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पाताल में भी जैश-लश्कर की खैर नहीं, भारतीय सेना का अल्टीमेटम

जैश ए मोहम्मद की तरह आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा भी भारत की स्ट्राइक से घबराकर अपने आतंकी कैंपों को भारतीय सीमा से दूर खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में ले जाने की पूरी तैयारी कर चुका है. भारत की खुफिया एजेंसियों के हाथ खैर प्रांत के डिर जिले में लश्कर के ‘मरकज जिहाद ए अक्सा’ नाम के निर्माणाधीन इमारत की तस्वीरें और वीडियो लग चुके हैं. साफ है कि बालाकोट एयर-स्ट्राइक की तरह ये नए टेरर कैंप भी भारतीय एजेंसियों की जद में हैं. 

लश्कर ने खबैर पख्तूनख्वा में शिफ्ट किया टेरर कैंप
टीएफए को मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक, लश्कर ने इस ट्रेनिंग कैंप को बनाने की जिम्मेदारी ऑपरेशनल कमांडर नस्र जावेद को सौंपी है, जो 2006 के हैदराबाद बम धमाकों का आरोपी है. माना जा रहा है कि दिसंबर तक लश्कर इस कैंप को बनाकर पूरा करना चाहता है. करीब 5000 वर्ग मीटर में बन रहा ये कैंप, लश्कर की मरकज जामिया अल सुनाह नाम की मस्जिद के बेहद करीब है. 

मरकज जिहाद ए अक्सा नाम है लश्कर के नए कैंप का नाम

दरअसल, लश्कर ने आतंकी कैंप को मस्जिद के करीब इसलिए बनाया है, क्योंकि कट्टरपंथ और हथियार चलाने की ट्रेनिंग, दोनों ही आतंकियों के लिए बेहद जरूरी माना जाता है. ऐसे में आतंकी बनने वाले युवाओं को मस्जिद में कट्टरपंथ का पाठ पढ़ाया जाएगा और मरकज जिहाद ए अक्सा में आतंकी ट्रेनिंग. 

लश्कर ने मस्जिद का प्रमुख मोहम्मद यासीन उर्फ बिलाल भाई को बनाया गया है और मरकज जिहाद ए अक्सा का इंचार्ज अनस उल्लाह खान को बनाया गया है. अनस ने खुद लश्कर के गढ़ी हबीबुल्लाह कैंप में वर्ष 2016 में आतंकी ट्रेनिंग ले चुका है. हाल ही में लश्कर के डिप्टी कमांडर सैफुल्लाह कसूरी ने मस्जिद जामिल अल सुनाह में ही भारत-विरोधी तकरीर दी थी.

मनसेरा कैंप को उड़ाया था भारतीय सेना ने

7 मई को ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सेना ने लश्कर के मनसेरा स्थित मरकज अल हदीत टेरर कैंप को गोलाबारी के जरिए तबाह कर दिया था. ऑपरेशन सिंदूर से पहले तक इस कैंप में ही आतंकियों को ट्रेनिंग दी जाती थी. भारतीय सेना के विश्वसनीय सूत्रों ने हालांकि, टीएफए से साफ तौर से कहा कि भले ही जैश या फिर लश्कर टेरर कैंप भारतीय सीमा से दूर जाकर बना ले, लेकिन अगर भारत-विरोधी गतिविधियां में शामिल हुए तो वही घुसकर मारेंगे. 

लश्कर के अलावा जैश ए मोहम्मद ने अपने मनसेरा स्थित टेरर कैंप का एक्सटेंशन खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में बनाना शुरु किया है. साथ ही हिजबुल मुजाहिद्दीन ने भी डिर जिले में एचएम-313 कैंप बनाना शुरु किया है. दरअसल, डिर जिले एक लंबे से भारत-विरोधी गतिविधियों का केंद्र रहा है. एक समय में कश्मीर घाटी में सक्रिय अल-बद्र नाम का आतंकी संगठन, इसी डिर जिले से साजिश रचता था. लेकिन जैश और लश्कर की गतिविधियां बेहद कम थी. ऐसा भारत की खुफिया एजेंसियों की नजरों से दूर रहने के लिए भी किया गया है. (जैश ने POK से बांधा बोरिया-बिस्तर, खैबर पख्तूनख्वा में शिफ्ट हुए टेरर कैंप)

तहरीक ए तालिबान से होगा लश्कर का सामना

डिर जिले को पाकिस्तान विरोधी टीटीपी यानी तहरीक ए तालिबान (पाकिस्तान) का गढ़ भी माना जाता रहा है. लेकिन पिछले कुछ हफ्तों में पाकिस्तानी सेना ने टीटीपी के खिलाफ जंग छेड़ दी है. क्योंकि टीटीीी को लश्कर एक आंख नहीं सुहाता है. ऐसे में जैश और लश्कर को टीटीपी से भी दो-दो हाथ करने पड़ सकते हैं. 

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