31 मार्च 2026 से पहले देश से नक्सलवाद जड़ से मिटाने के लिए चलाए जा रहे अभियान के बीच नक्सलियों ने हथियार छोड़ने का ऐलान किया है. माओवादी संगठन ने शांति वार्ता के लिए अस्थायी रूप से हथियार छोड़ने का निर्णय लिया है.
गृह मंत्रालय को चिट्ठी लिखकर माओवादी संगठन के प्रवक्ता ने कहा है कि वो बातचीत के लिए और हथियार छोड़ने के लिए तैयार हैं, बशर्ते नक्सलियों के खिलाफ चलाया जा रहा अभियान फौरन बंद हो.
माना जा रहा है कि पिछले 10 दिनों में सुरक्षाबलों ने माओवादियों को बड़ी चोट दी है. कई बड़े नक्सली कमांडर्स के मारे जाने से नक्सली हताश हैं और उनकी कमर टूट चुकी है.
हमारा संगठन सरकार से बातचीत के लिए तैयार, हथियार छोड़ देंगे: माओवादी संगठन
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के प्रवक्ता अभय ने चिट्ठी लिखकर नक्सलियों के हथियार छोड़कर मुख्य धारा में लौटने की बात कही है. 15 अगस्त को लिखी गई चिट्ठी में प्रवक्ता अभय की ओर से केंद्र सरकार से एक महीने का औपचारिक संघर्ष-विराम (सीजफायर) घोषित करने और तलाशी अभियानों को रोकने का अनुरोध किया गया है.
सीपीआई (माओवादी) के प्रवक्ता अभय ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर बिना शर्त सरेंडर और अस्थायी युद्धविराम की बात कही है. लेकिन एक महीने का समय मांगा है ताकि अपने कैडर और नेताओं से सलाह कर सकें.
हम शांति के लिए ईमानदारी और गंभीरता से प्रयास कर रहे हैं: माओवादी संगठन
15 अगस्त को लिखी गई चिट्ठी 17 सितंबर को बांटी गई है. जिसमें नक्सलियों की ओर से लिखा गया है कि “हम शांति वार्ता के लिए गंभीर एवं ईमानदारी के साथ प्रयास कर रहे हैं.”
माओवादियों ने लिखा है कि “भविष्य में माओवादी जन समस्याओं पर तमाम राजनीतिक पार्टियों और संघर्षरत संस्थाओं के साथ मिलकर जहां तक संभव हो सके कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष करने के लिए तैयार हैं. इस पूरे मुद्दे पर चर्चा करने के लिए जेल में बंद अपने कैडरों से मिलना चाहते हैं इसके लिए एक महीने का समय दिया जाए. माओवादी नेतृत्व वीडियो कॉल के माध्यम से सरकार से बात करने के लिए तैयार है. इस पत्र में कहा गया है कि बदली हुई परिस्थिति में इस निर्णय को समझना जरूरी है.”
“बार-बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की ओर से नक्सलियों को मुख्य धारा में जोड़े जाने और हथियार छोड़ने के ऐलान के मद्देनजर हम हथियार छोड़ने को तैयार हैं. माओवादी, सरकार के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं, चाहे वह गृह मंत्री या उनके द्वारा नियुक्त प्रतिनिधिमंडल के साथ हो.”
चिट्ठी में ये भी कहा गया कि जंगलों में खोजी अभियानों को फौरन रोककर शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाना, सरकार का रुख तय करेगी.
1.5 करोड़ के कमांडर बसवराज की मौत से टूटे नक्सली, एक के बाद एक कमांडर्स का एनकाउंटर
माओवादी संगठन के हथियार छोड़ने का निर्णय के पिछले एक महीने में हुए बड़े नुकसानों के कारण बढ़ता दबाव माना जा रहा है. सरकार ने नक्सलवाद खत्म करने की डेडलाइन तय कर दी है. और मई के महीने से सुरक्षाबलों के जंगल में चलाए जा रहे ऑपरेशन में तेजी आ गई है. आंकड़ों पर गौर करें तो मई से अब तक कई बड़े कमांडर्स मारे जा चुके हैं.
