By Nalini Tewari Rajput
यूक्रेन के रूस पर किए गए पर्ल हार्बर जैसे अटैक के बाद रूस कर रहा है बड़ा बदला लेने की तैयारी. पिछले कुछ महीनों में यूक्रेन की खुफिया एजेंसी जीयूआर और एसबीयू ने मिलकर जिस तरह से ऑपरेशन किए हैं, उससे शक्तिशाली देश रूस भी हिल गया है.
पिछले कुछ महीनों में दो बार रूसी राष्ट्रपति पुतिन की हत्या की कोशिश की जा चुकी है. करीबियों को मारा जा चुका है और अब रूस के सैन्य ठिकानों और पुल पर हमला, जिसकी चपेट में यात्री ट्रेन भी आई है. माना जा रहा है राष्ट्रपति पुतिन तिलमिलाए हुए हैं, और यूरोप भी सहम गया है, क्योंकि यूक्रेन के अटैक को थर्ड वर्ल्ड वॉर के उकसावे के तौर पर देखा जा रहा है.
रूस की खुफिया एजेंसी और एयर डिफेंस सिस्टम पर उठे सवाल
बेहद ही शातिराना और खुफिया तरीके से रूस पर हमले की स्क्रिप्ट यूक्रेन ने लिखी थी. रूसी एजेंसियों को इस हमले की भनक तक नहीं लगी. ट्रकों में बनी फाल्स-सीलिंग में छिपाए गए स्वार्म-ड्रोन यानी ड्रोन के झुडों से रशियन एयरबेस पर अटैक किया गया. रूस के 04 एयरबेस पर अटैक किए गए, जिसमें 40 स्ट्रेटिजक बाम्बर्स को तबाह किया गया. एक न्यूक्लियर सबमरीन बेस के करीब भी अटैक किया गया.
इस हमले के बाद क्रेमलिन में लगातार हाईलेवल बैठक की जा रही है इस हमले के बाद राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भड़के हुए हैं क्योंकि तीन साल में ये पहली बार है जब यूक्रेन ने रूसी धरती के अंदर घुसकर 40 बॉम्बर को ध्वस्त कर डाला है.
रूस में इमरजेंसी, पलटवार का काउंटडाउन शुरु
यूक्रेन के इस हमले के बाद पूरे रूस में आपातकाल लगा दिया गया है. पूरे रूस में एयर अलर्ट जारी कर दिया गया है. रूसी एयरफोर्स ने अपने बॉम्बर और फाइटर जेट को और सुरक्षित जगहों पर छिपा दिया है. रूस को आशंका है कि यूक्रेन, रूस के और एयरबेस पर हमले कर सकता है.
इस हमले को लेकर तमाम सवाल उठ रहे हैं कि आखिर यूक्रेन रूसी धरती पर इतना बड़ हमला करने में कामयाब कैसे हुआ?एयर बेस और नेवल बेस पर जो रूस का एयर डिफेंस तैनात था, तो फेल कैसे हुआ. रूसी खुफिया एजेंसी को पिछले डेढ़ साल से चल रही यूक्रेन की प्लानिंग का पता कैसे नहीं चला.
रूस को आशंका है कि यूक्रेन बिना किसी मदद के इतना बड़ा अटैक नहीं कर सकता. रूस को शक है कि यूक्रेन को यूरोप और नाटो देशों से मदद है.
रूस के खिलाफ नाटो देश के साथ मिलकर यूक्रेन ने रची थी साजिश क्रेमलिन में ही पुतिन की अध्यक्षता में रूसी सिक्योरिटी काउंसिल की आपात मीटिंग हुई. क्रेमलिन (पुतिन कार्यालय) को लगता है कि यूक्रेन को यूरोप और नाटो देशों ने खुफिया इंटेलिजेंस दिए है. नाटो ने ही सैटेलाइट के जरिए यूक्रेन को रूस के एयरबेस और नेवल बेस की लोकेशन दी है और इन हमलों के समय नाटो देशों ने ही रूस के एयर डिफेंस सिस्टम को हैक किया, जिसके कारण घातक एयर डिफेंस सिस्टम और रडार हमले का पूर्वानुमान नहीं लगा पाए.
