देश के सैन्य इतिहास में पहली बार रक्षा मंत्रालय ने स्वदेशी कंपनियों को रॉकेट (गोला-बारूद) बनाने का सबसे बड़ा ऑर्डर दिया है. पिनाका मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम (एमएलआरएस) के एरिया डिनायल म्युनिशन और हाई एक्सप्लोसिव रॉकेट के लिए रक्षा मंत्रालय ने 10 हजार से भी ज्यादा का कॉन्ट्रेक्ट दिया है.
रक्षा मंत्रालय ने ये पिनाका रॉकेट सिस्टम के दो अलग-अलग ऑर्डर (अनुबंध) डिफेंस सेक्टर की पीएसयू म्युनिशन इंडिया लिमिटेड (एमआईएल) और प्राईवेट कंपनी ईकोनोमिक एक्सप्लोसिव लिमिटेड (ईईएल) को दिया है.
गुरूवार को राजधानी दिल्ली में रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह की मौजूदगी में दोनों कॉन्ट्रेक्ट पर हस्ताक्षर हुए. पिछले हफ्ते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (सीसीएस) ने थलसेना की आर्टिलरी (तोपखाने) को मजबूत बनाने वाले इस कॉन्ट्रैक्ट को मंजूरी दी थी. (https://x.com/DefenceMinIndia/status/1887471396164350375)
पिनाका के जरिए बिछाई जाएगी बारूदी सुरंग
एडीएमएस के जरिए, लैंडमाइंस यानी बारूदी सुरंग को बिछाने के लिए पिनाका रॉकेट सिस्टम का इस्तेमाल किया जाएगा. ऐसे में 30-40 किलोमीटर दूर से ही रॉकेट के जरिए बारूदी सुरंग को बिछाया जा सकता है.
रक्षा मंत्रालय ने ईईएल (सोलर ग्रुप) को 6000 करोड़ का कॉन्ट्रैक्ट दिया है जबिक एमआईएल को 4000 करोड़ का.
रूस-यूक्रेन युद्ध से सीख
रूस-यूक्रेन के बीच चल रही जंग से भारतीय सेना ने भी हथियारों के इस्तेमाल को लेकर बड़ी सीख ली हैं. इनमें सबसे प्रमुख है ‘एरिया डिनायल म्युनिशन सिस्टम’ (एडीएमएस) जिसके लिए भारतीय सेना के तोपखाने ने ‘पिनाका’ रॉकेट सिस्टम में जरूरी बदलाव पूरे कर लिए हैं.
रूस-यूक्रेन युद्ध में एरिया डिनायल म्युनिशन का जमकर इस्तेमाल किया गया है. ऐसा इसलिए क्योंकि रूस और यूक्रेन, दोनों देशों की सेना एक दूसरे की सीमा में दाखिल होने की कोशिश कर रही हैं. ऐसे में दुश्मन के आक्रमण को रोकने के लिए मल्टी लॉन्चर रॉकेट सिस्टम के जरिए बारूंदी सुंरग को सीमावर्ती क्षेत्रों में बिछाया जा रहा है.
गलवान घाटी की झड़प के दौरान चीन ने किया था एडीएमएस का प्रदर्शन
दुश्मन की इंफेंट्री (पैदल-सैनिकों) से लेकर टैंक और दूसरे मैकेनाइज्ड फोर्सेज को अपने अधिकार-क्षेत्र में घुसपैठ करने से रोकने के लिए बारूदी सुरंग को बिछाया जाता है. भारत में अभी तक ये जिम्मेदारी कोर ऑफ इंजीनियर्स के हवाले हैं. इंजीनियर्स कोर के सैनिक (सैपर्स) इन बारूदी सुरंग को बिछाते हैं, जो बेहद जोखिम कार्य है और समय भी ज्यादा लगता है.
गौरतलब है कि गलवान घाटी की झड़प के दौरान चीन की पीएलए सेना ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के करीब इस तरह के रॉकेट सिस्टम का प्रदर्शन किया था. यही वजह है कि भारतीय सेना भी इस सिस्टम को जल्द से जल्द तैयार कर तोपखाने का हिस्सा बनाने में जुटी है.
पिनाका की रेंज बढ़ी
भारतीय सेना के मुताबिक, पिनाका मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम आज दुनिया के सबसे घातक सिस्टम में से एक है. पिनाका की रेंज को भी बढ़ा दिया गया है.
पिनाका की रेंज करीब 40 किलोमीटर थी लेकिन वर्ष 2019 में डीआरडीओ ने इस रॉकेट को मिसाइल सिस्टम में तब्दील कर दिया था ताकि मारक क्षमता और रेंज को बढ़ाया जा सके. अब पिनाका सिस्टम की रेंज करीब 75 किलोमीटर हो गई है.
गुरूवार को रक्षा मंत्रालयन ने इस एक्सटेंडेड यानी पिनाका की बढ़ी हुई रेंज के रॉकेट का ऑर्डर दिया है.
तोपखाने की ताकत बढ़ेगी
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, इन ऑर्डर से भारतीय सेना की आर्टिलरी (तोपखाने) की लॉन्ग रेंज (लंबी दूरी) की क्षमताएं बेहद सटीकता से बढ़ जाएंगी.