हाल ही में जब विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ओमान की राजधानी मस्कट में बांग्लादेश के समकक्ष तौहीद हुसैन से मुलाकात की तो सलाह दी कि पड़ोसी देश को ‘आतंकवाद को सामान्य गतिविधि’ ना बनाएं. जयशंकर का इशारा पाकिस्तान की तरफ था जहां, आतंकवाद को ‘स्टेट-नीति’ बना लिया गया है. क्योंकि खुद बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री ने भी अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस को अपने देश को आतंकी-देश में बदलने का संगीन आरोप लगाया है.
लेकिन क्या वाकई अंतरिम सरकार के नेतृत्व में बांग्लादेश में आतंकवाद अपनी पैठ बना रहा है. टीएफए ने इस मामले में इन्वेस्टीगेशन की तो पाया कि जयशंकर और शेख हसीना की बात में दम है. क्योंकि भारत की इंटेलिजेंस एजेंसियों को लगातार ऐसे इनपुट मिल रहे हैं, जिससे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई, बांग्लादेश में शरण ले रहे रोहिंग्या समुदाय और वैश्विक आतंकी संगठन आईएसआईएस के तार जुड़े पाए गए हैं.
हैम रेडियो ऑपरेटर्स ने पकड़े बांग्लादेश के संदिग्ध सिग्नल
दरअसल, पिछले दो महीने में बांग्लादेश से सटे भारत (पश्चिम बंगाल) के बशीरहाट, 24 परगना, सोनपुर और बोंगगांव जैसे इलाकों में हैम रेडियो ऑपरेटर्स को कुछ ऐसे संदिग्ध सिग्नल इंटरसेप्ट हुए जिससे कोवर्ट-गतिविधियों का अंदेशा हुआ. ये सिग्नल इंटरसेप्ट, बांग्लादेशी, उर्दू और अरबी भाषा में थे और रात एक बजे से लेकर तीन बजे तक सुने गए.
इसके बाद से ही देश के खुफिया-तंत्र के कान खड़े हुए हैं. दरअसल, हैम रेडियो ऑपरेटर्स, एमेचुअर रेडियो स्टेशन होते हैं जो टू-वे कम्युनिकेशन पर आधारित होते हैं. इसके लिए सरकार से परमिशन की जरूरत भी होती है. लेकिन अगर कोई थर्ड-पार्टी इसमें घुसने की कोशिश करता है तो उसे अपनी पहचान बतानी होती है.
चटगांव और कॉक्स बाजार में रोहिंग्या मुसलमानों को ट्रेनिंग दे रही आईएसआई और पाकिस्तानी एसएसजी
हाल ही में पाकिस्तानी सेना के एक उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने बांग्लादेश का दौरा किया था. इस प्रतिनिधिमंडल में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी, आईएसआई का भी एक अधिकारी शामिल था. इन पाकिस्तानी अधिकारियों ने भारत के संवदेशनशील सिलीगुड़ी कॉरिडोर (चिकन-नेक) से सटे बांग्लादेश के रंगपुर इलाके का दौरा किया था. उसी दौरान पाकिस्तानी सेना के अधिकारियों ने भारत और म्यांमार के ट्राई-जंक्शन पर चटगांव (चटोग्राम) और कॉक्स-बाजार का भी दौरा किया था.
चटगांव दौरे पर इसलिए संदेह है क्योंकि यहां पर म्यांमार से भागकर आए रोहिंग्या मुस्लिमों के कैंप हैं. आईएसआई और पाकिस्तानी सेना की स्पेशल सर्विस ग्रुप (एसएसजी) के पूर्व अधिकारियों की मदद से बांग्लादेश ने तीन अलग-अलग जिलों में रोहिंग्या ट्रेनिंग कैंप लगाए हैं. इन कैंप में रोहिंग्याओं को हथियारों और गुरिल्ला वारफेयर का प्रशिक्षण दिया जा रहा है.
खबर है कि इन कैंप में कम से कम 50 रोहिंग्या मुसलमानों को मिलिट्री ट्रेनिंग दी जा रही है. साथ ही बांग्लादेश के दो कट्टरपंथी संगठनों के करीब 75 सदस्य भी यहां ट्रेनिंग ले रहे हैं. बांग्लादेश का जमात ए इस्लामी और हिज्ब उत तहरीर इन कैंपों को फंडिंग कर रहे हैं.
उल्फा और दूसरे भारत-विरोधी आतंकी संगठनों को किया जा रहा जिंदा
हाल ही में जब बांग्लादेश में असम के उग्रवादी संगठन उल्फा के प्रमुख परेश बरूआ और दूसरे सदस्यों की सजा को कम कर दिया गया तो हर कोई हैरानी था. अब खबर है कि आईएसआई की मदद से बांग्लादेश ने उल्फा के सदस्यों को फिर से ट्रेनिंग देने के लिए कैंप शुरू कर दिए हैं.
जानकारी के मुताबिक, बांग्लादेश के कम से कम तीन जिलों में ये उग्रवादी कैंप चल रहे हैं. ये कैंप सोरोई यूनियन और लामा उपजिला में चल रहे थे. खबर ये भी है कि इन कैंप से सात संदिग्ध रातो-रात गायब हो गए, जिनके कोई अता पता नहीं है.
बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना (2009-जुलाई 2024) ने अपने देश के कट्टरपंथी और उल्फा जैसे उग्रवादी संगठनों की नाक में नकेल डाल रखी थी. साथ ही भारत से सटे सीमावर्ती इलाकों में जितने उग्रवादी कैंप सक्रिय थे, सभी को तबाह कर दिया था. लेकिन शेख हसीना के जान के महज छह महीने के भीतर ही उल्फा और दूसरे उग्रवादी संगठनों फिर से जिंदा हो गए हैं. इन उग्रवादियों को पाकिस्तान की मदद से हवा दे रहा है बांग्लादेश.
बीएसएफ ने बॉर्डर गॉर्ड्स बांग्लादेश के डीजी को किया आगाह
गौरतलब है कि हाल ही में जब बॉर्डर गार्ड्स बांग्लादेश (बीजीबी) के महानिदेशक मेजर जनरल मोहम्मद अशरफुज्जमां सिद्दीकी राजधानी दिल्ली के दौरे पर आए (17-20 फरवरी) तो बीएसएफ (बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स) के डीजी दलजीत सिंह चौधरी ने खासतौर से बांग्लादेश स्थित इंडियन इंसर्जेंट ग्रुप (आईआईजी) के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी.
नोबेल शांति पुरस्कार विजेता ने बांग्लादेश को बदल दिया टेररिस्ट-स्टेट में
बांग्लादेश में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के राज में किस कदर कट्टरपंथी, उग्रवादी और वैश्विक आतंकियों को पाकिस्तान की तर्ज पर फलने-फूलने का मौका दिया जा रहा है, उसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बांग्लादेशी आर्मी के हेडक्वार्टर के बाहर अब आईएस के झंडे खुले आम लहराए जाते हैं. बांग्लादेशी सैनिक तक कट्टरपंथी विचारधारा का सार्वजनिक रूप से प्रचार-प्रसार करते दिखाई पड़ जाते हैं.
यही वजह है कि खुद शेख हसीना को कहना पड़ गया है कि नोबेल पुरस्कार विजेता (यूनुस) ने बांग्लादेश को टेररिस्ट-स्टेट बना दिया है.