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पाकिस्तानी मंत्रियों के डाटा की लगी बोली, ऑनलाइन मिल रहा कौड़ियों के भाव

पड़ोसी देश पाकिस्तान में कौड़ियों के भाव बिक रहे हैं शहबाज सरकार के मंत्रियों, अधिकारियों या जिसका चाहें उसका डेटा. मंत्री किससे बात कर रहे हैं, क्या बात कर रहे हैं, अधिकारियों की लोकेशन क्या है, अगर किसी को जाननी है तो 150 रु (भारतीय) खर्च करे और कुछ ही मिनटों में लोकेशन से लेकर कॉल डेटा सब हाजिर हो जाएगा.

पाकिस्तान में जो रिपोर्ट आई है, उसके मुताबिक वीआईपी लोगों के फोन और लोकेशन सिर्फ 500 पाकिस्तानी रु (तकरीबन 150 भारतीय रु) में ट्रैक किए जा सकते हैं. अगर वीआईपी विदेश में भी हो तब भी डेटा आसानी से उपलब्ध हो जाएगा. पाकिस्तान में मंत्रियों, नेताओं और अधिकारियों के फोन टैपिंग और डेटा लीक के चौंकाने वाले खुलासे के बाद हड़कंप मचा हुआ है. जिसके बाद आनन फानन में शहबाज सरकार ने जांच शुरु की है.

पाकिस्तान में फोन टैप और डेटा लीक ने खलबली

पाकिस्तान में मंत्री, नेता, अधिकारी और प्रभावशाली लोगों के फोन टैपिंग और डेटा लीक की एक रिपोर्ट सामने आने से खलबली मच गई है. पाकिस्तान में मंत्रियों के फोन की लोकेशन 500 रुपए पाकिस्तानी रु में आसानी से मिल रही है. रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि 10000 से ज्यादा प्रभावशाली लोगों के डेटा की पहुंच हैकर्स तक है. 

साइबर हैकर्स 2000 पाकिस्तानी रु (600 रु भारतीय) में फोन रिकॉर्ड कर रहे हैं. उसका डेटा संबंधित पक्ष को भी आसानी से दे दे रहे हैं. विदेश जाने पर भी नेताओं और मंत्रियों का फोन आसानी से टैप किया जा रहा है. इसके लिए करीब 1000 रुपए (3000 पाकिस्तानी रुपए) लिए जा रहे हैं.

पाकिस्तान में नहीं डिजिटल प्राइवेसी, हैकर्स की सेंधमारी

बताया जा रहा है कि जब भी पाकिस्तान में कोई सिम खरीदा जा रहा है तो हैकर्स उस सिम को वेबसाइट पर डाल कर आसानी से डेटा पर पहुंच बना ले रहे हैं. उसी वेबसाइट के जरिए लोकेशन भी ट्रेस की जा रही है. सिम कार्ड जिस प्रूफ के जरिए निकलवाया जा रहा है, उसे भी संदिग्ध बेच रहे हैं. इतना ही नहीं फोन टैप किया जा रहा है और उसे भी बेचा जा रहा है. 

जांच में जुटी एजेंसियां, लोगों में डिजिटल प्राइवेसी लीक होने से गुस्सा

पाकिस्तान के गृह मंत्री मोहसीन नकवी ने 14 सदस्यीय कमेटी बनाकर जाँच शुरू की है. इस घटना ने पाकिस्तान की डिजिटल गोपनीयता और राजनीतिक हलचल में हड़कंप मचा दिया है. 

नकवी ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना है और कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर ही आगे की कार्रवाई तय की जाएगी. सख्त कदम उठाए जाएंगे.

फोन टैप और डेटा लीक करता कौन है

सवाल ये भी उठ रहे हैं कि इतनी बड़ी संख्या में फोन टैप और डेटा लीक होते रहे, और एजेंसिया उसे रोकने में नाकामयाब रहीं. कहीं ऐसा तो नहीं ये सब कुख्यात पाकिस्तानी एजेंसी आईएसआई के कहने पर हो रहा था, ताकि वो अपने लोगों पर नजर रख सके. या सच में साइबर हैकर्स ने ही शहबाज सरकार के मंत्रियों की बीच घुसपैठ बना डाली है. सवाल ये भी है कि ये डेटा किसको और क्यों जाता है.

बहरहाल पाकिस्तान में इस रिपोर्ट के बाद वो मंत्री सदमे में हैं जिन तक इन हैकर्स ने पहुंच बना ली थी. वहीं सोशल मीडिया पर कौड़ियों के दाम डेटा बिकने पर पाकिस्तान का मजाक भी उड़ाया जा रहा है. 

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