दिल्ली से लेकर रांची तक फैले आतंक और जासूसों के जाल का दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने राजफाश किया है. एक आईएसआईएस आतंकी आफताब को दिल्ली से तो दूसरे आतंकी असहर दानिश को रांची से दबोचा गया है. दिल्ली में आफताब की गिरफ्तारी के बाद देश भर के 12 ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी की गई है, जिसमें 08 से ज्यादा संदिग्धों को पकड़ा गया है.
बताया जा रहा है कि आईएसआईएस आतंकियों का ये मॉड्यूल कई शहरों में बड़े आतंकी साजिशों को अंजाम देने की फिराक में था. संदिग्धों से पूछताछ की जा रही है कि इस ग्रुप के निशाने पर कौन-कौन से स्थान थे, हमला कब और कैसे होने वाला था.
दिल्ली और रांची से आईएसआईएस आतंकियों की गिरफ्तारी
स्पेशल सेल और रांची एटीएस के एक संयुक्त अभियान में रांची के लोअर बाजार स्थित तबारक लॉज से आईएसआईएस से जुड़े संदिग्ध को गिरफ्तार किया गया.
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने 9 सितंबर को एक खुफिया सूचना के आधार पर आफताब नाम के आतंकी को गिरफ्तार किया था. खुलासा हुआ कि आफताब, दिल्ली में एक बड़े हमले की प्लानिंग कर रहा था. आफताब, मुंबई का रहने वाला है, लेकिन बड़े हमले की साजिश को अंजाम देने के लिए दिल्ली में मौजूद था. आफताब के पास से आपत्तिजनक डॉक्यूमेंट मिले हैं. आफताब से पूछताछ के बाद रांची में भी छापेमारी हुई, जहां से असहर उर्फ दानिश को पकड़ा गया.
जहां ठहरा था संदिग्ध, मिले खतरनाक केमिकल
रांची से गिरफ्तार किए गए संदिग्ध आतंकी असहर बोकारो जिले के पेटवार का रहने वाला बताया जा रहा है. दिल्ली में दर्ज मामले के आधार पर उसकी गिरफ्तारी की गई है. संदिग्ध के पास से विस्फोटक केमिकल, हथियार और कई दूसरे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बरामद हुए हैं.
सूत्रों के मुताबिक तबारक लॉज में बेहद ही खतरनाक केमिकल मिले हैं, जिससे आशंका जताई जा रही है कि आतंकी विस्फोटक बनाने की तैयारी में था.माना जा रहा है इन संदिग्धों से पूछताछ में बड़ा खुलासा हो सकता है.
दिल्ली से जासूसी मॉड्यूल का भंडाफोड़, पाकिस्तान भेजता था हिंदुस्तानी सिम
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने एक जासूसी मॉड्यूल का पर्दाफाश किया है. पुलिस ने नेपाल के नागरिक प्रभात कुमार चौरसिया को गिरफ्तार किया है. पुलिस के मुताबिक आरोपी ने 16 भारतीय सिम कार्ड (एयरटेल और जियो) अपने आधार कार्ड से निकाले, जिनमें से 11 सिम पाकिस्तान (लाहौर, बहावलपुर आदि जगहों) से व्हाट्सऐप पर इस्तेमाल हो रहे थे. ये सिम कार्ड नेपाल के रास्ते आईएसआई हैंडलर्स तक पहुंचाए जाते थे.
इन व्हाट्सऐप अकाउंट्स के जरिए भारतीय सेना के अधिकारियों से संपर्क साधने और रक्षा-संबंधी संवेदनशील जानकारी जुटाने की कोशिश की जा रही थी. आईएसआई ने आरोपी को अमेरिका का वीजा और विदेश में पत्रकारिता करियर का झांसा दिया था.