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ब्रिक्स में नो-एंट्री, पाकिस्तान ने Russian कमांडर्स को किया आमंत्रित

ब्रिक्स देशों में शामिल होने के लिए गिड़गिड़ा रहा पाकिस्तान अब रूस के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने में जुट गया है. पाकिस्तान और रूस के शीर्ष सैन्य अधिकारियों के बीच इस्लामाबाद में मीटिंग हुई है, जिसमें पाकिस्तान ने रूस से रक्षा सहयोग बढ़ाने की अपील की है. 

रूस के उप रक्षामंत्री के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल पाकिस्तान पहुंचा है. इस दौरान पाकिस्तान सेना के तीनों प्रमुखों से रूसी उप रक्षा मंत्री ने मुलाकात की है.

ब्रिक्स बैठक के बाद पाकिस्तान में रूसी प्रतिनिधिमंडल
रूस के उप रक्षा मंत्री कर्नल जनरल अलेक्जेंडर वी. फोमिन के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय रूसी प्रतिनिधिमंडल पाकिस्तान के दौरे पर है. रूसी उप रक्षा मंत्री ने इस्लामाबाद में पाकिस्तान की तीनों सेनाओं के प्रमुखों से अलग-अलग मुलाकात की है. पाकिस्तान और रूसी अधिकारियों के बीच ये बैठक ब्रिक्स की बैठक के बाद हुई है. पाकिस्तान ब्रिक्स में शामिल होने की कोशिश कर रहा है. पर रूस ने पाकिस्तान को ब्रिक्स में शामिल होने के लिए आमंत्रित तक नहीं किया था, क्योंकि रूस अपने पारंपरिक और बेस्ट फ्रेंड भारत को नाराज नहीं करना चाहता था.

दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडल ने पांचवें रूसी-पाकिस्तानी ज्वाइंट मिलिट्री कंसलटेटिव कमेटी की बैठक में भी हिस्सा लिया. पाकिस्तान की तरफ से रक्षा सचिव लेफ्टिनेंट जनरल अली मोहम्मद ने अपने देश के प्रतिनिधिमंडल का प्रतिनिधित्व किया. 

रूस के साथ बैठक के बाद पाकिस्तान ने क्या कहा?
पाकिस्तानी सेना के ‘इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर)’ ने अपने बयान में कहा कि “सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर के साथ बैठक के दौरान रूस और पाकिस्तान ने क्षेत्रीय सुरक्षा और आपसी हितों के मुद्दे पर चर्चा की, जिसमें द्विपक्षीय रक्षा और सुरक्षा सहयोग को बढ़ाना भी शामिल है.” 

आईएसपीआर के मुताबिक,”बैठक में संयुक्त सैन्य अभ्यास और पीएएफ उपकरणों के लिए तकनीकी सहायता के माध्यम से मौजूदा संबंधों को मजबूत करने के नए तरीकों पर भी चर्चा की गई.”

रूस-पाकिस्तान में बढ़ रही घनिष्टता, भारत के लिए नो टेंशन!
हाल के वर्षों में रूस और पाकिस्तान के बीच व्यापार बढ़ा है. इसी महीने इस्लामाबाद में एससीओ की बैठक का आयोजन किया गया था, जिसमें रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव शामिल हुए थे, तो वहीं भारत की ओर से एस जयशंकर ने भी शिरकत की थी. 

आंकड़ों पर गौर किया जाए तो पिछले साल रूसी कच्चे तेल की पहली खेप कराची बंदरगाह पर पहुंची थी. इस साल पाकिस्तान को रूसी निर्यात में इसकी हिस्सेदारी 20 प्रतिशत से अधिक हो गई है. 
अगर बात भारत की हो तो पाकिस्तान और रूस की घनिष्ठता से भारत को कोई चिंता नहीं है क्योंकि सोवियत संघ के समय से रूस और भारत में अच्छी मित्रता है. पिछले 10 साल में पीएम मोदी के सत्ता में आने के बाद दोस्ती और प्रगाढ़ हुई है. व्यापार के अलावा रूस-पाकिस्तान में ऐसी कोई डिफेंस डील नहीं हुई है, जो भारत के नजरिए से चिंता करने वाली हो.    

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