- मई 2025, 1.5 करोड़ का वांटेड कमांडर बसवराजू छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में मारा गया. बसवराजू भारत का सबसे वांछित नक्सली नेताओं में से एक था.
- जून 2025, नरसिम्हा चलम उर्फ सुधाकर को छत्तीसगढ़ में ढेर किया गया. आयुर्वेद की पढ़ाई कर चुके नरसिम्हा ने हथियार थाम लिया था और 40 लाख का इनामी था.
- सितंबर 2025, बेहद ही खूंखार मनोज उर्फ मोडेम बालकृष्ण को गरियाबंद में मारा गया. मोडेम बालकृष्ण पर 1 करोड़ का इनाम था. इसके साथ 9 और नक्सली मारे गए.
- सितंबर 2025, झारखंड के हजारीबाग में सहदेव सोरेन उर्फ परवेश का एनकाउंटर हुआ. सहदेव सोरेन कुख्यात नक्सली कमांडर था. जिस पर 1 करोड़ रुपये का इनाम था. सुरक्षा बलों ने इसके साथ दो अन्य इनामी नक्सलियों को मार गिराया.
अमित शाह ने दी सुरक्षाबलों को खुली छूट, नक्सलियों के गढ़ हुए नक्सलमुक्त
छत्तीसगढ़ के कई इलाके जिन्हें नक्सलियों का गढ़ माना जाता है, उसमें सुरक्षाबलों ने ऑपरेशन ब्लैकफॉरेस्ट और ऑपरेशन कागर चलाया जिसके चलते नक्सलियों पर कड़ी चोट पहुंची. नतीजा ये हुआ कि दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा, कांकेर, नारायणपुर और कोंडागांव जिले अब नक्सल-मुक्त हो चुके हैं. गढ़चिरौली जिले के जंगलों को नक्सल-मुक्त घोषित किया गया है. झारखंड के पश्चिम सिंहभूम में भी नक्सली खत्म हो चुके हैं. ओडिशा के कंधमाल, कालाहांडी और मलकानगिरी जिलों में ऑपरेशन जारी है, अगले कुछ महीनों में ये भी नक्सलमुक्त होंगे.
गृह मंत्रालय की ओर से दिए गए आंकड़ों पर गौर किया जाए तो
- मारे गए नक्सलियों की संख्या 63 से बढ़कर 2089 हो गई है.
- साल 2024 में 928 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया और 2025 के पहले चार महीनों में 718 नक्सली आत्मसमर्पण कर चुके हैं.
- साल 2014 में 35 जिले नक्सलवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित थे और 2025 तक सिर्फ 6 जिलों में नक्सलवाद है.
- 2004 से 2014 के बीच नक्सल हिंसा की कुल 16,463 घटनाएं हुईं. हालांकि 2014 से 2024 के दौरान हिंसक घटनाओं की संख्या में 53 फीसदी की कमी आई है, जो घटकर 7,744 रह गई है.
- सुरक्षा बलों के हताहतों की संख्या में भी 73 फीसदी की कमी आई है, जो 1,851 से घटकर 509 रह गई है.
माना जा रहा है कि नक्सलियों के बचे खुचे कमांडर्स अब हिंसा छोड़कर मुख्य धारा में शामिल होना चाहते हैं. अगर सरकार शर्तों पर राजी हो जाती है, तो वे शांति प्रक्रिया में शामिल हो जाएंगे.
पत्र की सत्यता की जांच की जा रही: छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम
छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री विजय शर्मा ने इस पत्र पर प्रतिक्रिया दी है. विजय शर्मा ने कहा, “हम चिट्ठी की जांच करा रहे हैं. लेकिन नक्सलवाद के खिलाफ ऑपरेशन जारी रहेंगे. यदि नक्सली बंदूक छोड़कर मुख्यधारा में लौटना चाहते हैं तो उनका स्वागत है. राज्य सरकार सरेंडर करने वाले नक्सलियों के लिए पुनर्वास समेत कई योजनाएं चला रही हैं. ऐसे में नक्सली बंदूक त्यागकर सामने आएंगे तो सरकार उनके साथ शांति वार्ता के लिए पहल करेगी.”