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धर्म की रक्षा सर्वोपरि, भारतीय सेना जापान रवाना

जापान की सेना के साथ साझा युद्धाभ्यास ‘धर्म गार्जियन’ में हिस्सा लेने के लिए भारतीय सेना की मद्रास रेजीमेंट, ईस्ट फूजी के लिए रवाना हो गई है. 24 फरवरी से 9 मार्च तक चलने वाला ये युद्धाभ्यास, दोनों देशों की सेनाओं के बीच छठा संस्करण है.

धर्म गार्जियन एक वार्षिक मिलिट्री एक्सरसाइज है जो भारत और जापान में बारी-बारी से होती है. यह सैन्य अभ्यास पिछली बार फरवरी-मार्च 2024 में राजस्थान में आयोजित किया गया था. इस साल ये अभ्यास, जापान के पूर्व फूजी प्रशिक्षण क्षेत्र मे होने जा रहा है.

सेना की मद्रास रेजीमेंट करेगी जापान में प्रतिनिधित्व

भारतीय सेना के मुताबिक, “120 सैनिकों वाली भारतीय टुकड़ी का प्रतिनिधित्व मुख्य रूप से मद्रास रेजीमेंट की एक बटालियन के सैनिक कर रहे हैं. जापान की ग्राउंड सेल्फ डिफेंस फोर्स (जेजीएसडीएफ) का प्रतिनिधित्व 34 वीं इन्फेंट्री रेजिमेंट करेंगी.”

यूएन चार्टर के तहत एक्सरसाइज

धर्म-गार्जियन युद्धाभ्यास का उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के तहत संयुक्त शहरी युद्ध और आतंकवाद विरोधी अभियानों को अंजाम देते हुए दोनों सेनाओं के बीच अंतर-संचालन को बढ़ाना है. इस अभ्यास में उच्च स्तर की शारीरिक फिटनेस, संयुक्त योजना और संयुक्त सामरिक अभ्यास पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा.

इस अभ्यास में सामरिक अभ्यास, संयुक्त अभ्यास और आपदा प्रतिक्रिया रणनीतियां शामिल होंगी. साथ ही परिचालन क्षमताओं को बढ़ाने, युद्ध कौशल दक्षता में सुधार करने और प्रभावी संयुक्त संचालन के लिए अंतर-संचालन को मजबूत करने के लिए भारत और जापान के साझा युद्धाभ्यास को डिज़ाइन किया गया है.

इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए प्रतिबद्ध भारत और जापान

भारतीय सेना ने एक आधिकारिक बयान जारी कर कहा कि ये सैन्य अभ्यास धर्म गार्डियन भारत और जापान के बीच द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को और मजबूत करेगा.

भारतीय सेना के मुताबिक, “यह अभ्यास क्षेत्रीय सुरक्षा, शांति और स्थिरता के प्रति भारत और जापान की साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है. इसके साथ ही यह एक स्वतंत्र, खुले और समावेशी इंडो-पैसिफिक के साझा दृष्टिकोण को आगे बढ़ाता है.” धर्म गार्जियन सैन्य अभ्यास, भारत-जापान संबंधों के क्षेत्रीय सहयोग की आधारशिला को मजबूत करता है. यह परस्पर सैन्य संबंधों को मजबूत करता है और सांस्कृतिक समझ को बढ़ावा देता है.

भारत और जापान के बीच मैत्री, विश्वास और सांस्कृतिक संबंधों के स्थायी बंधन का प्रमाण यह अभ्यास सार्थक व्यावसायिक जुड़ाव के लिए मंच तैयार करता है तथा व्यापक रक्षा सहयोग के लिए दोनों देशों की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है.