चीन के ब्रह्मपुत्र नदी पर बनाए जा रहे डैम की भारत कर रहा है कड़ी निगरानी. केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने राज्यसभा में जवाब देते हुए जानकारी साझा की है.
पिछले साल चीन ने एक बड़े डैम को बनाने की घोषणा की थी, जिसको लेकर भारत बेहद अलर्ट है, क्योंकि चीन ने भले ही बांध को लेकर भारत के साथ सहयोग पर हाल ही में चर्चा की थी, लेकिन विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने लिखित उत्तर में बताया है कि “हम सावधान हैं.”
कीर्ति वर्धन सिंह ने चीनी बांध को लेकर क्या जानकारी दी?
केंद्रीय मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने एक लिखित उत्तर में कहा, “सरकार ब्रह्मपुत्र नदी से संबंधित सभी डेवलपमेंट्स की सावधानीपूर्वक निगरानी कर रही है. इसमें चीन द्वारा जलविद्युत परियोजनाएं विकसित करने की योजना भी शामिल है. सरकार राष्ट्र के हितों की रक्षा के लिए आवश्यक उपाय कर रही है.”
कीर्ति वर्धन सिंह ने ये भी जानकारी दी कि “सीमा पार नदियों से संबंधित मुद्दों पर चीन के साथ 2006 में स्थापित संस्थागत विशेषज्ञ-स्तरीय तंत्र और राजनयिक चैनलों के माध्यम से चर्चा की जाती है.”
चीन के सामने भारत ने जताई बांध पर चिंता: कीर्तिवर्धन सिंह
केंद्रीय मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह के मुताबिक, ”ब्रह्मपुत्र नदी बेसिन में जलविद्युत परियोजनाओं के पारिस्थितिक और सामाजिक-आर्थिक प्रभावों को कम करने के लिए रणनीति तैयार करने के लिए पूर्वोत्तर भारत में ब्रह्मपुत्र की प्रमुख सहायक नदियों पर अध्ययन किया गया है.
साथ ही भारत ने सरकार ने चीनी अधिकारियों के सामने अपनी चिंताओं को लगातार जाहिर किया है. भारत ने चीन से इस बात को सुनिश्चित करने को कहा है कि नदी के ऊपरी इलाकों में किसी भी गतिविधि से निचले भाग के हितों को नुकसान न पहुंचे.”
विदेश सचिव ने किया था बीजिंग का दौरा, हुई थी बांध पर बात
दरअसल, ब्रह्मपुत्र नदी पर चीन, दुनिया का सबसे बड़ा बांध बनाने की तैयारी कर रहा है. भारत के लिए खतरे की घंटी इसलिए है क्योंकि ये बांध उस मोड़ पर बन रहा है जहां ब्रह्मपुत्र नदी अरुणाचल प्रदेश में दाखिल हो रही है.
विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने 26-27 जनवरी को अपनी चीन यात्रा के दौरान ब्रह्मपुत्र नदी पर बनाए जा रहे बांध के बारे में भी बात की थी. विदेश मंत्रालय के मुताबिक, “भारत-चीन में हाइड्रोलॉजिकल डाटा और ट्रांस-बॉर्डर नदियों पर सहयोग को लेकर एक एक्सपर्ट स्तर की मीटिंग को लेकर भी सहमति बनी है.”
चीन के बांध का भारत ने भी निकाला है तोड़
ब्रह्मपुत्र नदी, उत्तर-पूर्व की लाइफलाइन है. ऐसे में चीन ब्रह्मपुत्र नदी पर बांध बनाकर भविष्य में नॉर्थ ईस्ट राज्यों में मुश्किलें बढ़ा सकता है.चीन अपने बांध के जरिए लोगों का पानी रोक कर भारत के नॉर्थ ईस्ट को पानी से वंचित कर सकता है. चीन के बांध के मुकाबले भारत भी अपर सियांग बहुउद्देश्यीय परियोजना (एसयूएमपी) लाया है, जो अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सियांग जिले में सियांग नदी पर प्रस्तावित एक जल विद्युत परियोजना है. केंद्र सरकार के इस प्रोजेक्ट के जरिए ना सिर्फ हर साल आने वाली बाढ़ पर नियंत्रण किया जा सकेगा बल्कि पानी का उपयोग सिंचाई के काम और बिजली बनाने के लिए भी लाया जा सकेगा. अगर चीन ब्रह्मपुत्र के पानी को रोकता है तो सियांग नदी के पानी के जरिए भारत नार्थ-ईस्ट में लोगों को पानी मिल सकता है.
