जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 58वें वर्चुअल संबोधन में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आतंकवाद के मुद्दे पर कड़ा प्रहार किया है. विदेश मंत्री ने कहा कि भारत हमेशा ही आतंकवाद के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ की वकालत करेगा.
जयशंकर ने ये भी कहा, “वैश्विक मंच पर सुधारों के लिए भारत समर्थन और नेतृत्व करने को तत्पर है.”
आधुनिक चुनौतियों का सामना करने के लिए और तैयारी की जरूरत: एस जयशंकर
एस जयशंकर में दुनिया में अलग-अलग मोर्चों पर चल रहे संघर्षों के बारे में अपने संबोधन में कहा कि “विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में भू-राजनीतिक उथल-पुथल का मुद्दा उठाते हुए विश्व में संघर्षों के दौर पर चिंता जताई. दुनिया संघर्षों से जूझ रही है, उभरती चुनौतियों के सामने ये अधिक खंडित, अनिश्चित और अस्थिर होती जा रही है.”
जयशंकर ने कहा, “पिछले कुछ वर्षों में मौजूदा बहुपक्षीय संरचनाओं की गंभीर अपर्याप्तता उजागर हुई है.मौजूदा व्यवस्था पर इशारा करते हुए बताया, जब विश्व को इनकी सबसे ज्यादा जरूरत थी तब यह खुद अभावग्रस्त व लाचार थे.” (https://x.com/DrSJaishankar/status/1894052588292575461)
भारत आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए दृढ़ है: एस जयशंकर
यूएनएचआरसी के संबोधन में विदेश मंत्री ने आतंकवाद के मुद्दे पर भारत के दृष्टिकोण दुनिया के सामने रखा. जयशंकर ने कहा, “भारत के लिए आतंकवाद की जीरो टॉलरेंस नीति है, हम आतंकवाद का मुकाबला करने में दृढ़ और अडिग रहे हैं. हम आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे, और इसे सामान्य बनाने के किसी भी प्रयास का विरोध करेगा.”
हम वसुधैव कुटुंबकम कहने के लिए नहीं कहते, मानते भी हैं
जयशंकर ने कहा कि, “भारत हमेशा से वैश्विक प्रोन्नति और मानवाधिकार की रक्षा में अहम भूमिका निभाता रहा है. हमने हमेशा ही वित्तीय जिम्मेदारी के सिद्धांतों, पारदर्शिता और निरंतरता का पालन किया है. इस प्रतिबद्धता के साथ भारत ने हमेशा ही विभिन्न देशों के साथ विकास की साझेदारी निभाई है, लेकिन इसी के साथ भारत ने बिना किसी समझौते के आतंकवाद का मुकाबला किया है. हम वसुधैव कुटुंबकम केवल कहने के लिए नहीं कहते, बल्कि हम पूरी दुनिया को एक परिवार मानते हैं.”