नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता, जन-विद्रोह और हिंसा के बीच, भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने देश (भारत के) टॉप मिलिट्री कमांडर्स को दुनियाभर में तेजी से बदल रही परिस्थितियों, क्षेत्रीय अस्थिरता और अशांत ग्लोबल ऑर्डर के साथ ही उनका सुरक्षा तंत्र पर पड़ने वाले असर का आकलन करने का आह्वान किया है.
कम्बाइंड कमांडर्स कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन रक्षा मंत्री ने किया संबोधित
मंगलवार को राजनाथ सिंह, कोलकाता में चल रहे तीन दिवसीय (15-17 सितंबर) कम्बाइंड कमांडर्स कॉन्फ्रैंस को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान रक्षा मंत्री ने टॉप मिलिट्री कमांडर्स को इंफोर्मेशन (सूचना), आइडियालोजिक (वैचारिक), इकोलोजिकल और बायोलॉजिकल वॉरफेयर से उत्पन होने वाले अदृश्य खतरों से लड़ने के लिए तैयार रहने का आह्वान किया.
रक्षा मंत्री ने देश की सेनाओं (थलसेना, वायुसेना और नौसेना) को पारंपरिक युद्ध-शैली से परे अनकंवेंशनल खतरों से निपटने की जरूरत पर जोर दिया. क्योंकि आज के समय के युद्ध की अवधि का सही सही पता लगाना बेहद मुश्किल है.
राजनाथ ने आत्मनिर्भरता को बताया सामरिक स्वतंत्रता की कुंजी
दो वर्ष में एक बार होने वाली शीर्ष मिलिट्री कॉन्फ्रेंस, ऑपरेशन सिंदूर के बाद हो रही है. सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए सेना के तीनों अंगों को ज्वाइंटनेस (साझा रणनीति), आत्मनिर्भरता और इनोवेशन (नवाचार) अपनाने पर जोर दिया था. रक्षा मंत्री ने भी ट्राई-सर्विस साझेदारी को निकट भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए बेहद जरूरी बताया. (मिलिट्री कॉन्फ्रेंस में पीएम का विजय मंत्र: Jointness, आत्मनिर्भरता और इनोवेशन)
राजनाथ सिंह ने कहा कि आत्मनिर्भरता, सामरिक स्वतंत्रता की कुंजी है, जो आर्थिक विकास के साथ ही क्षमता और रोजगार के रास्ते खोलती है.
रक्षा मंत्री ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर (6-10 मई) ने साबित कर दिया कि 21वीं सदी में भारत को ताकत, रणनीति और आत्मनिर्भरता जैसे तीन अहम स्तंभों की जरूरत है.
सम्मेलन में सीडीएस जनरल अनिल चौहान, सेना के तीनों अंगों के प्रमुख, रक्षा सचिव सहित सभी शीर्ष सैन्य कमांडर मौजूद थे. सम्मेलन का समापन, बुधवार को सीडीएस के संबोधन से होगा.