एशिया, यूरोप और अमेरिका को जोड़ने के प्लान को लेकर भारत और इजरायल के विदेश मंत्रियों के बीच मुलाकात हुई है. विदेश मंत्री एस जयशंकर और इजरायल के विदेश मंत्री गिदोन सार के बीच मीटिंग जर्मनी के म्यूनिख में हुई है.
एशिया, यूरोप और अमेरिका को भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर (आईएमईईसी) की घोषणा साल 2023 में भारत में हुए जी-20 की बैठक में की गई थी.
आतंकी संगठन हमास के इजरायल पर हुए अटैक (अक्टूबर 2023) दौरान भी ये कॉरिडोर चर्चा में तब आया था जब तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ये कहकर सनसनी फैला दी थी कि हमास के असली निशाने पर इजरायल नहीं, ये कॉरिडोर है.
अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी पीएम मोदी के साथ हुई मुलाकात में इस कॉरिडोर पर जोर दिया है. पीएम मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के बीच हुई बैठक में इजरायल के जरिए यूरोप और अमेरिका को जोड़ने पर बातचीत हुई थी. जयशंकर और गिदोन सार ने राष्ट्रपति ट्रंप के दृष्टिकोण समेत कई महत्वपूर्ण मामलों पर मंथन किया.
भारत-इजरायल के विदेश मंत्रियों में इन मुद्दों पर चर्चा
एस जयशंकर ने बताया, ‘म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन 2025’ के मौके पर इजरायल के विदेश मंत्री गिदोन सार से मिलकर बहुत अच्छा लगा. पश्चिम एशिया/मध्य पूर्व की मौजूदा स्थिति पर विचारों का आदान-प्रदान किया. हमारी द्विपक्षीय साझेदारी की मजबूती और महत्व को रेखांकित किया.
इजरायली विदेश मंत्री के कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, इजरायल, भारत के साथ अपने संबंधों को रणनीतिक महत्व देता है. गिदोन सार ने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ इजरायल से होकर एशिया, यूरोप और अमेरिका को जोड़ने के ट्रम्प के दृष्टिकोण पर चर्चा की.
जयशंकर और गिदोन सार ने हूतियों और ईरान की ओर से व्यापारिक रास्तों पर होने वाले हमलों पर भी चर्चा की. (https://x.com/mayakadosh/status/1891023865096122725?s=46)
पीएम मोदी- डोनाल्ड ट्रंप के संयुक्त बयान में इस मार्ग पर क्या कहा गया?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एक संयुक्त सम्मेलन में ट्रंप ने कहा कि अमेरिका और भारत “इतिहास के सबसे महान व्यापार मार्गों में से एक” के निर्माण में मदद करने के लिए मिलकर काम करने पर सहमत हुए हैं. यह भारत से इजरायल, इटली और फिर संयुक्त राज्य अमेरिका तक जाएगा, और हमारे साझेदारों को बंदरगाहों, रेलमार्गों और समुद्र के नीचे बिछाई गई बहुत सारी केबलों से जोड़ेगा. यह एक बड़ी उपलब्धि है. इसमें बहुत सारा पैसा खर्च होगा, और हमने पहले ही कुछ खर्च कर दिया है, लेकिन आगे बने रहने तथा अग्रणी बने रहने के लिए हमें और भी अधिक खर्च करना होगा.”
भारत में हुए जी 20 सम्मेलन में हुई थी परियोजना की घोषणा
भारत से मध्य पूर्व के माध्यम से यूरोप तक बुनियादी ढांचे को जोड़ने के लिए एक मौजूदा परियोजना है. भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर की घोषणा दिल्ली में 2023 जी 20 शिखर सम्मेलन में की गई थी, जिसे इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने “इतिहास की सबसे बड़ी परियोजना बताते हुए मिडिल ईस्ट की सूरत बदलने वाला बताया था.”
पीएम मोदी ने इस कॉरिडोर की तारीफ करते हुए कहा था, “भारत कनेक्टिविटी को क्षेत्रीय सीमाओं में नहीं बांधता. सभी क्षेत्रों के साथ कनेक्टिविटी बढ़ाना भारत की मुख्य प्राथमिकता है. हमारा मानना है कि कनेक्टिविटी विभिन्न देशों के बीच आपसी व्यापार ही नहीं, आपसी विश्वास बढ़ाने का स्रोत है.”
इमैनुएल मैक्रों ने कहा कि, यह बहुत महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट है. मैक्रों ने कहा था, कि “हम लंबी अवधि के लिए इनवेस्टमेंट करने के प्रतिबद्ध हैं. यह एशिया, मिडिल-ईस्ट यह लोगों को आपस में जोड़ने का बड़ा अवसर है. हम अलग-अलग देशों में मैन्युफैक्चरिंग के अवसर उपलब्ध कराएंगे.”
कॉरिडोर समझौते में कौन-कौन देश शामिल?
कोरिडोर के मेगा प्रोजेक्ट पर भारत, अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), सऊदी अरब, फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूरोपीय संघ मिलकर काम कर रहे हैं. कॉरिडोर को इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कोरिडोर यानी आईएमईसी नाम दिया है. इस कोरिडोर के बनने के बाद रेल और जहाज से भारत से यूरोप तक पहुंचा जा सकेगा.