रात्रिभोज के लिए ‘ब्लू रूम’ में मेजबानी की थी.”