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पनामा नहर को उड़ा ले जाएगा अमेरिका, ट्रंप के बयान से बवाल

भारत, चीन, कनाडा और ब्राजील के बाद अब अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पनामा नहर पर दिए बयान पर विवाद गहरा गया है. ट्रंप ने दो महासागर को मिलाने वाली नहर के कब्जे की बात कही तो पनामा के राष्ट्रपति जोस राउल मुलिनो ने इसे संप्रभुता का अपमान करार दिया. मुलिनो ने कहा है कि नहर पनामा की ही है, और पनामा की ही रहेगी.

मुलिनो ने दो टूक कह दिया है कि शुल्क की बात तो पनामा से गुजरने वाले जहाजों से टैक्स के एक्सपर्ट्स ने निर्धारित किया है. पनामा अमेरिका का एक अहम सहयोगी है और नहर अर्थव्यवस्था के लिए बेहद अहम है. पनामा के राष्ट्रपति और ट्रंप में ठीक-ठीक बनती भी है, पर दूसरे कार्यकाल से पहले मुलिनो से ठनती दिखाई पड़ रही है.

पनामा पर नियंत्रण वापस अमेरिका को अपने हाथ में ले लेना चाहिए: ट्रंप

जीत के बाद पहली बार ट्रंप ने एक बड़ी रैली को संबोधित किया. एरिजोना में ‘टर्निंग प्वाइंट यूएसए अमेरिका फेस्ट’ में समर्थकों को संबोधित करते हुए डोनाल्ड ट्रंप ने पनामा नहर को लेकर बयान दिया है. ट्रंप ने कहा कि “पनामा से होकर गुजरने वाले अमेरिकी जहाजों से अनुचित शुल्क वसूला जा रहा है, जिसे देखकर लगता है कि अब इसका नियंत्रण वापस अमेरिका को अपने हाथ में ले लेना चाहिए.”

डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि “सत्ता में आने के बाद उनका प्रशासन पनामा नहर पर नियंत्रण हासिल करने का प्रयास कर सकता है जिसे अमेरिका ने मूर्खतापूर्ण तरीके से अपने मध्य अमेरिकी सहयोगी को सौंप दिया था.” ट्रंप ने कहा, “ऐसा इसलिए क्योंकि अटलांटिक और प्रशांत महासागरों को जोड़ने वाली इस अहम नहर से गुजरने के लिए जहाजों से बेवजह शुल्क वसूला जाता है.”

ट्रंप ने अपने संबोधन में कहा कि जब उनका दूसरा कार्यकाल शुरू होगा और उस दौरान यदि कुछ सिद्धांतों का पालन नहीं किया गया तो वह पनामा नहर को अमेरिका को पूर्ण रूप से, शीघ्रता से और बिना किसी प्रश्न के वापस करने की मांग करेंगे. (https://x.com/TrumpWarRoom/status/1870890804954235223)

नहर का एक-एक मीटर पनामा का है, और रहेगा: राष्ट्रति मुलिनो

पनामा के राष्ट्रपति जोस राउल मुलिनो ने ट्रंप की बातों को खारिज करते हुए कहा कि “पनामा से होकर गुजरने वाले जहाजों से लिया जाना वाला शुल्क एक्सपर्ट्स ने तय किया है. पनामा हमारा है और हमारा रहेगा.”

ट्रंप के संबोधन के बाद पनामा के राष्ट्रपति मुलिनो ने एक वीडियो जारी करके कहा ,‘‘नहर का प्रत्येक वर्ग मीटर पनामा का है और आगे भी उनके देश का ही रहेगा.’’ मुलिनो ने कहा, ‘‘पनामा के लोगों के कई मुद्दों पर अलग-अलग विचार हो सकते हैं, लेकिन जब हमारी नहर और हमारी संप्रभुता की बात आती है तो हम सभी एकजुट हैं.’’

82 किलोमीटर की नहर जिसने बदली दुनिया की अर्थव्यवस्था

यह नहर एक बेहद जरूरी जलमार्ग है, जो अटलांटिक महासागर को प्रशांत महासागर से जोड़ता है. इस नहर के चलते समुद्री व्यापार और परिवहन अधिक तेज और सस्ता हो गया है.  पनामा नहर का निर्माण साल 1881 में फ्रांस ने शुरू किया था, लेकिन साल 1904 में पनामा नहर बनाने की जिम्मेदारी अमेरिका ने संभाली और फिर साल 1914 में अमेरिकी इंजीनियर्स की मदद से बनाया गया था. इसके बाद पनामा नहर पर अमेरिका का ही नियंत्रण रहा. वर्ष 1999 में अमेरिका ने पनामा नहर का नियंत्रण पनामा की सरकार को सौंप दिया. यह नहर जहाजों को अफ्रीका के केप हॉर्न से होकर जाने की जरुरत को खत्म करती है, जिससे 8,000-10,000 किलोमीटर का सफर बचता है. 

भारत के लिए क्यों जरूरी है पनामा नहर?

इस नहर से ग्लोबल बिजनेस आसान बना है. शिपिंग और लॉजिस्टिक की लागत कम हुई है. ग्लोबल बिजनेस का 5% हिस्सा इसी से संचालित होता है. पनामा कैनाल, विशेष रूप से अमेरिका और एशिया के बीच बिजनेस का एक बड़ा और सस्ता जलमार्ग है.

भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते व्यापार में पनामा नहर की भूमिका अहम है. नहर के जरिए सामान को सीधे प्रशांत महासागर और अटलांटिक महासागर के बीच भेजा जा सकता है, जिससे समय और लागत बचती है. भारतीय प्रोडक्ट अमेरिका के पश्चिमी और पूर्वी तटों पर आसानी से पहुंच पाते हैं. अगर नहर बंद हो जाए तो जहाजों को लंबी दूरी तय करनी पड़ेगी, जिससे लागत और समय बढ़ेगा.

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