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न्यूक्लियर Triad मजबूत करेगी आईएनएस अरिघात, भारत ने किया ऐलान

भारत ने आधिकारिक तौर से दूसरी परमाणु पनडुब्बी ‘आईएनएस अरिघात’ के जंगी बेड़े में शामिल होने का ऐलान किया है. विशाखापट्टनम में आयोजित कमिशनिंग सेरेमनी में खुद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी मौजूद रहे.

इस दौरान नौसेना और स्ट्रेटेजिक फोर्स कमान (एसएफसी) के अधिकारियों और परमाणु पनडुब्बी बनाने वाले शिपयार्ड के कर्मचारियों को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि अरिघात से “भारत का न्यूक्लियर ट्रायड (जल, थल और आकाश) में मजबूत होगा और परमाणु डिटरेंस (प्रतिरोध) बढ़ेगा.” राजनाथ सिंह ने कहा कि इस परमाणु पनडुब्बी से “क्षेत्र में रणनीतिक संतुलन और शांति स्थापित करने में मदद मिलने के साथ ही देश की सुरक्षा में निर्णायक भूमिका निभाएगी.”

रक्षा मंत्री ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के संकल्प को दोहराते हुए कहा कि मोदी सरकार “सैनिकों को टॉप हथियार और मिलिट्री प्लेटफॉर्म देने के लिए मिशन-मोड में काम कर रही है.”

आईएनएस अरिघात, अरिहंत क्लास की दूसरी परमाणु पनडुब्बी है. आईएनएस अरिहंत को वर्ष 2016 में बेहद गुपचुप तरीके से नौसेना के जंगी बेड़े में शामिल किया गया था. लेकिन आठ साल बाद अरिघात की कमिशनिंग का भारत ने आधिकारिक तौर से ऐलान किया है. खुद रक्षा मंत्रालय ने इस बाबत आधिकारिक बयान जारी किया है.

संस्कृत में अरिघात का अर्थ होता है ‘दुश्मनों का संहार’. आईएनएस अरिघात को अरिहंत की तरह ही विशाखापट्टनम स्थित शिपयार्ड में तैयार किया गया है. अरिहंत को 750 किलोमीटर दूर तक मार करने वाली के-15 बैलिस्टिक मिसाइल (न्यूक्लियर) मिसाइल से लैस किया गया है. इसका वजन करीब  छह हजार टन है. अरिघात की लंबाई करीब 110 मीटर और चौड़ाई 11 मीटर है.

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को याद करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि आज की जियोपॉलिटिक्स में भारत, विकसित बनने की दौड़ में शामिल हो रहा है. ऐसे में अन्य क्षेत्रों की तरह डिफेंस सेक्टर में भी भारत को डेवलप बनने की खास जरूरत है.

रक्षा मंत्री ने इस मौके पर भारतीय नौसेना, डीआरडीओ, शिपयार्ड और इंडस्ट्री की इस पनडुब्बी का बनाने की क्षमता की प्रशंसा की.  

भारत इस वक्त अरिहंत क्लास की दो अन्य एसएसबीएन पनडुब्बी बना रहा है. भारतीय नौसेना की तीसरी परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिदमन के निर्माण का कार्य भी तेजी से चल रहा है. इसके निर्माण के बाद भारत के जंगी बेड़े में 16 डीजल (एसएसके) कन्वेंशनल सबमरीन हो जाएगी और तीन परमाणु पनडुब्बी (एसएसबीएन). भारत के पास एक मात्र एसएसएन यानी न्यूक्लियर पावर पनडुब्बी को दस साल की लीज खत्म होने के बाद वर्ष 2022 में वापस रूस भेज दिया गया था.

आईएनएस अरिदमन, अरिहंत और अरिघात से भी उन्नत किस्म की पनडुब्बी है. करीब सात हजार टन की अरिदमन को स्वदेशी के-4 बैलिस्टिक मिसाइल से लैस किया जा रहा है जिसकी रेंज करीब 4000 किलोमीटर है.

वर्ष 2004 में भारत ने चार एसएसबीएन पनडुब्बी बनाने के लिए एडवांसड टेक्नोलॉजी वेसेल (एटीवी) लॉन्च किया था. इस प्रोजेक्ट की एक चौथी पनडुब्बी (कोड नेम एस-4) भी निर्माणाधीन है.

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