By Nalini Tewari
क्या अफगानिस्तान में एक बार फिर से अमेरिकी सैनिक लौटेंगे. ब्रिटेन पहुंचे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले कुछ महीनों में दूसरी बार बगराम एयरबेस को लेकर शिगूफा छोड़ा है. सामरिक और सैन्य दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण अफगानिस्तान के बगराम एयरबेस को अमेरिका दोबारा हासिल करना चाहता है.
ट्रंप ने अपने ताजा बयान में कहा है कि, वह अफगानिस्तान के बगराम एयर बेस पर अमेरिकी उपस्थिति को फिर से स्थापित करने के लिए काम कर रहे हैं क्योंकि चीन के न्यूक्लियर हथियार केंद्र बगराम बेस के बेहद करीब हैं.
एक ब्रेकिंग न्यूज दे रहा हूं, बगराम एयरबेस हासिल करेंगे: ट्रंप
ब्रिटेन में कीर स्टार्मर के साथ ज्वाइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रंप ने संकेत दिए कि अमेरिका, अफगानिस्तान के बगराम एयरबेस को दोबारा हासिल करने की कोशिश कर रहा है.
ट्रंप ने कहा, एक ब्रेकिंग न्यूज बताता हूं कि हम बगराम एयरबेस को वापस पाने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि चीन के परमाणु हथियार बनाने वाले इलाके से यह बेस सिर्फ एक घंटे की दूरी पर है. इसलिए यह हमारे लिए रणनीतिक रूप से बहुत अहम है.हम इसे वापस चाहते हैं क्योंकि अफगान सरकार को हमारी जरूरत है.
इससे पहले मई के महीने में भी ट्रंप ने घोषणा की थी कि जल्द ही बगराम एयरबेस से चीन को हटा कर वापस अमेरिका का कब्जा होगा.
बगराम एयरबेस पर अब तालिबान का है कब्जा
साल 2021 में अमेरिकी सेना की अफगानिस्तान से वापसी के बाद बगराम एयरबेस अमेरिका ने खाली कर दिया था.
आज से चार साल पहले जब अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों के वापसी का ऐलान किया तो वहां अराजकता फैल गई थी. उस दौरान अफगान सरकार गिर गई थी, काबुल एयरपोर्ट पर अफरातफरी मच गई थी और एक आत्मघाती हमले में 13 अमेरिकी सैनिकों समेत 170 लोग भी मारे गए थे.
अफगानिस्तान से वापसी के बाद यह एयर बेस तालिबान के हाथों में चला गया था. तब से बगराम बेस पर तालिबान का कब्जा है.
हमने तालिबान को मुफ्त में दे दिया बगराम एयरबेस, पुतिन को मिली यूक्रेन पर अटैक की ताकत: ट्रंप
डोनाल्ड ट्रंप ने जो बाइडेन पर निशाना साधते हुए, अमेरिकी सैनिकों की वापसी का तरीका गलत बताया. कहा, “हम भी अफगानिस्तान से निकलने वाले थे, लेकिन ताकत और गरिमा के साथ. हमने बगराम बेस तालिबान को मुफ्त में दे दिया. यह एक बड़ी गलती थी. ट्रंप ने यह भी दावा किया कि अफगानिस्तान से इस तरह से हटने के कारण ही रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को यूक्रेन पर हमला करने की हिम्मत मिली.”
बगराम एयरबेस को लेकर पहले भी ट्रंप साध चुके हैं पुतिन पर निशाना
मई के महीने में ट्रंप ने कहा था कि “अफगानिस्तान में जो स्थिति बनी, उससे आपने (बाइडेन) रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को वहां जाने दिया और जो कुछ उन्होंने किया, उससे हम कितनी बुरी तरह से बाहर निकले हैं. पुतिन ने यह देखा और कहा कि वाह यह बहुत बढ़िया समय है. मैं इसे लेने जा सकता हूं क्योंकि यह उनको पसंद था. मैं हमेशा यह देख सकता था. मैंने उनसे (पुतिन) घंटों बात की. यह उनको पसंद था, लेकिन मैंने कहा, कि व्लादिमीर पुतिन इसके बारे में सोचना भी मत. उसके बारे में पुतिन ने नहीं सोचा होगा. लेकिन जब 2021 में हमने छोड़ दिया तो चीन को साहस मिला और वो एयरबेस के करीब आ गए.”
क्या तालिबान और अमेरिका में हो रही है एयरबेस को लेकर बातचीत?
सवाल है कि ट्रंप ने जो दावा किया है कि उस पर क्या तालिबान से बातचीत की गई है. एक्सपर्ट बता रहे हैं कि तालिबान इस प्रस्ताव पर विचार कर सकता है क्योंकि उसे अमेरिका से कुछ मदद की जरूरत है। हालांकि, अमेरिका और तालिबान के बीच अब कोई औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं हैं. बावजूद इसके हाल ही में अमेरिकी बंधक की रिहाई और कैदियों की अदला-बदली के संबंध में बातचीत की गई थी. ऐसे में अमेरिका और तालिबान के एकदूसरे के संपर्क में होने की बात सही हो सकती है.
रूस ने दी है तालिबान को मान्यता, चीनी विदेश मंत्री ने किया अफगानिस्तान का दौरा
बगराम एयरबेस पर दोबारा कब्जे की बात करना ट्रंप की एक कूटनीतिक मजबूरी भी दर्शा रही है. क्योंकि रूस और चीन लगातार तालिबान से नजदीकी बना रहे हैं. इसी साल जुलाई के महीने में अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को औपचारिक रूप से मान्यता देने वाला पहला देश बना है. वर्ष 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अफगानिस्तान में तालिबानी सरकार को औपचारिक रूप से अभी तक किसी भी देश ने मान्यता नहीं दी थी. लेकिन मॉस्को ने काबुल में अपना राजदूत तैनात कर तालिबान सरकार को मान्यता दे दी है.
मॉस्को ने तालिबान को अपने प्रतिबंधित संगठनों की सूची से भी हटा दिया है. तो मॉस्को में अफगान दूतावास पर तालिबान का सफेद झंडा भी लगा रहता है.
इसके अलावा 20 अगस्त को चीनी विदेश मंत्री वांग यी भी अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पहुंचे थे. चीनी विदेश मंत्री के साथ अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी से मुलाकात की थी और संबंधों को मजबूत करने पर जोर दिया था.
ट्रंप नहीं चाहते हैं कि तालिबान की सरकार रूस-चीन के करीब पहुंचे, लिहाजा अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों की मौजूदगी से उपस्थिति दर्ज कराना चाहते हैं.
बगराम एयरबेस के बारे में जानिए
बगराम एयरफील्ड अफगानिस्तान के परवान प्रांत में है. रणनीतिक तौर पर बेहद महत्वपूर्ण एयरबेस है. बगराम एयरबेस, अफगानिस्तान के चारिकर शहर से लगभग 11 किलोमीटर और काबुल से 47 किलोमीटर दूर है. इस एयरफील्ड में 11,800 फुट का रनवे है जो बमवर्षक और बड़े मालवाहक विमानों की सेवा करने में सक्षम है. इसे दुनिया के सबसे बड़े हवाई अड्डों में से एक माना जाता है. दुनिया के सबसे मजबूत और सबसे लंबे रनवे में से एक है.