नाटो देशों पर हमला कर रूस लेगा यूक्रेन से बदला, खौफ में नाटो देश
यूक्रेन के इस बड़े हमले के बाद क्रेमलिन अपने अगले कदम की प्लानिंग कर रहा है. राष्ट्रपति पुतिन पहले ही साफ कर चुके हैं कि रूस पर हमले का मतलब नाटो देश खतरे में पड़ेंगे. रूस ने कीव के साथ साथ यूरोपीय देशों पर हमले का आदेश जारी कर दिया है. ये तो तय है कि रूसी सेना इस आक्रमण का बदला लेगी. लेकिन आशंका इस बात की है कि इस हमले का दायरा न सिर्फ यूक्रेन बल्कि यूरोप के कई देशों तक बढ़ सकता है.
जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी दे रहा घातक मिसाइल
रूस के बिना दबाव में आए जर्मनी खुलेआम यूक्रेन को हथियारों की सप्लाई कर रहा है. जर्मनी के विदेश मंत्री जॉनन वादेफुल ने पिछले सप्ताह कहा था कि उनका देश यूक्रेन को 1000 किलोमीटर तक मार करने वाले तॉरूस मिसाइलों की खेप कभी भी यूक्रेन को दे सकता है. जर्मनी के चांसलर फ्रेडरिक मर्ज ने तो ये भी कह दिया है कि यूक्रेन को मिसाइलों की सप्लाई करते समय रेंज की कोई समय सीमा तय नहीं करेगा. यानी कि जर्मनी किसी भी रेंज तक मार करने वाले मिसाइल की सप्लाई यूक्रेन को कर सकता है.
तेजी से बदल रही यूरोप की जियोपॉलिटिकल स्थिति
रूस और यूक्रेन के बीच तनाव की सबसे बड़ी वजह नाटो देश हैं. हाल ही में रूस ने नाटो देश द्वारा भेजे जा रहे हथियारों से भरे जहाज को टारगेट किया था. रूस शुरुआत से कह रहा है कि नाटो देश युद्ध को भड़का रहे हैं. ऐसे में अब जब रूस पर तगड़ा हमला हुआ है तो सीधे-सीधे रूस नाटो देशों को जिम्मेदार बता रहा है. नाटो और रूस के बीच गलतफहमी यूरोप को तृतीय विश्वयुद्ध की ओर लेकर जा रही है.
इस्तांबुल में बातचीत से पहले बड़ा हमला
रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने रविवार को यूक्रेन में संघर्ष सुलझाने को लेकर बातचीत की थी. तुर्किए में सोमवार को रूस-यूक्रेन में बातचीत प्रस्तावित है. लावरोव ने कहा, यूक्रेन संकट से जुड़ी स्थिति पर रुबियो और मैंने चर्चा की. 2 जून को इस्तांबुल में प्रत्यक्ष रूसी-यूक्रेनी वार्ता होनी है. उसे लेकर भी बातचीत की है.
डील मैन ट्रंप की चुप्पी कुछ कहती है
रूस-यूक्रेन के बीच मध्यस्थता कराने का दावा करने वाले डोनाल्ड ट्रंप का अता-पता नहीं है. वो बस घिसी पिटी टेप की तरह यही बोल रहे हैं कि अगर मैं बाइडेन की जगह होता तो युद्ध न होता. हैरानी की बात ये है कि रूस पर इतना बड़ा हमला हुआ और ट्रंप चुप है. पिछले हफ्ते ट्रंप ने पुतिन और जेलेंस्की को वॉर्निंग दी थी. रूस के हमले पर लंबा चौड़ा पोस्ट लिखा था, लेकिन ऑपरेशन स्पाइडर वेब के बाद ट्रंप का कोई बयान सामने नहीं आया है. कहीं ऐसा तो नहीं कि अमेरिका ने ही रूस को डबल क्रॉस कर दिया?