अरुणाचल प्रदेश के डिप्टी सीएम चौना मेन ने हाल ही में बड़ा बयान देते हुए कहा है कि “चीन के बांध का मुकाबला करने के लिए सियांग बांध तैयार किया जाएगा.” अरुणाचल प्रदेश के डिप्टी सीएम ने कहा था कि “सियांग बांध यारलुंग त्सांगबो पर चीनी बांध का मुकाबला करेगा. ये बांध राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अहम है. स्थानीय लोगों को ये समझना चाहिए. हम लोगों को चीन के बनाए जा रहे बांध की जानकारी दे रहे हैं. प्रस्तावित चीनी बांध सियांग नदी और निचले इलाकों को कितना प्रभावित करने वाला है.”
चीन के बांध पर आशंका जता चुके हैं सीएम पेमा और सीएम हिमंता
सीएम खांडू ने कहा था कि “सियांग पर बहुउद्देशीय परियोजना से न सिर्फ बिजली पैदा होगी, बल्कि चीन की ओर से अतिरिक्त पानी छोड़े जाने की स्थिति में बाढ़ का जोखिम कम किया जा सकेगा.” चीन के प्रस्तावित बांध को लेकर असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा भी आशंकित हैं. सीएम सरमा ने कहा, “अगर चीन बांध बनाता है तो ब्रह्मपुत्र की क्षेत्र नाजुक हो जाएगा. ये सूख जाएगी और केवल भूटान और अरुणाचल प्रदेश की बारिश के पानी पर निर्भर करेगा.”
भारत पर नहीं पड़ेगा नकारात्मक प्रभाव: चीन
विदेश मंत्रालय की चिंताओं पर चीन ने भी सफाई दी थी. चीन ने कहा था कि इस परियोजना का वैज्ञानिक सत्यापन हो चुका है. इसका भारत और बांग्लादेश पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा. चीनी विदेश मंत्रालय के नए प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने कहा था, “यारलुंग सांगपो नदी (ब्रह्मपुत्र नदी का तिब्बती नाम) के निचले क्षेत्र में चीन जलविद्युत परियोजना का निर्माण कार्य का वैज्ञानिक सत्यापन किया गया है. इससे निचले हिस्से में स्थित किसी भी देश के पारिस्थितिकी पर्यावरण और जल संसाधनों पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा.”
चीन में एससीओ सम्मेलन, पीएम मोदी जाएंगे चीन?
कूटनीतिक बातचीत के बाद भारत और चीन के संबंधों में थोड़ा सुधार हुआ है. इस साल एससीओ की मेजबानी चीन कर रहा है. बीजिंग चाहता है कि इस साल एससीओ शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी हिस्सा लेने के लिए जरूर चीन आएं. पाकिस्तान के चलते पीएम मोदी एससीओ की दो समिट में शामिल नहीं हुए हैं. कजाख्स्तान (3-4 जुलाई 2024) में भी पीएम मोदी की जगह विदेश मंत्री एस जयशंकर गए थे और फिर पिछले साल अक्टूबर में पाकिस्तान में हुए सम्मेलन में भी.
कजाख्स्तान के सम्मेलन में पीएम मोदी देश में आम चुनाव के चलते शामिल नहीं हुए थे. कजाख्स्तान में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग सहित पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी शामिल हुए थे. पाकिस्तान में हुए सम्मेलन में पुतिन और शी भी शामिल नहीं हुए थे. पीएम मोदी के सक्रिय ना होने से एससीओ संगठन कमजोर पड़ता दिखाई पड़ रहा है. यही वजह है कि इस साल चीन चाहता है कि पीएम मोदी जरूर शामिल हो.
इस साल, भारत और चीन के बीच राजनयिक संबंधों के 75 साल पूरे हो रहे हैं. ऐसे में दोनों देश, पब्लिक डिप्लोमेसी के जरिए एक दूसरे को समझने की लिए तैयार हो गए हैं ताकि आपसी विश्वास और भरोसा कायम किया जा सके.
माना जा रहा है कि अगर पीएम मोदी बीजिंग जाते हैं, तो एलएसी के साथ-साथ ब्रह्मपुत्र पर बनाए जा रहे बांध पर भी बातचीत हो सकती है. भारत एक बार फिर पुल को लेकर अपनी चिंता चीन के सामने रख सकता है.