पहले चीन और अब तालिबान से भारत के सुधरते संबंधों से पाकिस्तान पसीना-पसीना हो रहा है. तालिबानी रक्षा मंत्री मुल्ला याकूब से भारतीय राजनयिक जेपी सिंह की पहली मुलाकात हुई है. याकूब तालिबान के पूर्व सुप्रीम कमांडर मुल्ला उमर के बेटे हैं और पाकिस्तान के कट्टर विरोधी माने जाते हैं.
बुधवार को काबुल में मुल्ला याकूब से विदेश मंत्रालय में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान से जुड़े मामले देखने वाले संयुक्त सचिव जेपी सिंह ने मुलाकात की. इस मुलाकात के बाद तालिबान सरकार ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर कहा कि “भारत-अफगानिस्तान ने द्विपक्षीय रिश्तों को और मजबूत बनाने पर चर्चा की.” अफगानिस्तान के रक्षा मंत्री मुल्ला याकूब पहले भी भारत के साथ रक्षा संबंधों को मजबूत करने की इच्छा जता चुके हैं.
तालिबानी रक्षा मंत्री से विदेश मंत्रालय के अधिकारी ने मुलाकात कर चौंकाया
भारत के विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव जेपी सिंह अचानक से बुधवार को काबुल के दौरे पर पहुंच गए. भारतीय राजनयिक ने तालिबान के रक्षा मंत्री मुल्ला याकूब मुजाहिद से मुलाकात की. भारतीय प्रतिनिधि ने तालिबान के कार्यकारी विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी और पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई से भी मुलाकात की है. यह भारतीय राजनयिक जे पी सिंह का इस साल दूसरा काबुल दौरा है.
मार्च में भी जेपी सिंह ने काबुल की यात्रा की थी. तालिबान के सत्ता संभालने के बाद भारतीय अधिकारी कम से कम पांच बार अफगानिस्तान की यात्रा कर चुके हैं.
हमारी जमीन का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों के लिए नहीं: तालिबान
काबुल में जेपी सिंह और मोहम्मद याकूब मुजाहिद की द्विपक्षीय मुलाकात के बाद तालिबान के राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्रालय ने एक्स पर लिखा, “नेशनल डिफेंस मिनिस्ट्री के प्रशासक ने अपने ऑफिस में भारत से आए प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की.बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय संबंधों, खासतौर पर मानवीय सहयोग का दायरा बढ़ाने की इच्छा जताई. इसके अलावा अफगानिस्तान और भारत के संपर्कों को और बढ़ाने पर चर्चा की.”
साल 2021 में तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था और उसके बाद से अब भारत और तालिबानी सरकार के बीच संबंध सुधर रहे हैं. तालिबानी सरकार ने एक बार फिर से भारत को यह आश्वासन दिया कि वह अपनी जमीन का इस्तेमाल भारत के खिलाफ नहीं होने देगी.
भारत में तालिबानी राजदूत को मिलेगी मान्यता?
दिल्ली में अफगानिस्तान का दूतावास पिछले साल अक्टूबर से बंद है. दूतावास बंद होने से पहले कहा गया था कि भारत सरकार से उसे समर्थन नहीं मिल रहा है. दरअसल, दूतावास में तैनात अफगान अधिकारियों के आपसी विवाद और अंदरूनी कलह के चलते दूतावास बंद है.
अफगान सरकार चाहती है कि भारत, तालिबानी राजदूत की नियुक्ति को मान्यता दे. तालिबान सरकार को अभी तक किसी भी देश ने मान्यता नहीं दी है, हालांकि चीन, यूएई समेत कई देशों ने अब तालिबान के राजदूत को मान्यता दे दी है.
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इस साल 30 जनवरी को चीन के लिए तालिबान के आधिकारिक राजदूत असदुल्लाह बिलाल करीमी का लेटर ऑफ क्रेडेंशियल स्वीकार किया था. तालिबान चाहता है कि भारत भी उनके राजदूत को मान्यता दे. वहीं काबुल स्थित भारतीय दूतावास भी साल 2022 से बंद है. भारतीय दूतावास में केवल एक तकनीकी टीम ही काम कर रही है.
तालिबानी रक्षा मंत्री से मुलाकात अहम क्यों है?
तालिबानी रक्षामंत्री से भारतीय अधिकारी की पहली बार मुलाकात हुई है. ये इसलिए मायने रखती है क्योंकि पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच रिश्ते लगातार बिगड़ रहे हैं. वहीं पाकिस्तान और भारत के रिश्ते भी पटरी पर नहीं हैं. ऐसे में अफगानिस्तान और भारत की मित्रता से पाकिस्तान अलग-थलग पड़ा हुआ है. वहीं पाकिस्तान में जिस तरह से चीनी नागरिकों की हत्या और उन पर हमले हो रहे हैं. चीन भी पाकिस्तान से बिफरा हुआ है. कुछ महीने पहले ऐसी खबरें भी आई थीं कि चीन ने नागरिकों की सुरक्षा के लिए तालिबान से मदद मांगी है. ऐसे में रणनीतिक तौर पर भारतीय अधिकारी और तालिबानी रक्षा मंत्री की मुलाकात बेहद अहम हो जाती है.
विदेश मंत्रालय का बयान
तालिबान के रक्षा मंत्री से जेपी सिंह की मुलाकात पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि 4-5 नवबंर को भारतीय राजनयिक ने काबुल की यात्रा की थी. इस यात्रा के दौरान उन्होंने अफगानिस्तान के प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री सहित संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के अधिकारियों से मुलाकात की थी. मुलाकात के दौरान, जेपी सिंह ने भारत की अफगानिस्तान को मानवीय सहायता सहित अफगान बिजनेसमैन द्वारा चाबहार पोर्ट के इस्तेमाल पर भी चर्चा हुई. ईरान के चाबहार बंदरगाह को भारत ही संचालित करता है. (https://x.com/abhishekjha157/status/1854476040137019734)